हू्डा सर्वे ब्रांच की लूट हुई उजागर, अधिकारियों ने अपनी सीटों पर बैठा रखी हैं युवतियां

हू्डा सर्वे ब्रांच की लूट हुई उजागर, अधिकारियों ने अपनी सीटों पर बैठा रखी हैं युवतियां
December 25 16:17 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) । ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम मनोहर लाल खट्टर के विभाग हूडा में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। सरकार द्वारा तैनात चार जेई अपना काम प्राइवेट लड़कियों से करवाते रहे और पकड़े जाने पर अधिकारी इन लड़कियों और जेई का बचाव करते नजर आए, तो समझा जा सकता है कि इन सीटों से की जा रही लूट कमाई का हिस्सा कहां तक पहुंचता होगा। यहां तक कि आरोपी जेई और उनकी सीट पर काम करने वाली लड़कियों के नाम तक छिपाए जा रहे हैं।

हूडा की सर्वे शाखा में वर्तमान में नरेश, प्रेम, विजय अधाना, योगेश वशिष्ठ, विजय कुमार राठौर, रविंदर जाखड़ और शैलेंदर जेई के पद पर तैनात हैं। सर्वे विभाग सबसे मोटी कमाई वाला माना जाता है। यहां जेई को बिना मोटा चढ़ावा चढ़ाए भवन कंप्लीशन सर्टिफिकेट पाना लगभग नामुमकिन होता है। अवैध निर्माण, अतिरिक्त निर्माण, अतिक्रमण करने की सुविधा भी जेई को मोटा सुविधा शुल्क चुकाकर हासिल की जा सकती है। मोटी कमाई वाले इस विभाग में तैनाती भी उच्च अधिकारियों और राजनेताओं के चहेतों को ही मिल पाती है। तैनाती पाने वाले ये अधिकारी हर महीने ऊपर तक तगड़ा शुकराना पहुंचा कर पद पर बने रहते हैं।

सर्वे शाखा के जेई लूट कमाई के लिए सेक्टरों में घूम-घूम कर निर्माण कार्यों पर नजर रखते हैं। अधिक कमाई के लिए पूरे समय फील्ड पर रहते हैं, उनके न रहने से कार्यालय के काम रुकते हैं। इसलिए चार जेई ने गैर कानूनी ढंग से दो लड़कियों को अपनी सीट पर बैठा दिया। विभाग और सरकार की ओर से जारी की गई गोपनीय लॉगइन आईडी भी इन लड़कियों को इस्तेमाल करने के लिए देने का आपराधिक कार्य किया। एसडीओ सर्वे राजेंदर, संपदा अधिकारी सिद्धार्थ दहिया और एडमिनिस्ट्रेटर गरिमा मित्तल को इसकी जानकारी न हो ये मुमकिन नहीं। क्योंकि एक जेई एक ही समय में फील्ड वर्क और कार्यालय का काम नहीं कर सकता। रजिस्टर में फील्ड पर जाना दर्ज कर ही कार्यालय छोडऩे का नियम है। फील्ड वर्क के दौरान यदि उनकी आईडी पर आवेदनों का निस्तारण हो रहा है तो स्पष्ट है कि इनकी जगह कोई दूसरा काम कर रहा है। ये खेल करीब दो साल से चल रहा था और मोटी कमाई में हिस्सा पा रहे अधिकारी चुप्पी साधे थे।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट में भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायत पर डीएसपी सीएम फ्लाइंग मनीष सहगल ने शुक्रवार 15 दिसंबर को सर्वे शाखा में छापा मारा। यहां दो युवतियां कंप्यूटर पर काम करते हुए मिलीं। उनका पद और कार्य पूछा गया तो उन्होंने अपने नाम योगेश्वरी और संध्या बताए। दोनों ने बताया कि उन्हें जेई ने निजी तौर पर रखा है, वे कंप्यूटर में जेई की आईडी लॉगइन कर उनकी जगह काम करती हैं। सरकारी कार्यालय में अनधिकृत रूप से बाहरी व्यक्ति का काम करना गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है, यह जानने के बावजूद इस साजिश में शामिल अधिकारियों ने लीपापोती करने की कोशिश की। सफाई दी गई कि पहले ठेके पर कर्मचारी लगे थे। दो साल पहले सबको हटा दिया गया था लेकिन ये दो लड़कियां बिना विभागीय अनुमति के काम करती रहीं। लड़कियों ने बताया कि जेई ही अपने पास से उन्हें वेतन देते हैं। जाहिर है कि जेई अपनी तनख्वाह में से तो इन लड़कियों को कुछ देने से रहे, ऊपर से होने वाली कमाई मे से छोटा सा हिस्सा ही उन्हें वेतन के रूप में दिया जाता होगा।

धोखाधड़ी का इतना बड़ा मामला पाए जाने के बावजूद डीएसपी सहगल ने जेई, लड़कियों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराना जरूरी नहीं समझा, कार्रवाई के नाम पर कुछ दस्तावेज लेकर चलते बने। इन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, इंपरसोनेशन का केस बनता है, साथ ही संपदा अधिकारी और हूडा प्रशासक पर जानते बूझते हुए इनका साथ देने के लिए आपराधिक षणयंत्र में शामिल होने का केस बनता है। लेकिन डीएसपी केस दर्ज करवाते तो कैसे? सरकार ने उन्हें ये अधिकार ही नहीं दे रखा है। उनका काम तो बस जांच कर रिपोर्ट ऊपर भेजना होता है। ऊपर बैठे लोग इस रिपोर्ट के आधार पर सौदेबाजी करते हैं, फिर केस का क्या होता है पता नहीं चलता। सीएम फ्लाइंग द्वारा आज तक पकड़े गए शायद ही किसी मामले मेें दोषी या आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई हो।

डीएसपी मनीष सहगल ने बताया कि अभी दस्तावेजों की जांच चल रही है जांच पूरी होने के बाद ही वह कु़छ बता पाएंगे। जांच तो हो ही गई है लेकिन विस्तृत जांच के नाम पर केस को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है।

संपदा अधिकारी सिद्धार्थ दहिया ने बताया कि युवतियां बिना विभागीय अनुमति के काम कर रही हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी, सभी कनिष्ठ अभियंताओं को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया है, जवाब मिलने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है। यदि संपदा अधिकारी को जानकारी नहीं है तो इस पद पर बैठे क्यों हैं, सिर्फ लूट कमाई की मलाई खाने ही बैठे हैं क्या? संपदा अधिकारी विभागीय अनुमति की बात कह कर वरगला रहे हैं, जेई तो क्या किसी भी सरकारी पद पर तैनात व्यक्ति के अलावा उसकी जगह निजी व्यक्ति से काम कराया जाना स्पष्ट रूप से गैर कानूनी है। ऐसे में विभागीय अनुमति का सवाल ही नहीं पैदा होता। संपदा अधिकारियों का दोषियों को बचाना बताता है कि इस साजिश में वह भी शामिल हैं। युवतियां लगभग दो साल से काम कर रही हैं और अधिकारियों को इसका पता नहीं था इसका अर्थ तो ये हुआ कि विभाग में क्या काला सफेद हो रहा है अधिकारियों को इससे कोई मतलब ही नहीं है जो कि नामुकिन है। समझा जा सकता है कि ये लड़कियां अपने वेतन के साथ ही आला अधिकारियों की जुबान बंद रखने तक मोटी कमाई इसी सीट पर बैठ कर करती थीं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles