केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने अवैध मैट्रो कैंसर इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया

केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने अवैध मैट्रो कैंसर इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया
October 03 15:04 2023

मैट्रो अस्पताल के इस विस्तार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दमकल विभाग से नहीं मिली है एनओसी हूडा ने उद्घाटन से पहले आनन फानन जारी किया ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट, क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट अनुमति भी नहीं मिली

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नियम कानूनों को धता बताते हुए पैसे के दम पर स्थापित किए गए मैट्रो कैंसर इंस्टीट्यूट का उद्धाटन केंद्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ी धूमधाम से किया। कद्दावर केंद्रीय मंत्री के उद्घाटन करने का असर यह रहा कि जो अधिकारी मानक और नियम पूरे नहीं होने के कारण कैंसर अस्पताल के संचालन की अनुमति नहीं दे रहे थे, वे संस्थान के धनपशु मालिकों के आगे न केवल नतमस्तक बल्कि रेंगते हुए नजर आ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दमकल और स्वास्थ्य विभाग से एनओसी भी नहीं ली गई। यहां तक कि कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेेंट की अनुमति भी नहीं मिली। तमाम कमियों के बावजूद केंद्रीय मंत्री के आने से पहले हूडा से ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट जारी करा लिया गया। इतनी धांधली के बावजूद नितिन गडकरी ने कैंसर मरीजों को लूटने के लिए लालायित मालिकों की खुशी के लिए उद्घाटन कर दिया।

सेक्टर 16ए स्थित मेट्रो अस्पताल प्रबंधन ने कैंसर में मोटी कमाई देखते हुए वर्ष 2016 में कैंसर यूनिट बनाने के लिए अस्पताल का विस्तार करने की योजना बनाई थी। इसके लिए उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेंट टू इस्टेब्लिश (निर्माण की सहमति, सीटीई) केे लिए आवेदन किया था लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। अप्रैल 2021 में अस्पताल प्रबंधन ने दोबारा सीटीई के लिए आवेदन किया। निर्माण स्थल पर वायु और भूजल प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में कोई उपाय नहीं होने के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अस्पताल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया। कोई जवाब नहीं मिलने के कारण बोर्ड ने सीटीई जारी नहीं की।

बावजूद इसके धनपशु मालिकों ने नियम ताक पर रख कर नए ब्लॉक का निर्माण कर डाला। करीब एक साल पहले से इस यूनिट में मरीज भर्ती भी किए जा रहे थे। भ्रष्टाचार का आलम ये रहा कि हूडा ने ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) जारी भी नहीं किया और नगर निगम के खाऊ कमाऊ अधिकारियों ने इस अवैध इमारत को सीवर व पानी का कनेक्शन जारी कर दिया। हूडा ने भी कोई आपत्ति नहीं की, जाहिर है कि धनपशु मालिकों ने सीवर पानी कनेक्शन के लिए पैसे के बल पर सभी अधिकारियों की स्वीकृति हासिल की।

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इमारत के निर्माण में बिल्डिंग बायलॉज़ का उल्लंघन किया गया है, इस कारण दमकल विभाग एनओसी जारी नहीं कर रहा था। सूत्रों के अनुसार दमकल विभाग केवल तीस मीटर ऊंची कॉमर्शियल इमारत को ही एनओसी जारी करता है लेकिन अस्पताल की यह नई बिल्डिंग तीस मीटर से अधिक ऊंची है, इस कारण एनओसी जारी नहीं की जा रही थी। बताते चलें कि नितिन गडकरी से उद्घाटन कराए जाने की बात सामने आते ही हूडा अधिकारियों ने ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया जबकि इससे पहले आपत्तियां लगाई जा रही थीं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आपत्तियों को किनारे कर बिना सीटीई लिए ही अस्पताल प्रबंधन ने इमारत बना डाली और उसमें मरीज भी भर्ती करने शुरू कर दिए। नियमानुसार अस्पताल की नई इमारत मेें तब ही काम शुरू हो सकता है जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उसे कंसेंट ऑफ ऑपरेट (संचालन की सहमति, सीटीओ) जारी किया गया हो। सीटीई का पालन नहीं होने के कारण बोर्ड ने सीटीओ भी नहीं जारी किया है।

