फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, भारी भरकम नाम पढ़ कर जनता को यह मुगालता नहीं पालना चाहिए कि वह जो भी खाद्य सामग्री खरीद रही है वह शुद्ध है क्योंकि एफएसएसएआई की उस पर कड़ी नजर रहती है। तो जान लीजिए कि इसके अधिकारी आपके बड़े शहर की सैकड़ों मिठाई, दूध, बेकरी, चाय-पकौड़े की दुकानों, ढाबे, होटल, एक्सपेलर, चक्की, मसाला चक्की आदि खाद्य सामग्री बनाने वाली संस्थाओं में से प्रत्येक महीने औसतन केवल 11 सैंपल ही भरते हैं। यह आंकड़ा 2015 से 31 जुलाई 2023 तक पूरे प्रदेश का है।
एफएसएसएआई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार प्राधिकरण ने अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2023 तक प्रदेश में 24 हजार खाद्य पदार्थों के नमूने जांच के लिए भरे। यानी पूरे प्रदेश में प्रति माह 242.42 सैंपल लिए गए। जिलों के आधार पर यह औसत महज 11 सैंपल प्रति जिला प्रति माह होता है। किसी भी शहर में खाद्य सामग्री उत्पादक, विनिर्माता, विक्रेता सैकड़ों की संख्या में रहते हैं। केवल दूधियों और दूध डेयरियों की संख्या ही सौ से अधिक होती है। ऐसे में पूरे महीने में महज 11 सैंपल लिया जाना प्राधिकरण की अकर्मण्यता प्रदर्शित करती है।
प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लंबे समय से खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) के 45 में से 43 पद खाली चल रहे हैं। अब प्राधिकरण इन खाली पदों में से केवल 9 पदों पर पशु चिकित्सकों को भर्ती किया है। सवाल यह है कि जब इन पदों को प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों से ही भरना था तो बाकी को खाली क्यों छोड़़ा गया। मोटी कमाई वाले इस पद पर तो आने के लिए बहुत से लोग तैयार होंगे। मोटी कमाई वाला पद पाने के लिए मोटा सुविधा शुल्क भी चुकाना पड़ता है। बाकी पद भरने के लिए सुविधा शुल्क चुकाने वालों को तलाशा जा रहा होगा, इसीलिए देर हो रही है।
वैसे भी इन अधिकारियों का काम ही क्या है। मौके पर सैंपल तो लैब असिस्टेंट ही भरता है, एफएसओ का काम भरे गए सैंपल पर हस्ताक्षर कर सत्यापित करने भर का ही है। सैंपल की जांच तो लैब में ही होती है। जांच रिपोर्ट के बाद ही कार्रवाई की जाती है, इसके लिए एफएसएसएआई की कानूनी शाखा है। एफएसओ तो सैंपल भरने का डर दिखा कर ही हजारों रुपये कमा सकते हैं जैसा कि पृथ्वी सिंह ने 2015 में सेक्टर 12 स्थित हल्दीराम की दुकान से गुलाबजामुन भरने के नाम पर पचास हजार रुपये वसूले थे।
फरीदाबाद, पलवल सहित तीन जिलों का काम देख रहे एफएसओ सचिन शर्मा की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है। नकली खाद्य सामग्री की शिकायत करने पर वह शिकायतकर्ता से ही सैंपल भर कर लाने को कहते हैं। उनके अनुसार यदि शिकायतकर्ता का दिया हुआ नमूना फेल होगा तब उसके बाद वह दुकानदार के पास जाकर नमूना भरेंगे। यही हाल जिला अभिहित अधिकारी पृथ्वी सिंह का है, वह भी स्टाफ की कमी का रोना रोकर कुछ नहीं करते। दरअसल इन अधिकारियों को सैंपल नहीं भरने के मोटे पैसे मिलते हैं, इसलिए ये काम करना ही नहीं चाहते।
देश में पर्व का सीजन शुरू हो चुका है, हाल ही में रक्षाबंधन बीता और जन्माष्टमी है, आगे नवरात्रि, दशहरा, दीपावली आने वाले है। इन त्योहारों पर मिठाई आदि की अनेक अस्थायी दुकानें खुलती हैं। वर्तमान में एनआईटी दशहरा ग्राउंड में बड़ा मेला लगा है।
मेले में दर्जनों खाद्य सामग्री की दुकानें लगाई गई हैं लेकिन जिस तरह प्राधिकरण के अधिकारियों ने रक्षाबंधन और 15 अगस्त के करीब दुकानों का निरीक्षण कर सैंपल भरने की जहमत नहीं उठाई उसी तरह मेले में भी सैंपल नहीं भरे गए। यहां आने वाले ग्राहकों को दुकानदार चाहे जैसे घटिया तेल में तल कर, या बासी सामग्री खिलाकर बीमार करें, एफएसएसएआई को कोई असर नहीं पड़ेगा।