एन जी ओ का गोरखधंधा

एन जी ओ का गोरखधंधा
October 16 14:15 2023

ज़दूरों की मज़दूरी का एक बड़ा हिस्सा हड़प कर विशालकाय मगरमच्छ सरमाएदार ‘जन-कल्याण’ के नाम पर उस लूट का एक महीन हिस्सा ‘कल्याणकारी’ कामों के लिए ‘दान’ देते हैं। यह एक बहुत ही ख़तरनाक गोरखधंधा है। इन लुटेरे ‘दानियों’ में से कई ख़ुद को ‘वामपंथी एवं प्रगतिशील’ भी कहलवाते हैं। इन सभी एनजीओबाज़ों का मक़सद है शोषित-पीडि़त मज़दूर वर्ग को इस लुटेरी, खुनी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने से रोके रखना। क्रांतिकारियों का काम मुश्किल बनाना। बिल गेट्स हो या अज़ीम प्रेमजी ये सब सरमाएदार लुटेरे हैं। पूंजी; श्रमिकों के श्रम का वह हिस्सा है जिसका दाम श्रमिकों को नहीं मिला। क्रांतिकारी बदलाव लाने की बात करने वाले कितने ही चैनलों और संगठनों को ये चंदा ग्रहण करने के तुरंत बाद दन्त विहीन होते देखा है। फंडिंग प्राप्त होते ही दहाडऩे वाले शेर मिमियाने लगते हैं। बात-बात में चे ग्वेरा के कोटेशन बोलने वाले इंक़लाब की डींगें मारने वाले; खाते में माल जमा होने की सूचना मिलते ही गांधीवादी-विनोबाभावेवादी बन जाते हैं। पैसे का ये चढ़ावा, इसीलिए चढ़ाया जाता है।

ये पैसा, फ़्लैट-नवीनीकरण में ना लगे या क़ानूनी-फ़ीस देने में इस्तेमाल ना हो ये हो ही नहीं सकता। नवीनीकरण में ही नहीं ऐसे पैसे से फ़्लैट खरीदने वाले क्रांतिकारियों को उस फ्लैट पर क़ब्ज़े के लिए दो-फाड़ हो जाते और फिर एक दूसरे पर ‘वर्ग-शत्रु’ की तरह टूट पड़ते हुए देखा है।

एनजीओ वाले गोरखधंधे में मुब्तिला लोगों चाहें वे दाता हों या पाता सभी की नीयत पर शक ही नहीं उसे दूषित कऱार दिया जाना चाहिए। ऐसे लोगों को क्रांति की लफ्फाज़ी तो तुरंत बंद कर देनी चाहिए। वे, लेकिन ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि ऐसा करते ही फंडिंग बंद पड़ जाएगी।

फासिस्टों का असली ख़ूनी रूप तब सामने आता है जब वे हार रहे होते हैं। मोदी सरकार चुनाव के ज़रिए 2024 में वापस सत्ता में नहीं आने वाली। फासिस्ट जमात चुनाव के ज़रिए सत्ता में आ तो जाती है, जाती नहीं; इतिहास हमें यह सिखाता है। इसीलिए कोई भी, कभी भी गिरफ्तार हो सकता है। गिरफ्तारियों से डरना बंद करो। अपना एका फौलादी बनाओ सडक़ों पर उतरो, संघर्ष करो। हम इतिहास के बहुत दिलचस्प दौर में प्रवेश कर चुके हैं। हर एक रीढ़ परखी जाएगी। गोरख पांडे की ये कविता आजकल हर रोज़ याद आती है;
वे डरते हैं किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद ?
वे डरते हैं कि एक दिन
निहत्थे और गऱीब लोग
उनसे डरना बंद कर देंगे
शोषण की ज़हरीली बेल में कई तरह के ज़हरीले कांटे होते हैं। इन कांटों को कहां तक काटते बैठेंगे दुनिया के कमेरों को इस बेल को ही उखाड़ फेंकना होगा।

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Mazdoor Morcha
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