मज़दूर मोर्चा ब्यूरो वाहनों की तेज गति के लिए सरकार हाईवे तो बना रही है लेकिन चालकों की सुरक्षा एवं संरक्षा के उसके दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। सडक़ हादसे में शिकार लोगों की मृत्युदर कम करने के लिए सरकार गोल्डन ऑवर का झुनझुना तो बजा रही है लेकिन सच्चाई ये है कि घायल को हादसे के पहले घंटे में प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाता। कल्याणकारी से लुटेरी बनी सरकार इन हादसों में भी दोषी चालकों से सात लाख रुपये जुर्माना वसूलने की तैयारी कर रही है लेकिन सडक़ और यातायात प्रणालियों में सुधार करने को गंभीर नहीं है। मोटा टोल शुल्क अदा कर हाईवे पर यात्रा करने वालों की सुरक्षा एवं सुरक्षा के प्रति सरकार कितनी गंभीर है ये गुडग़ांव में रहने वाली महिला सौम्या माथुर के साथ हुई घटना में उजागर हुआ। सौम्या 25 दिसंबर 2023 को गुडग़ांव से पलवल गई थी। लौटते समय कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे पर एक युवक पत्नी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ बाइक पर उनकी कार के आगे चल रहा था। उनके अनुसार शायद सडक़ में किसी गड़बड़ी के चलते युवक ने अचानक अगली ब्रेक दबा दी जिससे उसकी बाइक अनियंत्रित होकर फिसल गई। युवक बाइक समेत ग्रिल से जा टकराया और उसका पैर बुरी तरह टूट गया। हादसे में बच्चे का एक दांत टूट गया और उसका मुंह लहूलुहान हो गया, महिला को हल्की फुल्की खरोंचें आईं। पीछे चल रही सौम्या ने तुरंत कार रोक कर 112 और एनएचएआई के टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1033 पर कॉल कर मदद मांगी। डीजीपी शत्रुजीत कपूर का दावा है कि 112 नंबर पर कॉल करने पर तीन से आठ मिनट के बीच मदद पहुंचेगी।
महिला के मुताबिक सूचना देने के बाद उन्होंने लगातार इन नंबरों पर फोन कर जानकारी ली तो हर बार पांच मिनट में मदद पहुंचने का दावा किया गया। सूचना देने के करीब चालीस मिनट बाद मौके पर पुलिस और 112 एंबुलेंस पहुंची। एंबुलेंस में घायल को उठाने के लिए न तो पोर्टेबल स्ट्रेचर था और न ही प्राथमिक उपचार देने के लिए स्टाफ व कोई और सौदा। मौके पर मौजूद लोगों ने घायल युवक को उठा कर एंबुलेंस में लादा। करीब चालीस मिनट बाद आई एंबुलेंस ने घायल को करीबी अस्पताल तक पहुंचाने में भी इतना ही समय लिया होगा। सौम्या के अनुसार यदि उन्हें मालूम होता कि एंबुलेंस आने में इतना समय लगेगा और उसमें कोई सुविधा नहीं होगी तो वह घायल को खुद ही अपनी कार में डाल कर अस्पताल पहुंचा देतीं, इतना समय तो खराब न होता। अव्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन को इस तरह के झूठे दावे नहीं करने चाहिए।
वाहनों से देशभर में प्रतिदिन अरबों रुपये टोल टैक्स वसूलने वाली एनएचएआई इसके एवज में हाइवे पर एंबुलेंस और टोविंग वाहन तैनाती के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है। एनएचएआई ने एक्सप्रेस वे पर वाहनों की गति तो बढ़ाकर 100 से 120 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी लेकिन सडक़ों की हालत तो इस गति के लायक नहीं बनाई। ऐसे में ज्यादा हादसे होना स्वाभाविक है। ऐसे में एक्सप्रेस वे पर चौबीस घंटे पीसीआर वैन, एनएचएआई की एंंबुलेंस, टोविंग वैन और पैट्रोल वैन मौजूद रहनी चाहिए। घटना के चालीस मिनट बाद 112 एंबुलेंस मौके पर पहुंची। यदि एक्सप्रेस वे पर एनएचएआई की एंबुलेंस मौजूद होती तो अधिकतम दस मिनट में मौके पर पहुंच सकती थी। एनएचएआई की एंबुलेंस और पैट्रोल वैन मौके पर नहीं पहुंचना बताता है कि टोल तो वसूला जा रहा है लेकिन वाहन और वाहन चालकों की सुविधा के नाम पर कागजों पर खर्च किया जा रहा है। इस घटना में किसी भी वाहन का न होना एनएचएआई, सरकार और पुलिस की मुस्तैदी की पोल खोलता दिखाई देता है।
एक्सप्रेस वे पर बाइक प्रतिबंधित है, जब अन्य हाईवे व सडक़ों पर बाइक चलाई जा सकती है तो एक्सप्रेस वे पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है? अधिकारियों को जवाब होता है कि अधिकतम गति सीमा 100-120 किलोमीटर प्रतिघंटा होने के कारण हादसे रोकने के लिए यह व्यवस्था की गई है। दूसरा कारण दो पहिया-चार पहिया वाहनों की की हाइब्रिङ्क्षडंग होना बताया जाता है, यानी तीव्र गति से चल रहे भारी वाहनों के बीच दो पहिया वाहन असंगत तरीके से चलते हैं, इसलिए उन्हेंं प्रतिबंधित किया जाता है।
जरूरी नहीं कि हर वाहन 100-120 की गति से ही चले, चार पहिया वाहन साठ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलते हैं और 120 पर भी। इसी तरह कई बाइकें भी 120 या उससे ज्यादा गति से चलती हैं। दूसरे, हादसे तो किसी भी सडक़ पर हो सकते हैं और होते भी हैं, तो क्या उन पर भी बाइकें प्रतिबंधित कर दी जाएं। यदि एक्सप्रेस वे पर बाइक प्रतिबंधित हैं तो बाइकों के लिए क्या इतना बेहतर कोई वैकल्पिक राजमार्ग बनाया गया है। यदि नहीं तो उन्हें इस सुविधा से क्यों वंचित किया जा रहा है। इस एक्सप्रेेस वे पर दोपहिया वाहनों की अलग लेन भी बनाई जा सकती है।
समाजसेवी सुरेश गोयल कहते हैं कि हाईवे पर बाइक सवारों से टोल शुल्क नहीं वसूला जाता लेकिन एक्सप्रेस वे पर हर वाहन से शुल्क वसूलने का लक्ष्य रखा गया है यही कारण है कि मुफ्त में चलने वाली बाइक को यहां प्रतिबंधित कर दिया गया है जो कि अनुचित है। इतना ही नहीं बदरपुर जैसे फ्लाईओवर पर भी बाइक को चढऩे से रोका जाता है, इसका औचित्य समझ से बाहर है।