ईएसआई मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर रोहतक मेडिकल यूनिवर्सिटी का छापा तीन गाडिय़ों में लद कर आई टीम को एक सुई भी न मिली

ईएसआई मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर रोहतक मेडिकल यूनिवर्सिटी का छापा  तीन गाडिय़ों में लद कर आई टीम को एक सुई भी न मिली
September 20 00:58 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दिनांक 12 सितम्बर, मंगलवार को रोहतक स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी से अचानक आई टीम ने एनएच तीन स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर प्रात: साढ़े दस बजे ठीक ऐसे छापा मारा जैसे कि यहां कोई बहुत बड़ा अपराधी गिरोह सक्रिय हो।

यद्यपि ईएसआई संस्थान के अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं लेकिन भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार राजमुंद्री (आंध्रप्रदेश) के किसी सांसद ने एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन), दिल्ली स्थित ईएसआईसी मुख्यालय व हरियाणा सरकार को एक पत्र लिखकर संस्थान पर अनेकों झूठे व मनगढंत आरोप लगाये थे। मिली जानकारी के अनुसार पत्र में कहा गया था कि यहां पर गैरकानूनी तौर पर 70 वर्ष से अधिक आयु के (डॉक्टर)प्रोफेसर तैनात हैं। दूसरा भयंकर आरोप यह लगाया गया था कि यहां पर फर्जी फैकल्टी भर रखी है। फर्जी फैकल्टी का मतलब यह होता है कि निरीक्षण के वक्त प्रो$फसरों को नामचारे के लिये पेश कर दिया जाता है जो वास्तव में काम नहीं कर रहे होते। इस तरह का फर्जीवाड़ा एनएमसी व सम्बन्धित यूनिवर्सिटी वालों की मिलीभगत से प्राय: प्राइवेट मेडिकल कॉलेज वाले करते रहते हैं।

पुलिस की तरह आकर धमकी यूनिवर्सिटी की टीम में 6 वरिष्ठ प्रो$फेसर थे। ये लोग आकर एकदम ऐसे टूट कर पड़े जैसे यहां कोई बहुत बड़ा अपराधी गिरोह सक्रिय हो। 6 प्रोफेसरोंं की यह टीम दो-दो की जोड़ी में बंट कर कॉलेज एवं अस्पताल का निरीक्षण करने में जुट गई। तमाम कार्यरत (डॉक्टर) प्रोफेसरों की पूरी कुंडली खंगाली गई, एक भी 70 वर्ष से अधिक आयु का शिकार इन शिकारियों को नही मिल पाया। इसके अलावा एक भी डॉक्टर प्रो$फेसर यह टीम नहीं ढूंढ पाई जिसका कि नाम फैकल्टी रजिस्टर में दर्ज हो और वह उपस्थित न हो। इस टीम की बेशर्मी की इंतहा तो तब प्रकट हुई जब आकस्मिक छुट्टी पर गये एक फैकल्टी को उन्होंने मुद्दा बनाने का प्रयास किया।

जानकार बताते हैं कि उक्त झूठी शिकायत ईएसआई मुख्यालय में बीते करीब 10-12 दिन से आई पड़ी थी। इसके बावजूद उन लोगों ने इसकी सूचना यहां देने की जरूरत नहीं समझी। माना जा रहा है कि वे लोग तो इस संस्थान की होने वाली सम्भावित फजीहत पर खुशियां मनाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनकी आशाओं पर तब वज्रपात सा हो गया जब इस संस्थान के विरुद्ध छापामारों को लेशमात्र भी सबूत नहीं मिला। संस्थान के डीन डॉ. असीम दास अगले दिन से ही छुट्टी पर चल रहें हैं। उनकी इस छुट्टी के पीछे, उनका मुख्यालय के व्यवहार से आहत होना समझा जा रहा है।

विदित है कि एनएमसी एवं मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा समय-समय पर यहां किये गये निरीक्षणों में ऐसी कोई कमी नहीं पाई थी जिसके आरोप उक्त झूठी शिकायत में लगाये गये हैं। यदि ये आरोप सही सिद्ध हो जाते तो एनएमसी व यूनिवर्सिटी दोनों ही मिलीभगत के दोषी पाये जाते। इसलिये इस शिकायत का निराकरण करना तो आवश्यक बनता था, लेकिन इसके लिये जो तरीका अपनाया गया वह निहायत ही निंंदनीय समझा जा रहा है। अपनाए गये इस तरीके से लगता है कि ईएसआई मुख्यालय एवं हरियाणा सरकार को अपने इस संस्थान पर कोई भरोसा ही नहीं है। जानकार बताते हैं कि सोमवार व मंगलवार की मध्य रात्रि को चंडीगढ़ से यूनिवर्सिटी को आदेश आया कि प्रात: 10 बजे इस संस्थान पर छापा मारा जाए। लिहाजा सुबह-सुबह सवेरे आठ बजे टीम रोहतक से रवाना हुई।

‘मजूदूर मोर्चा’ गतांक में लिख चुका है कि रोहतक मेडिकल कॉलेज एवं यूनिर्सिटी के डॉक्टर, ईएसआई संस्थान की उत्कृष्टता एवं प्रगति से बुरी तरह कुंठाग्रस्त हैं। वे हर समय इस मौके की ताक में रहते हैं कि कब इस संस्थान को नीचा दिखाया जा सके। टीम में एक डॉक्टर कुलदीप ललड जो कॉर्डियोलॉजी विभाग के हेड हैं को इस बात से बड़ी चिढ़ थी कि उनके यहां के एक डॉक्टर को कैथलैब का काम सीखने के लिये वाइस चांसलर ने यहां भेजा था जो ट्रेनिंग करे जा भी चुका।

जाहिर है कि डॉ. कुलदीप इस लायक नहीं समझे गये कि वे अपने स्टाफ को बेहतर ट्रेनिंग दे सकें।
संदर्भवश छापामार टीम को यह भी बता दिया गया कि इस संस्थान में डब्ल्यूएचओ, आईसीएमआर, डीबीटी, साइंस और टैक्नोलॉजी विभाग तथा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पचासों करोड़ के रिसर्च प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है। इसके विपरीत रोहतक में एक बार जैसे-तैसे डेढ़ करोड़ के प्रोजेक्ट आ गये थे जो फ्लॉप हो गये थे। इसके अलावा इस संस्थान मेंं एनएबीएच द्वारा एक्रेडेटिड एथिक्स कमेटी भी मौजूद है जिसके चलते यहां प्रोजेक्ट आते हैं।

रोहतक में ऐसी किसी कमेटी का वजूद नहीं है। रोहतक वालों को इससे भी तकलीफ है कि ईएसआई मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी मेडिसिन जैसे विषय पर पीजी कोर्स शुरू हो गया है और वो इस तरह के कोर्स शुरू करने में पिछड़ते जा रहे हैं।

इस संस्थान की उत्कृष्ट फैकल्टी द्वारा तैयार रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लॉन्सेट जैसी प्रतिष्ठत पत्रिका में भी छप चुके हैं जबकि रोहतक वालों का इस क्षेत्र में कहीं नामोनिशान तक नहीं है।

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Mazdoor Morcha
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