क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा लखानी के 2 मज़दूरों रजनीश एवं भूपेन्द्र की ग्रेच्युटी की रक़म की वसूली के मुक़दमे में सहायक श्रम आयुक्त की अदालत द्वारा पारित आदेश को लागू कराने में फऱीदाबाद प्रशासन की नाकामी के विरुद्ध “लखानी मज़दूर संघर्ष समिति” द्वारा 16 अक्टूबर से आंदोलन छेडऩे की चेतावनी दी गई थी। ये ख़बर पिछले सप्ताह मज़दूरों के चहेते साप्ताहिक ‘मज़दूर मोर्चा’ में छपी थी। ख़ुशी की बात है कि प्रशासन के कान में जूं रेंगी। शुक्रवार 13 अक्तूबर को नायब तहसीलदार गौछी के दफ़्तर में मीटिंग हुई। उन्होंने कहा, “एक हफ़्ते का वक़्त दो मैं लखानी से वसूली कराऊंगा। उन्होंने सम्बंधित कर्मचारी को उसी वक़्त सख्ती से कहा कि शनिवार 14 तारीख को छुट्टी के दिन ही वे पुलिस के साथ वसूली के लिए जाएं। “लखानी मज़दूर संघर्ष समिति” ने कहा कि एक सप्ताह नहीं आप पूरे 10 दिन लीजिए लेकिन लखानी से वसूली कराइए।
फऱीदाबाद जि़ले के वसूली विभाग ख़ासतौर पर गौंच्छी नायब तहसीलदार कार्यालय का हमारा पिछले 2 महीने का तजुर्बा बता रहा था कि भले नायब तहसीलदार ने एक हफ़्ते में वसूली कराने का भरोसा दिया है लेकिन हमें इस मुद्दे को ढीला नहीं छोडऩा चाहिए। जिस बाबू को नायब तहसीलदार ने शनिवार छुट्टी के दिन वसूली कराने के लिए बोला था वह सोमवार 16 तारीख को भी वसूली कराने की ओर एक क़दम भी बढ़ाने को तैयार नहीं था। ‘सारे नोटिस तैयार हैं लेकिन मेरी दादी ख़तम हो गई हैं मुझे वहां जाना है और जैसे ही उनकी क्रिया विधि (अर्थात तेरहवीं) करा के लौटूंगा लखानी से वसूली करने निकल जाऊंगा’। हम उसके मुंह की तरफ़ देखते रह गए!! जि़ला कलेक्टर और जिला वसूली अधिकारी के दस्तख़त से जारी वसूली का आदेश अर्थात आरसी इस दफ्तर में प्राप्त हुए दो महीने हो गए और अभी तक वसूली का नोटिस भी लखानी तक नहीं पहुंचा है। ये बात नायब तहसीलदार को भी मालूम है। मतलब छुट्टी के दिन वसूली के लिए जाने वाली बात, हमें झूठी तसल्ली देने के लिए की जा रही थी।
गौंच्छी नायब तहसीलदार दफ़्तर की दो विशिष्टताएं हैं जिनसे पार पाना आसान नहीं। पहली; देश के किसी भी अधिकारी, मंत्री, प्रधानमंत्री का ये पता चल सकता है कि वे कब उपलब्ध होंगे लेकिन नायब तहसीलदार कब आएंगे, आएंगे भी या नहीं, कहां हैं, ये पता लगाना संभव नहीं। उनकी इसी विशिष्टता के सताए हुए सैकड़ों लोग हर रोज़ इस दफ्तर में भटकते-भटकते हताश होकर बैठ जाते हैं। दूसरी ख़ासियत; कोई भी पटवारी/कर्मचारी रिश्वत ग्रहण किए बगैर अपनी कुर्सी से नहीं उठता। जि़ले अथवा राज्य के किसी भी अधिकारी के किसी भी आदेश को वे अपने रिश्वत लेने के अधिकार से ऊपर नहीं मानते। पैसे पकड़ाए जाने का कोई संकेत दिए बगैर जब उनसे किसी काम को कहा जाता है तब उनके चेहरे पर ये भाव स्पष्ट नजऱ आते हैं; ‘कैसा आदमी है पैसे की बात नहीं और काम को कह रहा है, इस दफ़्तर का दस्तूर नहीं जानता!!’ नायब तहसीलदार द्वारा हफ़्ते भर में वसूली कराने का आश्वासन जान बूझकर बोला गया झूठ है, टरकाने की क़वायद है साबित हो गया।
यही वजह थी कि ‘लखानी मज़दूर संघर्ष समिति’ की टीम 19 अक्टूबर को लघु सचिवालय स्थित बडख़ल तहसीलदार से मिली और उन्हें लिखित शिकायत दी कि आरसी कटने के 2 महीने बाद भी गौंच्छ नायब तहसीलदार कार्यालय से वसूली का नोटिस अभी तक ‘लखानी फुटवेयर प्रा लि, 264, सेक्टर 24 फऱीदाबाद तक नहीं पहुंचा है। उनकी प्रतिक्रिया दिलचस्प थी ‘पहली बात, मैं बडख़ल का तहसीलदार नहीं हूं, मेरे पास तो बडख़ल तहसील का एडिशनल चार्ज है। दूसरी बात, गौंच्छी नायब तहसीलदार मेरे मातहत नहीं है उसके पास स्वतन्त्र कार्यभार है’। एडिशनल चार्ज होने का क्या मतलब है? फिर बडख़ल तहसीलदार कौन है? तहसीलदार महोदय को जब लगा कि ये लोग टलने वाले नहीं हैं तब जाकर हमारा लेटर हमें थमाते हुए बोले ‘ठीक है, दफ़्तर में रिसीव करा लो’। दफ्तर के निकम्मेपन का ये आलम है कि उन के कहने के बाद भी लेटर रिसीव कराने के लिए 15 मिनट जिरह करनी पड़ी।
‘मोर्चा’, लखानी में काम कर चुके मज़दूरों के खून पसीने की कमाई का एक-एक पैसा, लखानी से ब्याज सहित वसूलने की ज़द्दोज़हद को क़ामयाबी मिलने तक जारी रखेगा। निकम्मे, भ्रष्ट और ग़ैर-जि़म्मेदार अधिकारियों को उनकी जि़म्मेदारियों का अहसास हर रोज़ कराएगा। उनकी नींद हराम करता रहेगा। हमें न टरकाया जा सकता है और न भटकाया जा सकता है। हमें, हमारा फज़ऱ् याद है। 25 अक्टूबर तक अदालत के आदेशानुसार ब्याज सहित पूरी रक़म लखानी के खाते से निकलकर रजनीश तथा भूपेन्द्र के खातों में पहुंच जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम बहुत अदब के साथ लेकिन पूरी दृढ़ता के साथ फऱीदाबाद प्रशासन से कहना चाहते हैं कि 26 अक्टूबर से डीसी कार्यालय पर सतत आक्रोश आंदोलन शुरू होगा, जो वसूली होने के बाद ही समाप्त होगा।