चीनी कम्पनी ईकोग्रीन की असफलता छिपाने के लिए लोगों की सेहत बर्बाद करने पर तुली सरकार

चीनी कम्पनी ईकोग्रीन की असफलता छिपाने के लिए लोगों की सेहत बर्बाद करने पर तुली सरकार
January 08 15:27 2024

चीनी कम्पनी ईकोग्रीन की असफलता छिपाने के लिए लोगों की सेहत बर्बाड्डकचरे से बिजली नहीं बनने के कारण बंधवाड़ी में खड़ा हुआ 35 लाख टन कचरे का पहाड़, अब सरकार करवा रही साफ
फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। खट्टर सरकार कूड़ा प्रबंधन और कचरे से बिजली बनाने के नाम पर लूट कमाई करने वाली ईकोग्रीन कंपनी की असफलता छिपाने के लिए आम जनता की सेहत से खिलवाड़ करने जा रही है। अब बंधवाड़ी की बजाय मुजेड़ी और प्रतापगढ़ में लोगों के विरोध के बावजूद कचरा निस्तारण का काम शुरू किया गया है। इसके लिए सरकारी अमला इस्तेमाल किया जाएगा जबकि यह पूरी जिम्मेदारी अनुबंध के आधार पर ईकोग्रीन की होनी चाहिए।

नरेंद्र मोदी ने 2014 में केंद्र की सत्ता संभालते ही निर्मल भारत अभियान का नाम बदल कर स्वच्छ भारत अभियान कर ये प्रदर्शित किया था जैसे उनके पहले देश में गंदगी फैली थी जिसे वह स्मार्ट सिटी बना कर साफ कर देंगे। इसी उत्साह में खट्टर ने कचरे से बिजली व खाद बनाने का खूब ढिंढोरा पीटा था। चीन की कंपनी ईकोग्रीन को शुल्क वसूली कर घर घर से कचरा उठाने, गीला और सूखा कचरा मौके पर ही अलग करने, सूखे कचरे से बिजली बनाने का ठेका दिया था। कचरा ढुलाई और बिजली निर्माण के लिए सरकार ईकोग्रीन को 1100 रुपये प्रति टन भुगतान भी करती रही।

ईकोग्रीन ने न तो गीला और सूखा कचरा अलग किया और न ही बिजली संयंत्र लगाया, इसके बावजूद सरकार कई साल तक कंपनी को कचरा ढुलाई के लिए 1100 रुपये प्रति टन की दर से भुगतान करती रही। कंपनी कचरा निस्तारण/प्रबंधन के नाम पर बंधवाड़ी में रोजाना गुडग़ांव और फरीदाबाद का करीब दो हजार टन कचरा डंप करती रही। नतीजा ये हुआ कि बंधवाड़ी में 35 लाख टन कचरे का पहाड़ लग गया।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2017 के बाद से सरकार को बंधवाड़ी में कचरा निस्तारण के वैज्ञानिक तरीके अपनाने के कई बार आदेश जारी किए लेकिन सरकार ने इन आदेशों पर औपचारिकताएं पूरी कर ईकोग्रीन का बचाव किया। इस दौरान कचरे का पहाड़ बढ़ता गया। यहां तक कि कचरे के कारण आसपास की आबोहवा दूषित हो गई और आठ-दस किलोमीटर इलाके में रहने वालों को स्वास्थ्य समस्याएं होने लगीं।

बंधवाड़ी प्लांट में उचित लीचेट प्रबंधन नहीं होने, बिजली संयंत्र नहीं लगने से एनजीटी ने जुलाई 2019 में गुडग़ांव, फरीदाबाद के नगर निगम और ईकोग्रीन कंपनी पर बीस करोड़ रुपये गारंटी राशि एस्क्रो अकाउंट में जमा करवाने का आदेश दिया था। 2022 में सख्त हुई एनजीटी ने एक साल में बंधवाड़ी से कचरा पूरी तरह साफ करने का आदेश जारी किया था। इस पर सरकार ने ईकोग्रीन कंपनी पर कोई सख्ती नहीं की, उलटे दिसंबर 2022 मे शहर में ही कूड़ा निस्तारण केंद्र खोलने का फैसला ले लिया।

इसके तहत फरीदाबाद में मुजेड़ी, प्रतापगढ़, रिवाजपुर और सोतई गांव के नजदीक कचरा निस्तारण प्लांट लगाने की घोषणा कर दी गई। इन गांवों में रहने वालों ने कचरा निस्तारण संयंत्र लगाए जाने से इलाके में वायु प्रदूषण, कैंसर जैसे गंभीर रोग फैलने, लीचेट के कारण कृषि भूमि खराब होने, भारी वाहनों का आवागमन बढऩे से हादसे होने की आशंका जताते हुए तगड़ा विरोध किया था। विरोध के कारण रिवाजपुर मेंं कचरा निस्तारण संयंत्र लगाना टालना पड़ा।

एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए सरकार को अब आठ माह में बंधवाड़ी को पूर्णतया कचरा मुक्त करना है। वर्तमान में वहां 22 लाख टन कूड़े का ढेर लगा हुआ है। ईकोग्रीन द्वारा लगाए गए कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए सरकार तीन एजेंसियों की सेवाएं लेने जा रही है, ये कंपनियां आठ माह में 22 लाख टन कचरा समेटने के लिए सरकार से कई सौ करोड़ रुपये वसूलेंगी। सरकार इसके लिए ईकोग्रीन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही, इसका कारण ईकोग्रीन कंपनी का प्रबंधन देखने वाले अग्रवाल परिवार का संघ-भाजपा का करीबी होना बताया जा रहा है।

बंधवाड़ी में कचरा डालना बंद होने के कारण अब शहर में ही कचरा निस्तारण किया जाना है। प्रतापगढ़ में लोगों के कड़े विरोध के बावजूद मंगलवार से भारी पुलिस बल लगाकर कचरा निस्तारण साइट का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया। नगर निगम के कार्यकारी अभियंता पद्मभूषण नासवा के मुताबिक फरवरी के अंत तक यहां कचरा निस्तारण शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही मुजेड़ी में कचरा अलग करने के लिए ट्रामल मशीन लगाई गई है। इस संयंत्र में प्रतिदिन लगभग 150 टन कूड़े का प्रबंधन किया जाएगा।

सुधी पाठक जान लें कि शहर से प्रतिदिन 900 टन से अधिक कूड़ा निकलता है। वर्तमान में केवल 150 टन कूड़ा निस्तारण की ही क्षमता है यानी प्रतिदिन करीब 750 टन कचरे का ढेर इकट्ठा  किया जा रहा है। यदि फरवरी के अंत तक प्रतापगढ़ केंद्र में निस्तारण भी शुरू हो भी जाता है तब तक शहर में 42,750 टन कचरा जमा हो चुका होगा। बताया जा रहा है कि प्रतापगढ़में प्रतिदिन लगभग 250 टन कचरा निस्तारित किया जाएगा। इस आधार पर प्रतिदिन करीब पांच सौ टन कचरा इकट्ठा जाएगा, यानी एक साल में 1,82,500 टन कचरे का पहाड़ खड़ा हो जाएगा और ये सब ईकोग्रीन कंपनी का कचरे से बिजली बनाने में नाकाम होने के कारण होगा। ईकोग्रीन के झूठ का ढोल तो उसके काम शुरू करने के कुछ समय बाद ही फट गया था लेकिन इसका ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर अपनी असफलता को छिपाने के लिए ईकोग्रीन की हर नाकामी पर भी पर्दा डालने में जुटे हैं।

समझने वाली बात यह है कि कचरे से बिजली बनाना, खाद बनाना कोई नयी व अजीब बात नहीं है और न ही गैर वैज्ञानिक है, पूरी दुनिया में वैज्ञानिक विधि से यह काम किया भी जा रहा है और तो और इसी देश के शहर बंगलुरू में यह काम सफलतापूर्वक किया भी जा रहा है। हाल ही में चीफ सेक्रेटरी ने कहा है कि कूड़ा निस्तारण के लिए 126 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। दुनिया भर में तो इस कूड़े का इस्तेमाल खाद, बिजली बनाकर, प्लास्टिक की सडक़ें तैयार कर कमाई की जा रही है और खट्टर सरकार के ‘होशियार’ अधिकारी कूड़ा प्रबंधन के नाम पर पहले ही सैकड़ों करोड़ बर्बाद कर चुके हैं, और अब फिर सैकड़ो करोड़ डकारने की तैयारी की जा रही है। दरअसल ये सब कूड़ा प्रबंधन के नाम लूट कमाई का खेल है, होना वही है जो होता आ रहा है। जब नीयत सही न हो नस नस में बेईमानी और लूट भरी हो तो कितने ही सैकड़ा करोड़ लगा लो करना इन लोगों ने कुछ नहीं है। दरअसल, समस्या यह है कि जब यह काम उन अनपढ़ लोगों के हाथ में आ जाए जिन्हें न तो तकनीक का कोई ज्ञान है न ही काम का सिरे चढ़ाने की इच्छाशक्ति है और उददेश्य केवल अपनी जेबें भरना हो, वहां बंधवाड़ी जैसे ढेरों का लगना स्वाभाविक ही है।

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Mazdoor Morcha
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