फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार के गढ़ नगर निगम में मन माफिक काम करने के लिए अधिकारी सिर्फ जनता से ही धन नहीं लेते हैं बल्कि सहकर्मी की काली करतूतों को दबाने-छिपाने के लिए उससे भी मोटा सुविधा शुल्क वसूलने में पीछे नहीं रहते। ताजा उदाहरण इंजीनियरिंग की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे कार्यकारी अभियंता पदम भूषण का है। सीएम विंडो पर जून में की गई शिकायत को नगर निगम के अधिकारी तीन महीने से दबाए बैठे है जबकि पंचकूला स्थित राज्य मुख्यालय मे बैठे आयुक्त शहरी स्थानीय निकाय विभाग निगम आयुक्त को कई बार चि_ी लिख कर जांच रिपोर्ट तलब कर चुके हैं।
नगर निगम के वर्तमान कार्यकारी अभियंता पदम भूषण सहित एसई ओमबीर आदि कई बड़े अधिकारी डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए और एआईसीटीई से अमान्य इंजीनियरिंग संस्थानों से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर नौकरी हासिल कर रहे हैं। इन अधिकारियों की डिग्री मान्य या अमान्य होने का मामला नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की बीच बीते करीब सात साल से चर्चा में है।
इसकी जानकारी सेक्टर 76 निवासी सिद्धार्थ कादियान को हुई तो उन्होंने 08 मई 2023 को सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने नगर निगम के कार्यकारी अभियंता पदम भूषण की इंजीनियरिंग की डिग्री की वैधता की जांच कराने और गलत पाए जाने पर कार्रवाई करने की मांग की थी। सीएम विंडो की जानकारी होते ही सक्रिय हुए पदम भूषण ने सहकर्मियों को खिला पिला कर जांच दबवा दी। इधर जवाब नहीं मिलने पर सिद्धार्थ कादियान ने एक माह बाद फिर रिमाइंडर भेजा।
आयुक्त एवं सचिव शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने नगर निगमायुक्त को पत्र लिख कर पदम भूषण की डिग्री की वैधता की जांच करा कर दो सप्ताह में अपनी टिप्पणी के साथ भेजने का आदेश दिया। नगर निगम के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार पदम भूषण ने यह पत्र तत्कालीन निगमायुक्त जीतेंद्र दहिया तक पहुंचने ही नहीं दिया, पत्र नहीं पहुंचाने के लिए उसने संबंधित को मोटा सुविधा शुल्क चुकाया था।
सीएम विंडो के पेंडिंग मामलों की समीक्षा के दौरान सिद्धार्थ कादियान की मई की कंप्लेंट पर अभी तक कार्रवाई नहीं होने पर आयुक्त एवं सचिव शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने 12 सितंबर को एक बार फिर निगमायुक्त को पत्र लिख कर दो सप्ताह में अपनी टिप्पणी के साथ जांच रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि इस बार भी पदम भूषण ने मोटा थैला सरका कर आयुक्त के पत्र को दबवा दिया है ताकि जांच न हो सके। इसका अर्थ यह हुआ कि निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास खुद भ्रष्ट मातहतों से घिरी हैं जो उन तक सच्चाई पहुंचने ही नहीं देते। यदि निगमायुक्त सच में ईमानदार हैं और ईमानदारी से काम करना चाहती हैं तो सबसे पहले अपने चारों तरफ लगी भ्रष्टाचारियों की बाड़ को उखाड़ फेकें, बेईमान अधिकारियों को ठिकाने लगाएं और कमान मजबूती से अपने हाथ में संभालें।
सरकार की फ्लैगशिप योजना होने के कारण सीएम विंडो पर लंबित शिकायत अधिकारी के कॅरियर पर धब्बा लगा सकती है। यानी फर्जी डिग्री के बल पर नगर निगम में जूनियर इंजीनियर से एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पद तक पहुंचने वाले पदम भूषण की निगम के अन्य अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर खुद को बचाने की कवायद कहीं मोना ए श्रीनिवास को महंगी न पड़ जाए। मुख्यालय से भेजी गई चिट्ठियों का जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।