‘वमानी ओवरसीज’ के मज़दूर आंदोलन की राह पर क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा

‘वमानी ओवरसीज’ के मज़दूर आंदोलन की राह पर क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा
October 30 11:57 2023

“मैं उसी फैक्ट्री का इंस्पेक्शन करने में सक्षम हूं, जहां मज़दूरों की कुल तादाद 250 से नीचे हो। ‘वमानी ओवरसीज’ में तो 600 से ज्यादा मज़दूर काम करते हैं। इसलिए आपकी शिकायत जिसमें कई गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं श्रम उपायुक्त फऱीदाबाद को भेज रहा हूँ “, पलवल श्रम सहायक आयुक्त ने 25 तारीख की ‘वमानी मज़दूर संघर्ष समिति’ तथा ‘वमानी ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली-मथुरा रोड, गांव पृथला, जि़ला पलवल’, की त्रिपक्षीय मीटिंग 5 मिनट में ही निबटा दी। श्रम उपायुक्त फऱीदाबाद ने फ़ोन पर कहा “आप सब लोग 27 तारीख को 11 बजे मेरे चेंबर में आ जाओ, ये मामला मैं देखूंगा।”

जैसे ही फऱीदाबाद के कारखानेदारों को मालूम पड़ता है कि उनके मज़दूर संगठित होने लगे हैं, कहीं मीटिंग कर रहे हैं; वे इस तरह बौखला जाते हैं जैसे उनका राज-पाट छिनने जा रहा है। ‘किसकी जुर्रत हुई कि हम मालिकों से सवाल करे, हमारी हुकम अदूली करे, ये किसने बग़ावत की जुर्रत की!!’ मज़दूरों को यूनियन बनाने का अधिकार भले 1926 में ‘ट्रेड यूनियन एक्ट’ द्वारा मिल गया हो फरीदाबादी सरमाएदार उस क़ानून को मानने को तैयार नहीं। 25 तारीख को वैसे ही पीड़ादायक समाचार मिलते रहे। मज़दूर कार्यकर्ता दीपक यादव को धमकाया, धमकियां दीं, कारखाने से बाहर नहीं निकलने दिया गया। शाम को मेनेजर के बगल में खड़े होकर उसे ये घोषणा करते सुना गया, ‘हमारा समझौता हो गया हमें कोई यूनियन नहीं बनानी’। इस घोषणा से गुस्साए मज़दूर शाम को फिर उसी जगह मिले जहां 20 तारीख को मिले थे। सबने ऐलान किया कि या तो दीपक सभा में आकर यह बताए कि क्या समझौता हुआ, उसे किसने धमकाया वरना हम समझेंगे कि वह बिक गया और न्याय पाने की हमारी तहरीक़ जारी रहेगी।

20 अक्टूबर दक्षिण हरियाणा के मज़दूर आंदोलन में एक यादगार दिन रहा जब 1908 में स्थापित, ‘वमानी ओवरसीज’, कंपनी में काम कर रहे 400 से भी अधिक मज़दूरों ने हर रोज़ हो रहे शोषण, दमन, उत्पीडऩ तथा मालिकों द्वारा देश के सभी श्रम क़ानूनों की उड़ाई जा रहीं धज्जियों से तंग आकर संघर्ष का बिगुल फूंक दिया। काम बंद कर बल्लभगढ़ स्थित जेसीबी फैक्ट्री के सामने सेक्टर 25 के पार्क में जमा हो गए और नारे लगाने लगे। असंगठित मज़दूर भी सचेत थे कि उनके आंदोलन से किसी नागरिक को कोई असुविधा ना हो इसीलिए कुछ आक्रोशित मज़दूरों का यह प्रस्ताव कि प्रदर्शन देश के प्रमुख और व्यस्त हाइवे मथुरा रोड पर किया जाए को ध्वनिमत से ठुकरा दिया गया। ‘हमारे आंदोलन से आने-जाने वाले लोग क्यों मुसीबत भुगतें’।