शहर के कमल सिंह का आरोप है कि अभी स्वास्थ्य विभाग से कैंसर अस्पताल के संचालन के लिए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट का पंजीकरण भी नहीं हुआ है। उनके अनुसार कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक रेडियोएक्टिव तत्वों वाली मशीनों के इस्तेमाल से लेकर उनके रखरखाव क मानकों का पालन कराना, सर्जरी में निकाले गए ऊतक, अंग आदि की जांच, संरक्षण और निस्तारण की प्रक्रिया मानक के अनुरूप हो रही है या नहीं सहित स्थायी विशेषज्ञ चिकित्सिकों की तैनाती, कैंसर के इलाज मेें पारंगत नर्सिग और पैरामेडिकल स्टाफ की पर्याप्त संख्या सहित अन्य महत्वपूर्ण मानक तय होने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनओसी जारी की जाती है। बताते चलें कि मेट्रो अस्पताल में अधिकतर कैंसर विशेषज्ञ विजिट पर ही आते हैं, जबकि कैंसर इंस्टीट्यूट चलाने के लिए कम से कम तीन स्थायी विशेषज्ञ डॉक्टर होने चाहिए। उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम फरीदाबाद से की थी। एसडीएम के आदेश पर सीएमओ ने इसकी जांच के लिए डिप्टी सीएमओ डॉ. रामभगत की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि, इस संबंध में डिप्टी सीएमओ डॉ. रामभगत ने कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा कि आरटीआई डाल दो, उसमें आपको जवाब दिया जाएगा। सीएमओ/नोडल अधिकारी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट कार्यालय से मिले आरटीआई के जवाब में स्पष्ट किया गया है कि मैट्रो हास्पिटल के कैंसर कैंसर ब्लॉक को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट के तहत कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है।

नियम ताक पर रख कर बनाए गए कैंसर इंस्टीट्यूट की शिकायत होने पर स्टेट एन्वायरनमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी, हरियाणा, (एसईआईएए) पंचकूला के चेयरमैन समीरपाल सरो ने 21 जून 2023 को एक कमेटी गठित कर दस दिन में इसकी रिपोर्ट तलब की थी। सितंबर खत्म होने को है कमेटी रिपोर्ट नहीं दे सकी है। दरअसल, अस्पताल के मालिक हकीकत जानते हैं इसलिए कमेटी के सामने न तो पेश हो रहे हैं और न ही जवाब दे रहे हैं। तीन महीने बाद भी कमेटी रिपोर्ट नहीं तैयार कर पाई है तो समझा जा सकता है कि उसके सदस्य भी कितने मुस्तैद हैं।

इतने सारे लूप होल होने के बावजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का मेट्रो कैंसर इंस्टीट्यूट का उद्घाटन करना उनकी नीयत और ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है। होता तो यह है कि कोई कद्दावर केंद्रीय मंत्री किसी संस्थान के उद्घाटन की सहमति तब देता है जब उसके अधिकारी यह परख लेते हैं कि संस्थान सभी नियम कानूनों का पालन करके बनाया गया है और सभी संबंधित विभागों से उसे एनओसी मिली हुई है। ऐसा नहीं हो सकता कि अधिकारियों ने यह सब जांचा नहीं हो और मंत्री को इससे अवगत न कराया हो। यदि अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया तो गडकरी को चाहिए कि उनके खिलाफ कार्रवाई करें। अगर जानकारी होने के बावजूद नितिन गडकरी ने उद्घाटन किया तो उनकी कौन सी मजबूरी थी कि उन्हेंं ऐसा करना पड़ा। महज नौ साल में देश की सबसे अमीर पार्टी बनी भाजपा का खजाना कहीं ऐसे ही उद्घाटनों के कारण तो नहीं बढ़ रहा है।

एनजीटी का फंदा भी कसा
बिना सीटीई और सीटीओ लिए ही कैंसर इंस्टीट्यूट चला रहे मैट्रो अस्पताल के मालिकों पर एनजीटी का फंदा भी कस गया है। शहर के आलोक कुमार ने 27 सितंबर को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में मैट्रो कैंसर इंस्टीट्यूट के खिलाफ अर्जी लगाई। अर्जी के अनुसार मैट्रो अस्पताल प्रबंधन ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सीटीई नहीं मिलने के बावजूद कैंसर यूनिट बना डाली और बिना सीटीओ हासिल किए इस यूनिट का संचालन भी शुरू कर दिया। यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने इसकी शिकायत हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) से की लेेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। एनजीटी कोर्ट एक के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और एक्सपर्ट सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल ने एचएसपीसीबी के सदस्य सचिव प्रदीप कुमार को मामले में तुर्त फुर्त नियमानुसार कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है।

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Mazdoor Morcha
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