जानलेवा हमला करने वालों को शरीफ समझती है आदर्श नगर थाने की पुलिस, इसलिए नहीं कर रही गिरफ्तार

जानलेवा हमला करने वालों को शरीफ समझती है आदर्श  नगर थाने की पुलिस, इसलिए नहीं कर रही गिरफ्तार
September 20 01:05 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) डीजीपी शत्रुजीत कपूर प्रदेश में संगठित अपराध खत्म करने का दावा कर रहे हैं तो उनके आदर्श नगर थाने की पुलिस ऐसे अपराधियों को संरक्षण देने में जुटी है। अंबरीश शुक्ला और उसकेे दोस्त राहुल शर्मा पर 12-15 हथियारबंद बदमाशों ने जान से मारने की नीयत से हमला कर दिया, उनकी कार तोड़ डाली। पीडि़त के अनुसार हमलावरों ने एसएचओ कुलदीप को फोन कर बताया कि उन्होंने अंबरीश और उसके दोस्त पर गलती से हमला कर दिया। पुलिस भी हमलावरों की बात से संतुष्ट होकर चुपचाप बैठ गई। कानून का पालन कराने और कानून की रक्षा करने वाले पुलिस अधिकारी के मुंह से अपराधियों को निर्दाेष बताए जाने से पीडि़त की न्याय मिलने की उम्मीद खत्म हो गई है।
अंबरीश शुक्ला एक आईटी कंपनी के गुडग़ांव स्थित कार्यालय में काम करते हैं। उनके बड़े भाई का चुंगी नंबर 5 शिवा कॉंप्लेक्स, बल्लभगढ में होटल रेडिसन पिंक के नाम से होटल है। 7 सितंबर की शाम वह होटल में रुके थे। आठ सितंबर की सुबह जब उठे तो उनके कमरे से लैपटॉप और 20 हजार रुपये गायब थे। होटल के सीसीटीवी कैमरों में एक युवक को उनके कमरे से लैपटॉप लेकर निकलते देखा गया। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज आदर्श नगर थाने की पुलिस को सौंप कर चोरी की एफआईआर दर्ज करवाई।

दूसरे दिन करीब दो बजे वह दोस्त राहुल शर्मा के साथ आदर्श नगर थाने से एफआईआर कॉपी लेकर होटल लौटे। जैसे ही वह दोनों कार से उतर कर होटल की ओर बढ़े, बाइक पर आए एक युवक ने उनकी कार में जोरदार टक्कर मारी और फिर हथौड़े से कार शीशा तोड़ दिया। उसके साथ तीन-चार बाइकों पर लोहे का रॉड, डंडा, हथौड़ा, बेसबॉल बैट, सरिया आदि से लैस करीब 12 बदमाश भी थे। अंबरीश और उनका दोस्त कुछ समझ पाते, बाइक सवार युवक ने इशारा किया तो सब उन्हें मारने दौड़ पड़े, किसी तरह होटल में घुस कर उन्होंने अपनी जान बचाई। दोस्त राहुल भी जान बचाने के लिए भाग कर पास ही एक घर में घुस गया। अंबरीश ने 112 पर कॉल कर घटना की जानकारी दी। इससे पहले कि पुलिस आती, हमलावर उनकी कार के शीशे आदि तोडक़र धमकियां देते हुए फरार हो गए। उन्होंने आदर्श नगर थाने में इसकी भी एफआईआर दर्ज कराई।

घटना को एक सप्ताह बीत चुका है लेकिन पुलिस अभी तक न तो चोर को पकड़ पाई है और न ही जानने बूझने के बावजूद हमलावरों को पकड़ रही है। अंबरीश ने बताया कि वह एसएचओ को रोज ही फोन कर अपने केस की जानकारी लेते हैं। उनके अनुसार एसएचओ कुलदीप के पास हमलावरों का फोन आया था। हमलावरों ने एसएचओ को बताया कि उन्होंने अंबरीश पर गलती से हमला कर दिया था। यही बात एसएचओ ने अंबरीश को बता कर मानो तफ्तीश पूरी कर ली।

समझने वाली बात यह है कि इंस्पेक्टर कुलदीप को अंबरीश पर हमला करने वालों की पूरी जानकारी है बावजूद इसके वह उन्हें पकड़ नहीं रहे हैं। ऐसा तो नहीं कि हमलावर उस इलाके के रंगदारी, हफ्ता वसूली जैसे गैर कानूनी धंधे करने वाले गिरोह के सदस्य हैं जो हर महीने पुलिस को ‘ईमानदारी से’ उसका हिस्सा पहुंचा देते हैं। अब हर महीने विभाग की ‘सेवा’ करने वाले ‘सेवको’ पर साहब की नजर भला कैसे टेढ़ी हो सकती है, तभी तो एक सप्ताह के बाद भी हमलावर बाहर मौज कर रहे हैं और साहब की कृपा से करते भी रहेंगे।
मान भी लिया जाए कि बदमाशों ने अंबरीश पर गलती से हमला किया था तब भी यह तो तय है कि वह किसी अन्य व्यक्ति को जान से मारने या जिंदगी भर के लिए अपाहिज करने की नीयत से मारने पहुुंचे थे, पहचान में गलती होने के कारण अंबरीश फंस गए। हमलावरों की एक फोन कॉल को गीता पर हाथ रख कर ली गई शपथ मानने वाले एसएचओ कुलदीप को
क्या इसलिए उन गुंडों को नहीं पकडऩा चाहिए था कि वह किस पर हमला करने वाले थे? किसने उन लोगों को हमला करने
की सुपारी दी? हमले का मकसद क्या था?

‘बदमाशों’ को वारदात करने से पहले ही अपराध की योजना बनाते, उसमें इस्तेमाल होने वाले सामान, हथियारों के साथ गिरफ्तार करने में माहिर पुलिस, इस केस में हमलावरों की सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद उन्हें पहचानने का प्रयास शायद इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि वह उन्हें संरक्षण देती हो। हमलावरों को शरीफ बताने के प्रयास में जुटी पुलिस पीडि़त का लैपटॉप चोरी करने वाले को भी नहीं तलाश पा रही है। जबकि पुलिस के पास चोर की सीसीटीवी फुटेज मौजूद है।

पुलिस के व्यवहार से निराश अंबरीश शुक्ला को लगता है कि लैपटॉप चोरी करने वाला और उन पर हमला करने वाले सभी एक ही गिरोह के सदस्य हैं। क्योंकि हमला करते समय एक व्यक्ति गालियां देते हुए चिल्ला रहा था मारो साले को इसी ने एफआईआर करवाई है। यदि चोर और हमलावर दोनों एक ही गिरोह के हैं तो यह संदेह भी पैदा होता है कि एफआईआर दर्ज होने की जानकारी उन्हें पुलिस ने ही दी हो, पुलिस संरक्षण से बेखौफ बदमाशों ने एफआईआर से नाराज होकर ही उन पर हमला कर दिया हो।

फिलहाल, पीडि़त डीजीपी शत्रुजीत कपूर और पुलिस आयुक्त राकेश आर्य के अपराधियों पर सख्ती से लगाम लगाए जाने के पाठ को याद कर न्याय मिलने का इंतजार कर रहा है।
– साइबर नजर

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