गुस्से में तमतमाए मज़दूरों में कुछ मज़दूर आज़ाद नगर, सेक्टर 24, फऱीदाबाद के रहने वाले भी थे। वे जानते थे कि न्याय पाने की उनकी लड़ाई को ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ सही नेतृत्व दे सकता है। उन्होंने मोर्चे के अध्यक्ष कॉमरेड नरेश को फोन कर सारी जानकारी दी। वे तुरंत अपनी टीम के साथ आंदोलन स्थल पर पहुंच गए और महासचिव कॉमरेड सत्यवीर सिंह को भी तुरंत वहां पहुंचने को कहा। मज़दूरों ने स्वयं, बैठने के लिए दरियां और पीने के पानी की व्यवस्था कर ली थी। आकाश में गूंजते आक्रोशित नारों क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के लहराते लाल झंडों, बैनर के बीच ज़ोरदार तकऱीरों का दौर शुरू हो गया। एक-एक कर मज़दूर जिनमें कई महिलाएं भी मौजूद थीं, फैक्ट्री में अपने शोषण-उत्पीडऩ की दास्तां सुनाने लगे।

“महिलाओं की चेकिंग पुरुष गार्ड करते हैं, रात में 2 बजे तक ज़बरदस्ती ओवरटाइम कराया जाता है, मना करने पर, ‘इस्तीफा दो और भागो’ कहकर धमकाया जाता है। पुलिस में शिकायत करेंगे कहने पर ‘जो मजदूरी  करो’ कहकर हडक़ाया जाता है, ओवरटाइम भुगतान रजिस्टर पर डबल रेट से लिखी मज़दूरी पर दस्तख़त कराकर सिंगल रेट से ही भुगतान कराया जाता है, दूर प्रांत के रहने वाले मज़दूर जब अपने मूल निवास जाते हैं और किसी वजह से छुट्टी बढ़ा लेते हैं तो उन्हें फिर से अपरेंटिस की जगह काम पर लगाया जाता है, सुपरवाइजर मुर्गा और बोतल मांगते हैं, खाने के टिफिऩ को खोलकर, सूंघकर चेक किया जाता है, जूते उतरवाए जाते हैं, बात-बात पर झिड़कियां, दुत्कारें सहनी होती हैं, तीन महीने पहले एक मज़दूर का पूरा हाथ मशीन में कट गया था कोई मुआवज़ा नहीं मिला। वे वहां मौजूद थे, कटा हुआ हाथ दिखा रहे थे..”. सुनकर समझ आया, मोदी किस तरह का ‘अमृत काल ला रहे हैं।

‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ की टीम के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही, मज़दूर इस संगठन से जुडऩे का फ़ैसला कर चुके थे। संगठन की ओर से कामरेड्स नरेश, सत्यवीर सिंह, रिम्पी और राजेश जो इसी कंपनी में काम करते हैं, ने अपने विचार रखे। “आप लोग अभी तक असंगठित थे अब, ‘वमानी मज़दूर संघर्ष समिति’ के झंडे के तले संगठित हो चुके हैं जो ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ से सम्बद्ध है। मोदी-खट्टर के डबल इंजन वाले भाजपा शासन की हकीक़त है कि नागरिक संवैधानिक या श्रम कैसा भी अधिकार हो, सब कि़ताबों में इसी तरह लिखे रहेंगे, लेकिन लागू कुछ भी नहीं होगा। मालिकों को अपनी मनमानी करने की आज़ादी होगी। लोगों को वे अधिकार ही उपलब्ध होंगे जिन्हें हांसिल करने की पीडि़त समुदाय में हिम्मत होगी। ठीक वैसे ही जैसे देश के किसान मोदी सरकार की छाती पर बैठकर हासिल कर चुके हैं। इसीलिए मोदी सरकार 44 श्रम क़ानूनों को छीनकर 4 लेबर कोड लाने के एजेंडे पर ज़ोर नहीं दे रही। फासिस्ट हुकूमतें ऐसे ही चलती हैं; ‘जो करो, वह कहो मत और जो कहो, वह करो मत’!”

