फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हरियाणा की खट्टर सरकार ने लगता है कि बच्चों को न पढऩे देने की कसम खा रखी है। इतना ही नहीं शिक्षा के नाम पर बने बजट को भी जरूर डकारना है। इसी नीति के चलते बजाय स्कूल खोलने व उनमें पर्याप्त शिक्षण स्टाफ लगाने के, खट्टर ने गत वर्ष ई-अधिनियम बनाकर सैंकड़ों करोड़ के टैबलेट की खरीदारी कराई थी। वास्तव में बच्चों की पढ़ाई के नाम पर की गई 1100 करोड़ की खरीदारी केवल मोटे कमीशनखोरी के लिये की गई थी।
‘मज़दूर मोर्चा’ ने इस विषय पर दिनांक 19-25 फरवरी 2023 को ‘छात्रों को मुफ्त बांटे गए टैबलेट्स वापस मांग रही खट्टर सरकार, न लौटाने वालों को रोल नंबर न देने की धमकी’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में होने वाले इस संभावित घोटाले के बाबत विस्तृत जानकारी दे दी थी। जिसका कुछ अंश बॉक्स में दिया जा रहा है: वही तथ्य अब सरकारी तौर पर धीरे-धीरे सामने लाये जा रहे हैं। अभी बताया जा रहा है कि 100 से अधिक टैबलेट के सॉफ्टवेयर में खामियां पाईं गई हैं। समझने वाली बात यह है कि जिस कंपनी ने 100 टैबलेट में यह सॉफ्टवेयर डाला है, उसी ने तो बाकी सब में डाला है। मतलब स्पष्ट है कि सभी टैबलेट का सॉफ्टवेयर गड़बड़ है। इसी तरह अनेकों टैबलेट के सिम कार्ड में भी खामियां बताई जा रही हैं। अनेकों टैबलेट टूट चुके हैं और चोरी हो चुके हैं। अब इन मामलों की खोज खबर लेकर विभागीय जिला अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेजी जाने पर स्टाफ लगा हुआ है; यानी कि एक और फालतू का काम बढ़ गया।
जिन गरीब बच्चों को स्कूलों में बैठने के लिये पर्याप्त स्थान व पढ़ाने के लिये आवश्यक स्टाफ सरकार दे न सकी, उनके हाथों में कीमती टैबलेट थमा कर उनसे अपेक्षा की गई थी कि वे इनके द्वारा ही स्वत: अपनी पढ़ाई कर लेंगे। यह स्पष्ट रूप से असम्भव दिख रहा था और वही अब साबित भी हो चुका है। एक और मजे की बात तो यह भी है कि टैबलेटों के टूटने, गुम होने अथवा चोरी होने के मामलों के लिये सम्बन्धित स्कूलों के प्रधानाचार्यों को दोषी ठहराये जाने की योजना है। जाहिर है कि बिना कोई दोष किये जब निर्दोष प्रधानाचार्यों को दोषी ठहराया जाएगा तो उनका संगठन भी शिक्षण कार्य छोडक़र संघर्ष करने पर उतारू होगा।
दरअसल टैबलेट बांटने के पीछे सरकार का उद्देश्य छात्रों का उत्थान करना नहीं था। असल उद्देश्य तो 8 हजार रुपये के टैबलेट की खरीदारी 17 हजार में दिखा कर मोटा माल मारना रहा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार खट्टर के जन्मदिन पर उपहार स्वरूप ये टैबलेट्स केवल 10वीं तथा 12वीं के बच्चों को ही दिये गये थे, परन्तु मोटी लूट कमाई से उत्साहित होकर बाद में 9वीं तथा 11वीं के बच्चों को भी ये टैबलेट्स बांटे गये थे। यद्यपि इस खरीदारी से सम्बन्धित खर्चे की तमाम फाइलों को छिपा कर रखा गया है। जानकारों का अनुमान है कि इस पर सरकार का 1100 करोड़ रुपये खर्च दिखाया गया है।