फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानिंग (डीटीपी) एन्फोर्समेंट विभाग भी अवैध या अनुचित निर्माणों पर चुन चुन कर कार्रवाई करता है। निर्माण कराने वाले के लिए नियमों का पालन करना उतना जरूरी नहीं है जितना जरूरी डीटीपी को ‘खुश’ करना। डीटीपी को खुश करने के बाद अवैध तो क्या अतिरिक्त निर्माण यहां तक कि अतिक्रमण भी नियमानुसार हो जाते हैं। यदि डीटीपी खुश नहीं तो फिर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई में देर नहीं लगती। इससे पहले एक बीच का रास्ता भी रहता है, वो है एफआईआर का। असंतुष्ट डीटीपी की ओर से अवैध निर्माण की एफआईआर दर्ज कराई जाती है। इसके बाद निर्माणकर्ता को डीटीपी से लेकर पुलिस को खुश करना पड़ता है। संतुष्ट होने के बाद पुलिस जांच चलती रहती है लेकिन निष्कर्ष तक कभी पहुंच नहीं पाती और डीटीपी भी केस की पैरवी नहीं करते।
वर्तमान मेँ ग्रीन फील्ड कॉलोनी अवैध निर्माण का हॉट स्पॉट बनी हुई है। यहां शॉपिंग कॉप्लेक्स पर अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है। चौथी मंजिल के निर्माण पर अभी तक सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन यहां चार मंजिला इमारतें धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं। यही नहीं फ्लैटों मेें भी अतिरिक्त क्षेत्र कवर कर निर्माण किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि डीटीपी एन्फोर्समेंट को इन निर्माणों की जानकारी न हो। गाहे-ब-गाहे वो यहां कार्रवाई करते रहते हैं। 20 फरवरी 2023 को उन्होंने प्लॉट नंबर 412 की मालकिन रोशनी के खिलाफ थाना सूरजकुंड मेंं नॉन कंपाउंडेबल एरिया में निर्माण कराने की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस की ‘जांच जारी’ है और जारी ही रहेगी जबकि सब कुछ सामने दिख रहा है। डीटीपी एन्फोर्समेंट कार्यालय के जानकार बताते हैं कि कार्रवाई अधिकतर व्यक्तिगत भवन निर्माण कराने वालों के खिलाफ ही की जाती है, बिल्डर और भूमाफिया के निर्माण पर नहीं। इस तरह कार्रवाई का रिकॉर्ड मेनटेन किया जाता है और मलाई खिलाने वाले बिल्डर भूमाफिया को बचाया जाता है। बिल्डर-भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का दूसरा कारण उनका मंत्री और राजनेताओं का आशीर्वाद प्राप्त होना भी है। वर्तमान में ग्रीन फील्ड कॉलोनी के प्लॉट नंबर 651 बी में स्थित शॉपिंग कॉप्लेक्स की ऊपरी मंजिल पर नया निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह प्लॉट – 1744, 1733, बी-269, 2532 के निमार्णाधीन फ्लैटों में अतिरिक्त घेराव करके स्नानघर-शौचालय बनाए गए हैं। ऐसा नहीं है कि डीटीपी एन्फोर्समेंट राजेंद्र शर्मा को इसकी जानकारी नहीं है लेकिन देखना ये है कि वो तोडफ़ोड़ की कार्रवाई करते हैं या सौेदेबाजी के बाद एफआईआर से भी मामले को ढंक देते हैं।
समझने वाली बात यह है कि लूट कमाई का यह धंधा कोई भी डीटीपी केवल अपने बूते पर नहीं चला सकता। इसके लिए उसे अपने ऊपर बैठे उच्चाधिकारियों एवं राजनेताओं का संरक्षण मिलते रहना अति आवश्यक है। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि इस तरह की लूट कमाई वाली तैनाती पाने के लिए भी अच्छा खासा चढ़ावा देना पड़ता है। यदि सरकार की नीयत सही हो और सरकार चलाने वालों की इस लूट में हिस्सेदारी न हो तो ऐसे अफसरों के खिलाफ पहली सूचना मिलते ही तुरंत कड़ी कार्रवाई कर दी जाए तो फिर कोई न तो अवैध निर्माण होगा और न ही इन पदों पर चढ़ावे चढ़ाने की कोई जरूरत समझेगा। कुल मिलाकर जितने भी अवैध निर्माणों द्वारा शहर का सत्यानाश किया जा रहा है वह सब शासकों द्वारा ही कराया जा रहा है।