सभा पूरी तरह शांतिपूर्ण तथा अनुशासित रही। मज़दूरों की आवाज़ तल्ख़ थी लेकिन मालिकों को कोई अपशब्द नहीं बोला गया। फऱीदाबाद के सहायक श्रमायुक्त को मज़दूरों की आक्रोशपूर्ण सभा की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पृथला की ये फैक्ट्री चूंकि पलवल जि़ले में पड़ती है ये मुद्दा सहायक श्रमायुक्त पलवल देखेंगे। 5 मिनट बाद ही सहायक श्रमायुक्त पलवल, सुरेन्द्र सिंह जी का फ़ोन आ गया. उन्होंने भरोसा दिलाया कि मज़दूरों के साथ न्याय होगा और पलवल से श्रम इंस्पेक्टर को वहां भेज दिया गया है। लगभग आधे घंटे बाद श्रम इंस्पेक्टर पलवल, महेश चंद, श्रम इंस्पेक्टर फऱीदाबाद अमर सिंह, सभा में पहुंच गए।

श्रम इंस्पेक्टर, पलवल ने मज़दूरों को आश्वस्त किया, “आपकी जो भी मांगें हैं, हमें दे दो। मालिकों, मज़दूरों की मीटिंग पलवल श्रम कार्यालय में बुलाई जाएगी। उन्होंने यह भी गारंटी ली कि सभा आयोजित कर संगठन बनाने के लिए किसी भी मज़दूर के साथ बदले की भावना से कार्यवाही नहीं होगी’। हालांक मज़दूर चाहते थे कि ये आशवासन उन्हें, कंपनी के प्रबंधन की तरफ से मिले। श्रम इंस्पेक्टर पलवल ने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारीयों को सभा में बुलाया। तब तक मज़दूरों ने अपनी मांगें तैयार कर लीं जिसकी सॉफ्ट कॉपी कंपनी प्रबंधन तथा श्रम इंस्पेक्टर को उसी वक़्त उपलब्ध करा दी गई। कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधकों ने भी मज़दूरों को आश्वस्त किया कि बुधवार 25 अक्टूबर को 2:30 बजे पलवल श्रम कार्यालय में त्रिपक्षीय मीटिंग कर सभी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और किसी भी मज़दूर के विरुद्ध बदले की भावना से कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी अपेक्षा की कि मज़दूरों को भी अगले दिन अर्थात 21 अक्टूबर से ही काम पर आकर मन लगाकर काम में लग जाना चाहिए। मज़दूर तब से काम पर हैं, अपनी बात पर अटल हैं लेकिन मीटिंग से झल्लाए मालिकों ने अपने आश्वासनों को धता बताते हुए अगले दिन से ही मज़दूरों के मोबाइल ले जाने पर पाबन्दी लगा दी, जबकि पहले ऐसा नहीं था। साथ ही लेट आने पर मज़दूरों को वापस लौटा दिया गया। इतना ही नहीं मज़दूर कार्यकर्ता दीपक यादव को 24 अक्टूबर को कंपनी के सीईओ सुशील कुमार सिंह, द्वारा धमकाया गया, ‘मैं अभी-अभी लन्दन से आया हूंं मुझे पता चला है कि तू बहुत बड़ा नेता बन रहा है। सुधर जा जैसे चल रहा है चलने दे वरना हमें समझाने के और भी तरीक़े आते हैं। और ये जो तेरा ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ है उससे दूर हट जा। उन्हें या तो हम भगा देंगे या खऱीद लेंगे लेकिन तुम जितने भी क्रांतिकारी बने फिर रहे हो इन्हें एक-एक कर ठीक कराएंगे। हमसे पंगा मत लो, पछताओगे”। इस महाबली सीईओ को ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ के बारे में जानकारी मिली है उसने इसे बेचैन कर दिया है।

बिलकुल ऐसी ही घुडक़ी लखानी कंपनी के तथाकथित धाकड़ महाप्रबंधक से भी मिली थी। जब उसी भाषा में जवाब मिला और घटिया हरकतों से कोई फर्क़ पड़ता नजऱ नहीं आया तब लखानी ने मज़दूरों के साथ ही फऱीदाबाद के श्रम, भविष्यनिधि, ईएसआई अधिकारीयों का भी सम्मान करना शुरू कर दिया 1.15 करोड़ रु का बैंक ड्राफ्ट अदब के साथ भविष्यनिधि विभाग में जमा किया और श्रम विभाग को आश्वस्त किया कि मज़दूरों की पाई-पाई चुकाऊंगा।

