फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) वैसे तो पुलिस कानून व्यवस्था कायम रखने, अपराध रोकने व अपराधियों से आम लोगों को बचाने के लिए होती है लेकिन यदि खुद पुलिस ही अपराधियों से सांठगांठ करके आमजन का जीना हराम कर दे तो लोग कहां जाएं।
मामला वर्ष 2019 का मुंडकटी थाने का है जो अभी मजदूर मोर्चा की जानकारी में आया है। बात अगस्त 2019 की है। गांव औरंगाबाद तह होडल के रहने वाले भूपेंद्र पुत्र जवाहर लाल ने इस थाने में शिकायत दी थी कि अजीत पुत्र ओमप्रकाश व सौरंभी पुत्र अजीत ने उनके घर आकर उनके ताऊ रतिराम के साथ मारपीट की है तथा उसका हाथ तोड़ दिया है। उन्होंने इस मारपीट की एमएलआर भी कटवाई थी लेकिन कई दिन तक चक्कर काटने पर भी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नही की। इस पर उन्होंने डीजीपी हरियाणा को शिकायत भेजी। डीजीपी आफिस के हस्तक्षेप पर मजबूरी में पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी। मामले की जांच धर्मेंद्र एएसआई के पास थी उसने आरोपितों को बचाने के लिए पीडि़त पक्ष पर सामाजिक दबाव बनवा कर उनसे अपनी देखरेख में गांव के दस आदमियों की मौजूदगी में राजीनामा करवाने का नाटक करते हुए शिकायतकर्ता के कम पढ़े लिखे होने का फायदा उठाकर एक शपथपत्र ले लिया। जिसमे उसने शातिरपन से लिखा दिया कि हमारा कोई झगड़ा नही हुआ बल्कि रात के अंधेरे गिरने से मेरे तो को चोट लग गई थी। एएसआई धर्मेंद्र ने आरोपितों पर फोकट में तो ये कृपा की नही होगी।
इसके बाद पीडि़त पक्ष द्वारा डीजीपी से शिकायत करने का सबक सिखाने के इरादे से खुद धर्मेंद्र एएसआई ने धारा 182 का मुकदमा दर्ज दायर कर दिया जिसके कारण पीडि़त पक्ष आज तक अदालत के चक्कर काट रहा है। गौरतलब है कि भूपेंद्र एक खेतिहर मजदूर है जो खेती किसानी व मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर बसर कर रहा है जो आजकल एक भ्रष्ट पुलिस थानेदार के कारण अपनी मजदूरी छोडक़र अदालत के चक्कर काटने को मजबूर है।
वही धर्मेंद्र पदोन्नत होकर वर्तमान में इसी थाने में इंचार्ज नियुक्त हुआ है अब इसे संयोग कहें या एक सोची समझी चाल, उन्ही हमलावरों के परिवार के ही अन्य गुंडों जिनमें गांव के अन्य गुंडे भी थे, से 21 सितंबर की रात को भूपेंद्र पुत्र जवाहर लाल के घर जाकर मारपीट होती है तथा उनके पैसे भी लूट लिए जाते हैं। इसकी शिकायत उसी रात भूपेंद्र के ताऊ के लडक़े हेमराज, जो वहीं मौजूद था, ने मुंडकटी थाने में जाकर दी लेकिन आज तक रिपोर्ट दर्ज करना तो दूर किसी गुंडे को पूछताछ के लिए भी नही बुलाया गया है। इतना तो तब है जब पीडि़त पक्ष एएसपी जसलीन कौर को भी लिखित शिकायत दे चुका है। यदि पुलिस इन हमलावर गुंडों को गिरफ्तार करके अपने ढंग से पूछताछ करे तो बहुत सारी वारदात उजागर हो सकती हैं जिन्हे धर्मेंद्र जैसों ने दर्ज ही किया होगा। सवाल यह है कि थाने में बैठे अधिकारियों द्वारा किए जा रहे काले पीले कारनामों की निगरानी करने वाले उच्चाधिकारी क्या करते रहते हैं। क्या उनका दायित्व नहीं है कि अपने मातहत तमाम अधिकारियों की कड़ी निगरानी करें।