क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा देश के लोगों को तो मोदी-भक्ति का नशा उतर ही चुका है, 8, 9, 10 सितम्बर को दिल्ली में हुए जी-20 तमाशे से फ़ासिस्ट मोदी सरकार का असली चरित्र सारी दुनिया को पता चल गया। जिन मज़दूरों-मेहनतक़शों के हाथों के बगैर मोदी के लाडले कॉरपोरेट एक पैसा मुनाफ़ा नहीं कमा सकते, उन्हीं गऱीबों को मोदी सरकार ने हरे पर्दे लगाकर छुपा दिया उनके सारे जनवादी अधिकार छीन लिए गए उन्हें दोयम दजऱ्े के नागरिक बना डाला। मोदी सरकार की इस घोर मज़दूर-विरोधी ही नहीं बल्कि इंसानियत-विरोधी आपराधिक कार्रवाई से देशभर में मज़दूर तीव्र क्रोधित हैं और मोर्चे-सभाएं कर विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं। क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा अपना फज़ऱ् अदा करने में कैसे पीछे रह सकता है। 10 सितम्बर को 4 बजे सामुदायिक भवन सेक्टर 24 में एक शानदार आक्रोश सभा हुई और 6 बजे आक्रोश प्रदर्शन हुआ जिसमें बारिश के बावजूद बड़ी तादाद में मज़दूरों ने भाग लिया। सबसे महत्वपूर्ण यह रहा महिलाओं की तादाद पुरुषों से ज्यादा थी।
सभा में कॉमरेड्स नरेश, सत्यवीर सिंह, अशोक, शंकर, बबंती ने अपने विचार रखे। जिस देश में 80 करोड़ लोग कंगाली के उस स्तर को छू चुके हैं कि जिंदा रहने के लिए सरकारी खैरात पर निर्भर हैं, उस देश का प्रधानमंत्री विदेशी साम्राज्यवादी लुटेरों की आवभगत के नशे में ख़ुद को विश्वगुरु बनाने की सनक में, अय्याशी पर 4100 करोड़ रुपये (आधिकारिक, असली रक़म 10,000 करोड़ से कम नहीं होगी) खर्च कर डालता है!! सबसे शर्मनाक और ओछेपन की इन्तेहा देखिए 20 देशों के राज्याध्यक्ष मेहमान हैं और सडक़ के दोनों ओर ख़ुद की फ़ोटो लाइन से लगी थीं। नीदरलैंड से करोड़ों के ट्यूलिप के फूल, लक्जऱी गाडिय़ां और सोने-चांदी के बर्तनों में खाना खिलाते वक़्त शर्म महसूस नहीं करता। ये वही मोदी सरकार है जिसने पैसा बचाने के लिए स्कूली बच्चों के मिड-डे मील के बजट में कटौती की है, वरिष्ठ नागरिकों को रेल सफऱ में मिल रही रियायत छीन ली है। जानलेवा कोविड महामारी और लॉकडाउन में हज़ारों मील पैदल चलते शहीद हुए हज़ारों मज़दूरों को एक पैसा मुआवज़ा देने से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि सरकार के पास उन मज़दूरों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
