फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सर्वविदित है कि ईएसआई कॉर्पोरेशन केवल अपने बीमाकृत मज़दूरों को ही चिकित्सा सेवाएं दे सकता है। इसका उल्लंघन करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद एनएच तीन के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो-चार बेड नशेड़ी पुलिसकर्मियों के इलाज के लिये रखे जायेंगे।
यद्यपि इस मामले पर अधिकारिक तौर पर कोई कुछ स्पष्ट बताने को तैयार नहीं है। समझा जा रहा है कि इस सिलसिले में ईएसआई मुख्यालय से पत्राचार शुरू कर दिया गया है। पिछले दिनों पुलिस के उच्चाधिकारियों ने भी इस सिलसिले में अस्पताल पहुंच कर यहां के बड़े अधिकारियों से बात भी की थी।
इस मामले में तर्क यह भी दिया जा रहा है कि साइकेट्रीविभाग में बहुत सारे बेड खाली पड़े रहते हैं, इसलिये दो-चार बेड पुलिस वालों को देने में कोई फर्क नहीं पड़ता। तर्क तो यह भी दिया जा रहा है कि ‘नशामुक्ति’ एक राष्ट्रीय प्रोग्राम है जिसके तहत मेडिकल कालेज को अपना सामाजिक दायित्व निभाना होता है। तो क्या इस दायित्व में केवल पुलिस वाले ही आते हैं? पुलिस वालों को यदि इलाज कराना ही है तो सरकार ने बीके अस्पताल खोल रखा है, सेक्टर 14 में नशा मुक्ति केंद्र खोल रखा है, छांयसा मेें इतना बड़ा अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज खोल रखा है। सरकार वहां क्यो नहीं कराती इलाज? ईएसआई पर ही क्यों गिद्ध दृष्टि लगी रहती है सरकार की?
बेशक अभी यह मामला पत्राचार एवं मुख्यालय की स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया से गुजर रहा है। संस्थान के प्रशासन एवं मुख्यालय को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये कि जिन मज़दूरों के पैसे से यह संस्थान चल रहा है वे इस तरह की पुलिसिया घुसपैठ को कतई सहन करने वाले नहीं हैं। जिस दिन ऐसे किसी भी घुसपैठ की भनक मज़दूरों को लगेगी, उसी दिन संस्थान को मज़दूरों के भारी आक्रोश एवं प्रदर्शन का सामना करना पड़ेगा।