फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक अक्तूबर को सेक्टर नौ में समारोहपूर्वक झाड़ू थाम के जनता को स्वच्छता की नसीहत दी। काम तो कोई करना नहीं है सिर्फ फोटो खिंचवा कर ढिंढोरा पीटना, लेकिन जनता अब मोदी-खट्टर के पाखंड को समझ गई है।
खट्टर ने दस साल पहले इसी शहर की कृष्णा कॉलोनी मलिन बस्ती में झाड़ू चलाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से वैचारिक बैर रखने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता मोदी-खट्टर ने उनकी जयंती की अहमियत कम करने के लिए दो अक्तूबर को स्वच्छ भारत अभियान का इवेंट आयोजित करना तो शुरू किया लेकिन आज तक यह ढोल पीटने से ज्यादा कुछ साबित नहीं हो सका।
मोदी-खट्टर हर साल दो अक्तूबर को स्वच्छता अभियान का ढिंढोरा पीटने के लिए नई जगह का चयन करते हैं लेकिन कभी ये देखने की जहमत नहीं करते कि उन्होंने पिछले साल जिस जगह पर झाड़ू चलाई थी वहां क्या हाल है? दस साल पहले खट्टर ने सेक्टर 20 बी स्थित कृष्णा कॉलोनी में जिस जगह झाड़ू चला कर अभियान शुरू किया था वहां आज भी गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, सफाई तो दूर वहां इंटरलॉकिंग सडक़ तक नहीं बनाई गई है। होना तो यह चाहिए था कि खट्टर इस बार भी वहीं झाड़ू लेकर पहुंचते जहां उन्होंने दस वर्ष पूर्व यह पाखंड शुरू किया था और देखते कि वहां के क्या हाल हैं। स्थानीय निवासी राजकुमार कहते हैं कि यहां सफाई कर्मी आते ही नहीं, बरसात में कचरा, गोबर और बारिश के पानी के कारण सडक़ चलने लायक नहीं रह जाती, बदबू के तो हम लोग आदी हो चुके हैं।
सीएम ने जब यहां स्वच्छता अभियान शुरू किया था तो लगा था कि अब सफाई होगी, इसके उलट यहां और कूड़ा फेका जाने लगा था। डीएमआरसी द्वारा जमीन का बड़ा हिस्सा लिए जाने के कारण अब यहां इस इमारत के चारों ओर कूड़ा-कचरा डाला जाता है।
खट्टर ने सत्ता संभालने के साथ ही शहर की सफाई का जिम्मा चाइनीज कंपनी ईकोग्रीन को दिया था। सरकार का दावा था कि कंपनी कूड़े से बिजली बनाएगी। जो सुविधा अभी तक नगर निगम के जरिए जनता को मुफ्त उपलब्ध थी खट्टर सरकार ने ईकोग्रीन के नाम पर उसके लिए शुल्क बांध दिया। बावजूद इसके शहर स्वच्छ होने के बजाय गंदा होता चला गया। यही कारण है कि स्वच्छता रैंकिंग में फरीदाबाद टॉप सौ शहरों में कभी शामिल नहीं हो सका, हालांकि मुख्यमंत्री हर साल दो साल में यहां झाड़ू लगाते रहे।
वर्तमान में शहर में हर जगह कूड़े के ढेर दिख जाएंगे। न तो सूखे कचरे से बिजली बन सकी और न बायो वेस्ट से खाद। अगर खट्टर की नीयत स्वच्छता अभियान के प्रति साफ है और सफाई कराने की इच्छा है तो झाड़ू लेकर फोटो खिंचवाने के बजाय ईकोग्रीन पर शिकंजा कसें, अगर सही काम नहीं कर रही है तो उसका अनुबंध समाप्त कर दूसरी भारतीय कंपनियों को मौका दें, लेकिन वह ऐसा कर पाएंगे, लगता नहीं है। ऐसा करने की जरूरत भी क्या है जब नाटकबाजी से ही काम चल जाए तो।