1999 के भयानक पूंजीवादी संकट से अपनी जान बचाने की क़वायद में 7 सबसे बड़े साम्राज्यवादी देशों के समूह जी-7 में और 13 देश मिला लिए गए और जी- 20 बन गया, जिसका ना कोई हेड क्वार्टर है और ना कोई सचिवालय। इसकी अध्यक्षता बारी-बारी से आती है। 2003 में भी भारत अध्यक्ष था। बीस साल बाद इस साल नंबर आ गया। अध्यक्ष बनने के लिए मोदी ने कोई करामात की ऐसा भ्रम पैदा करना एक छलावा है, झांसेबाज़ी है। पिछले साल इंडोनेशिया अध्यक्ष था, अगले साल ब्राज़ील है। इंडिया का अगला नंबर 2043 में आना है लेकिन तब तक ये लुटेरी व्यवस्था जिंदा ही नहीं रहने वाली। 1999 में जी-20 बनने के बाद भी 2008 में फिर से भयानक पूंजीवादी संकट आया और आज तो संकट व्यवस्थाजन्य बन चुका है जो लूट के इस कोल्हू के साथ ही जाएगा। इसका सूपड़ा साफ होगा तब अपने-अपने देशों के बड़े सरमाएदारों को विश्व बाज़ार का अधिक से अधिक हिस्सा दिलाने के मक़सद से बने ये सारे ग्रुप ग़ायब हो जाएंगे। सर्वहारा की सरपरस्ती में बनी समाजवादी व्यवस्था में ही सही माने में विश्व-बंधुत्व क़ायम होगा।
इंडिया, किस कि़स्म की ‘लोकतंत्र की मां’ है, दुनिया यह भी जान गई!! चाटुकार पत्रकारों को भी सभागार के बाहर इस तरह शायद ही कभी खदेड़ा गया होगा जैसा मोदी जी ने खदेड़ा था। लोकतंत्र के चौथें खम्भेे को ‘लोकतंत्र की मांं’ की असलियत अगर समझ न आए इसके बावजूद भी जि़ल्ले इलाही के क़सीदे पढ़े, तो कोई क्या कर सकता है। अमेरिकियों के लाख कहने पर भी मोदी ने न ख़ुद प्रेस कॉन्फ्रेंस की और न राष्ट्रपति जो बाईडेन को करने दी। उन्हें भी क्या फर्क पड़ता है जब तक उनके ड्रोन डबल क़ीमत में बिक रहे हैं!! वहां भी तो जनवाद का दिखावा ही है। ट्रम्प ने अपनी गुंडा वाहिनी से जनवाद के अमेरिकी मंदिर, ‘कैपिटोल हिल’ पर चढ़ाई करवा दी थी, जजों के सिंहासन पलट दिए गए थे, उनके विचित्र मुकुट फाड़ डाले गए थे, ट्रम्प का कहां कुछ हुआ। जेल जाना तो छोडि़ए वह फिर से चुनाव लडऩे की फिऱाक में है। बुर्जुआ जनवाद एक धुंधलका ही तो होता है। क्या इंडिया और क्या अमेरिका!! एशिया से यूरोप तक सडक़ बनेगी हर तरफ़ विकास की हरी कोंपलें फूटेंगी, ये जुमले, शेखचिल्ली के किस्सों की तरह सुनाई पड़ते हैं। सालों से यूरोप जल रहा है, एशिया को सुलगाया जा रहा है। साम्राज्यवाद अब बस तबाही ही दे सकता है।
सभा के बाद सामुदायिक भवन परिसर में ही ज़ोरदार नारों के बीच तीव्र आक्रोश प्रदर्शन हुआ। ये नारे आकाश में गूंज रहे थे; ‘जी-20 के साम्राज्यवादी लुटेरों वापस जाओ’, ‘मज़दूरों-मेहनतक़शों से नफऱत करने वाली मोदी सरकार पर लानत है’, ‘जी-20 का वीभत्स तमाशा बंद करो’, ‘भूखी जनता के पैसे से अय्याशी करने वालों शर्म करो’, ‘गरीबों-मेहनतक़शों का अपमान नहीं सहेंगे’, ‘कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मज़दूर किसान’, ‘हम इतिहास बदल देंगे- इन फ़ौलादी हाथों से’, ‘मज़दूर जब भी जागा है-इतिहास ने करवट बदली है’, ‘साम्राज्यवाद का नाश हो’, ‘पूंजीवाद की क़ब्र खुदेगी- आज नहीं तो कल खुदेगी’। प्रदर्शन के दौरान, कामरेड्स नरेश, सत्यवीर सिंह, अशोक कुमार, मुकेश कुमार और चंदन कुमार ने साथियों को संबोधित किया, उनका हौसला बढ़ाया।