केंद्रीय सडक़ मंत्री से मिलने सिर्फ तिगांव विधायक राजेश नागर पहुंचे, किशन पाल गूजर के लगुए भगुए विधायक गडकरी के नज़दीक नहीं फटके फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। पार्टी विद डिफरेंस का राग अलापने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा में आपसी डिफरेंसेज होने के कारण जन प्रतिनिधि ही एक साथ नहीं हैं। सोमवार को मैट्रो नामक व्यापारिक अस्पताल का उद्घाटन करने आए केंद्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी से मिलने न तो केंद्रीय राज्यमंत्री किशन पाल गूजर पहुंचे और न ही उनके चमचे विधायक। एकमात्र तिगांव विधायक राजेश नागर ही नितिन गडकरी से मिले और उन्होंने किशनपाल की दुखती रग यानी मंझावली पुल पर हाथ रख कर पार्टी में पल रही गुटबंदी उजागर कर दी।
नरेंद्र मोदी की पहली पारी में उनके करीबी किशन पाल गूजर ने केंद्रीय सडक़ राज्यमंत्री का दर्जा हासिल कर लिया था। तब छह सौ करोड़ की लागत से बन रहे दिल्ली-आगरा सिक्स लेन हाईवे के ठेकेदार से दस प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप पर किशन पाल को इस मंत्रालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। तिगांव से भाजपा विधायक बने राजेश नागर ने अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने चाहे तो नहर पार इलाके में जमीन का बेनामी खेल खेल रहे किशन पाल गूजर के हित उनसे टकराए। किशनपाल को राजेश नागर में दूसरा गूजर नेता उभरते दिखा तो उन्होंने अपनी ही पार्टी के विधायक की काट शुरू कर दी। तिगांव के पूर्व कांग्रेसी विधायक ललित नागर को अपनी गोद में बैठा लिया। ललित नागर ने भी अपने बेटे की शादी में किशन पाल गूजर को परिवार का ज्येष्ठ सदस्य बताते हुए बेेटे के ससुरालियों से मोटा सगुन दिलवाया। प्रगाढ़ता यहां तक पहुंची कि किशनपाल गूजर के लिए जमीनों के धंधे में ललित नागर जुड़ गया। अपनी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री द्वारा विपक्षी नेता को तरजीह दिए जाने से आहत विधायक राजेश नागर ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू किए। रिवाजपुर में प्रदर्शनकारियों को उनकी मांगे माने जाने की बात पहले ही बता कर केंद्रीय मंत्री के समारोहपूर्वक घोषणा करने की योजना को चौपट कर दिया।
सोमवार को राजेश नागर केंद्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी से मिले और मंझावली पुल जल्द पूरा कराने की मांग कर डाली। बताते चलें कि यह पुल किशन पाल गूजर का ड्रीम प्रोजेक्ट है, राजेश नागर ने नितिन गडकरी से इसे पूरा कराने की मांग कर किशन पाल गूजर के ड्रीम प्रोजेक्ट को छीनने का प्रयास किया है।
किशनपाल गूजर खुद तो नितिन गडकरी से न तो मिलने पहुंचे और न ही उनकी समर्थक बडख़ल विधायक सीमा त्रिखा, फरीदाबाद विधायक नरेंद्र गुप्ता और मंत्री मूलचंद शर्मा। केंद्र के कद्दावर नेता की स्थानीय नेताओं द्वारा इस कदर अनदेखी किया जाना मोदी की भाजपा में ऊपर से लेकर नीचे तक विरोधाभास और गुटबंदी का खुला प्रदर्शन है।