सभा के अंत में ‘वमानी मजदूर संघर्ष समिति’ की 25 सदस्यीय कोर कमेटी का चुनाव हुआ। जो इस तरह है; राजेश कुमार, सुनील, भैरो नाथ, देवेंद्र कुमार, बिंदेश्वरी उर्फ मुन्ना, सुनील कुमार, अजीत कुमार, केदार नाथ, अमर बहादुर, राजू कुमार, दीपक कुमार, छोटू, बिनोद, त्रिलोक, दीपू, नरेश, मंचला देवी, रिम्पी, सत्यवीर सिंह, नरेश कुमार, सोनू, राम पुकार, राम नरेश, अर्जुन सिंह और रिंकू। कोर कमेटी की पहली मीटिंग सभास्थल पर ही संपन्न हुई जिसमें 25 तारीख को पलवल श्रम कार्यालय में होने वाली मीटिंग में भाग लेने के लिए 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का चुनाव हुआ। जो इस तरह है; दीपक, केदारनाथ, विनोद, देवेन्द्र, नरेश, सत्यवीर, त्रिलोक तथा राजू।।

कंपनी की वेबसाइट में उपलब्ध कंपनी प्रोफाइल शानदार है: स्थापना 2008; 5 कारखाने, 6,000 से ज्यादा मज़दूर, हर महीने 14 लाख पौशाक बनाने की क्षमता, 5,000 सिलाई मशीन, 50 डिज़ाइनर, हर महीने 1,500 से ज्यादा डिज़ाइन, 50,000 से ज्यादा पक्के ग्राहक। मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार सिंह, डायरेक्टर बलदेव राज भाटिया, राजकुमार भाटिया, विपेन कुमार भाटिया, मुकेश कुमार भाटिया, मीतेश भाटिया।
‘मांग पत्र’
1) कई सालों से वेतन पुनर्निर्धारण समझौता नहीं हुआ है। कुशल तथा अर्ध कुशल श्रमिकों को भी अकुशल श्रमिकों का वेतन मिल रहा है। वार्षिक वेतन वृद्धि क़ानून का भी कोई अनुपालन नहीं हो रहा है। बेतहाशा बढ़ती मंहगाई के मद्देनजऱ, द्विपक्षीय वार्ता द्वारा वेतन तथा सभी सम्बद्ध भत्तों आदि का पुनर्निर्धारण समझौता तत्काल किया जाए।
2) मज़दूरों को ओवर टाइम के लिए बाध्य किया जाता है। बंधुआ मज़दूरों की तरह देर रात तक ज़बरदस्ती काम कराया जाता है और उसका भुगतान डबल रेट से नहीं किया जाता। ये सरासर अन्याय ही नहीं बल्कि अपराध है। ओवरटाइम के लिए मज़दूरों से सहमति ली जाए तथा उसका भुगतान डबल रेट से हो।
3) बोनस का भुगतान कोई खैरात नहीं है। बोनस, मज़दूरों के वेतन के अनुरूप तथा कम से कम एक माह के वेतन के बराबर हो। बोनस का भुगतान शीघ्र किया जाए।
4) ड्यूटी का टाइम टेबल निश्चित हो, तथा इसे निश्चित जगह पर प्रदर्शित किया जाए।
5) ठेका श्रमिकों के नाम पर जिन मज़दूरों का शोषण हो रहा है उनके वेतन भत्ते आदि का भुगतान भी बाक़ी मज़दूरों के साथ ही किया जाए। इन मज़दूरों को भी नियमित किया जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘समान कार्य का समान वेतन’ दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
6) देश के सभी श्रम क़ानूनों का अनुपालन सुनिश्चित हो। उन्हीं के अनुसार सभी छुट्टियां, मज़दूरों के छुट्टी खाते में जमा हों। हम बहुत दु:ख के साथ कह रहे हैं, कि आपके कार्यालय ने इस बाबत, स्वत: संज्ञान लेकर कोई क़दम नहीं उठाया।
