फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) । सरकारी खजाना खाली होने के कारण कई विकास प्रोजेक्ट्स को धन देने से मना करने वाले झूठे घोषणावीर मुख्यमंत्री खट्टर ने जल्द ही वृद्धावस्था पेंशन बढ़ा कर तीन हजार रुपये करने का जुमला फेका है। बेहतर होता कि सीएम बुजुर्गों के खाते में उनकी पेंशन हर बार समय पर पहुंचाने की घोषणा करते, सरकार बीते तीन माह से बुजुर्गों की पेंशन राशि नहीं दे पाई है।
खट्टर बीते मंगलवार को हिसार में जनसंवाद कार्यक्रम में जनता से रूबरू थे। विपक्षी पार्टियों की सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों को मुफ्त की रेवड़ी बताने वाली भाजपा के सीएम बुजुर्गों की रेवडिय़ों में इजाफा करने की घोषणा कर गए, उन्होंने गर्व से यह भी दावा किया कि देश में सिर्फ हरियाणा ही सबसे ज्यादा वृद्धावस्था पेंशन देता है। बताते चलें कि प्रदेश में बीते तीन माह से बुजुर्गों के खाते में वृद्धावस्था पेंशन की राशि नहीं पहुंची है। बुजुर्गों से समाज कल्याण विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि सरकार से अभी पैसा नहीं मिला है। जब सरकार धनराशि जारी करेगी तो खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
खट्टर ने ये नहीं बताया कि उनकी परिवार पहचान पत्र स्कीम के कारण प्रदेश में कितने हजार बुजुर्ग पेंशन से वंचित कर दिए गए। हरियाणा में पैदा हुए, यहीं काम किया और जब बुजुर्गी आई तो खट्टर के परिवार पहचान पत्र के कारण पेेंशन से वंचित हो गए। खट्टर सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों ने परिवार पहचान पत्र की कमियां दूर कराने के बजाय इन बुजुर्गों की पेंशन ही खत्म कर दी। चलो मान भी लिया जाए कि उनका पहचान पत्र दुरुस्त नहीं है लेकिन उनकी उम्र और वृद्धावस्था तो सबके सामने है। इन बुजुर्गों को पेंशन कौन देगा? कुछ बुजुर्गो के मुताबिक अव्वल तो सरकार समय पर पेंशन खाते में डलवाती नहीं, यदि खाते की पेंशनराशि दो महीने में नहीं निकाली गई तो अगले महीने पेंशन ही बंद कर दी जाती है, सरकार बुजुर्गों को भी नहीं बख्श रही है।
चुनावी वर्ष शुरू हो चुका है, पहले लोकसभा चुनाव हैं फिर प्रदेश में विधानसभा चुनाव। ऐसे में खट्टर खजाना खाली होने के बावजूद घोषणाएं करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने केवल बुजुर्गों की पेंशन राशि बढ़ाने का जुमला ही नहीं फेका, घरों के ऊपर से गुजरने वाले बिलजी के तारों को हटवाने का लुभावना नारा उछाला। यही नहीं पूरे प्रदेश में घरों के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तारों को शिफ्ट करने के लिए 151 करोड़ के खर्च की भी घोषणा कर डाली। यह घोषणा सिर्फ जुमला ही साबित होगी क्योंकि हाईटेंंशन लाइन के टावर शिफ्ट करने में कई हजार करोड़ रुपयों का खर्च तो होगा ही टावरों के लिए जमीन का अधिग्रहण में होने वाला खर्च अलग होगा, इसके अलावा शिफ्टिंग के दौरान शटडाउन से अर्थव्यवस्था की जो हालत खराब होगी वो अलग, इसलिए समझ लीजिए न तो कोई शिफ्टिंग होनी है और न कोई खर्चा होना है, जुमले बाजों का यह चुनावी जुमला है।