7) कैंटीन की सुविधा बस नाम-चार की है। इससे सम्बंधित बहुत शिकायतें हैं। कई बार एक दिन का बचा हुआ, बासी खाना अगले दिन परोसा जाता है। खाने, नाश्ते, चाय आदि का मूल्य भी कैंटीन के अनुरूप न होकर, बाज़ार भाव जैसा ही है। दो बार चाय मिले तथा खाने व नाश्ते की गुणवत्ता सुधारी जाए तथा मेन्यू की रेट लिस्ट का पुनर्निर्धारण तत्काल किया जाए। श्रम संस्कृति का सम्मान करते हुए इस सम्बन्ध में मज़दूरों की राय ली जाए। शिकायत के लिए अधिकारी का नाम तथा मोबाइल नंबर कैंटीन में प्रदर्शित किया जाए। चाय अवकाश कम से कम 15 मिनट का रहे।
8) सभी मज़दूरों को कंपनी की ओर से सीजन के अनुसार,यूनिफ़ॉर्म तथा जूते उपलब्ध कराए जाएंं।
9) मैेनेजर, सुपरवाइजर, सुरक्षा गार्ड द्वारा, मज़दूरों के प्रति अपमानजनक बर्ताव तुरंत बंद हो।
कई सुपरवाइजरों को मज़दूरों से मुर्गा और बोतल ऐठने की गंदी लत लगी हुई है, प्रबंधन ऐसे सुपरवाइजर की आदतें तत्काल सुधार। किसी भी अपमानजनक बर्ताव को मज़दूर सहन नहीं करेंगे, ये बात नोट की जाए।
10) पलवल के लिए बस सुविधा उपलब्ध हो। ट्रेन से आने वाले मज़दूरों को गाड़ी लेट होने की स्थिति में, लेट आने की छूट हो और उन्हें ट्रेन के टाइम के अनुसार छोड़ा जाए।
11) हर महीने 2 गेट पास तथा 1 छुट्टी आवश्यक रूप से मिले।
12) दीवाली के अवसर पर, सभी मज़दूरों को सम्मानजनक उपहार तथा मिठाई का वितरण हो।
13) महिला कर्मचारियों की जांच पुरुष करते हैं। यह कार्यवाही अपराधपूर्ण है जिसे तुरंत बंद किया जाए। महिला गार्ड की नियुक्ति की जाए। जांच के नाम पर मज़दूरों के जूते उतरवाए जाना और उनके टिफिन को संूंघ कर देखना अपमानजनक है, ये प्रैक्टिस तत्काल बंद हो। महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिले तथा महिला सम्मान संवेदनशीलता कमेटी का गठन हो।
14) कार्य करते हुए अपंग हो जाने की स्थिति में अपंगता के अनुसार मुआवज़ा, आजीवन नौकरी तथा कार्य करते वक़्त या कंपनी आते-जाते वक़्त दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाने पर रु. 50 लाख का मुआवज़ा और आश्रित को नौकरी सुनिश्चित किए जाएं।
15) रविवार के दिन डबल दर से वेतन के साथ ही सुपरवाइजर की तरह ही मज़दूरों को भी खाना मिले।
16) सैलरी एडवांस की रक़म निर्धारित हो तथा उसकी वसूली बिना किसी ब्याज के 12 महीने में किया जाए।
17) फैक्ट्री परिसर में, यूनियन दफ़्तर के लिए उचित जगह उपलब्ध कराई जाए।
18) फैक्ट्री में तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक डॉक्टर पूरे दिन के लिए उपलब्ध कराया जाए।
19) मज़दूरों को कई बार बहुत आवश्यक काम से अपनी छुट्टी बढ़ानी पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें फिर से अपरेंटिस की तरह भर्ती किया जाता है। यह क़दम अन्यायपूर्ण तथा ग़ैर-क़ानूनी है, इसे तुरंत बंद किया जाए।
20) फैक्ट्री के उत्पादन बढऩे, निर्यात बढऩे तथा गुणवत्ता बढऩे की स्थिति में कई तरह की धनराशि, खऱीदार कंपनी की तरफ़ से श्रमिक कल्याण के लिए दी जाती है जिसे मालिक अपने खाते में डाल लेते हैं। इस राशि को, ‘वमानी मज़दूर संघर्ष समिति’ की सहमति से, मज़दूरों में वितरित किया जाए जिससे वे और अच्छा काम करने तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित हों।

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Mazdoor Morcha
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