नाम बदलने से स्कूल नहीं बन जाता सेंटर फॉर एक्सिलेंस

नाम बदलने से स्कूल नहीं बन जाता सेंटर फॉर एक्सिलेंस
September 13 05:02 2023

खट्टर ने अयोग्य और निकम्मे अधिकारियों को सौंप दी विद्यालयों को उत्कृष्ट बनाने की कमान

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) केजरीवाल के शिक्षा मॉडल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की नकल में मोदी-खट्टर सरकार ने हरियाणा में 133 विद्यालयों को सेंटर फॉर एक्सिलेंस बनाने की घोषणा तो कर दी लेकिन इसकी बागडोर शिक्षा जगत से अनजान अयोग्य और निकम्मे अधिकारियों को सौंप दी। मानव संसाधन से लेकर आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे ये विद्यालय अधिकारियों की बेरुखी का बुरी तरह शिकार हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने दिल्ली के स्कूलों की तर्ज पर प्रदेश में मॉडल संस्कृति स्कूल विकसित किए जाने की घोषणा अगस्त 2020 में की थी। इन मॉडल संस्कृति स्कूलों में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) पैटर्न से शिक्षा दिया जाना तय हुआ। खट्टर ने इन विद्यालयों का जिम्मा अपने चहेते लेकिन अयोग्य मास्टरों प्रमोद कुमार और एनके वर्मा को सौंपा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठ भूमि वाले एनके वर्मा और प्रमोद कुमार दोनों ही सेटिंग-गेटिंग में माहिर हैं और कई बरसों से मुख्यालय में जमे बैठे हैं। चर्चा है कि दलाली में माहिर दोनों शिक्षा मुख्यालय में बैठे किसी भी डायरेक्टर या अधिकारी के खास हो जाते हैं। इसी योग्यता को पसंद करते हुए खट्टर ने इन्हें नोडल अधिकारी के पद से नवाज दिया।

नोडल अधिकारी बनाए गए इन दोनों अधिकारियों को सीबीएसई की गाइड लाइंस, नियमों तक की जानकारी नहीं थी। इन अयोग्य अधिकारियों ने मॉडल संस्कृति स्कूलों को डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी, भला हो इन स्कूलों के योग्य प्रधानाचार्य और शिक्षकों का कि विपरीत हालात में भी इन लोगों ने हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के विद्यालयों से बेहतर परिणाम दिए।

शिक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीबीएसई पैटर्न के स्कूलों की शिक्षा से लेकर प्रबंधन तक सब कुछ सीबीएसई के बायलॉज से ही संचालित होता है। नोडल अधिकारी बनाए गए एनके वर्मा और प्रमोद कुमार दोनों ही को सीबीएसई के शैक्षणिक कैलेंडर तक की जानकारी नहीं थी, यानी कब दाखिले होने हैं, कब परीक्षा, कब परिणाम निकाले जाने हैं इनसे कोई मतलब नहीं था। सीबीएसई नियमों के अनुसार उसके स्कूलों में शिक्षकों की तैनानी स्क्रीनिंग यानि योग्यता परख के बाद ही होती है। तीस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक के मानक को भी इन निकम्मे अधिकारियों ने लागू नहीं किया। एनआईटी तीन स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेंकेंडरी स्कूल में 1700 सौ से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इस आधार पर इस विद्यालय में 56 शिक्षक होने चाहिए। इतने तो छोडि़ए विद्यालय में शिक्षकों के स्वीकृत 42 पद में से 21 खाली चल रहे हैं। एबीआरसी और लैब असिस्टेंट के सभी पद खाली पड़े हैं। आधे टीचर और अधूरा स्टाफ देकर खट्टर और उनके निकम्मे अधिकारी केजरीवाल के स्कूलों जैसे परिणाम की अपेक्षा करते हैं।

सीबीएसई नियमों के अनुसार किसी भी शिक्षक को शिक्षा कार्य के अलावा किसी अन्य गैर शैक्षिणक कार्य में नहीं लगाया जा सकता। एनआईटी तीन स्थित इस स्कूल की अंग्रेजी की शिक्षिका अविनाशा शर्मा डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन की कृपा से एक साल से डेप्यूटेशन पर कुरुक्षेत्र में हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के बजाय वह वहां आठ साल तक के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) सिखा रही हैं। जिला प्रशासन भी आए दिन किसी न किसी काम के लिए विद्यालय के शिक्षकों को बुला लेता है, शिक्षा निदेशक से लेकर डीसी, डीईओ, बीईओ, डायट प्रिंसिपल आदि सीबीएसई के नियम और गाइडलाइन की जानबूझ कर धज्जियां उड़ाने पर तुले हुए हैं।

यह समस्या सिर्फ एनआईटी तीन स्थित स्कूल की ही नहीं है, सेक्टर 55, नंगला गूजरान, मेवला महाराजपुर और तिगांव के मॉडल संस्कृति स्कूल भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। शिक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सरकार ने इन स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न तो लागू कर दिया लेकिन इनमें शिक्षकों की तैनाती राज्य सरकार ही करती है, आला अधिकारी सीबीएसई प्रबंधन और नियमों की जानकारी होते हुए भी इन शिक्षकों को राज्य के शिक्षकों की तर्ज पर गैर शैक्षणिक काम में लगा देते हैं।

भरोसेमंद विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन समस्याओं की शिकायत सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने डीईओ से लेकर निदेशक शिक्षा विभाग, शिक्षामंत्री और मुख्यमंत्री तक लिखित और मौखिक रूप से की है लेकिन निकम्मे और भ्रष्ट अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। कई विद्यालय इतनी कमियों के बावजूद बेहतर परिणाम दे रहे हैं लेकिन यदि उनकी कमियों को सुलझाया नहीं गया तो फिर ये मॉडल स्कूल भी भ्रष्ट, निकम्मे लाल फीताशाह अफसरों की भेंट चढ़ जाएंगे और खट्टर का केजरीवाल के स्कूलों से मुकाबला करने का सपना साकार नहीं हो पाएगा।
काम का ढिंढोरा तो पीटा, किया कुछ नहीं

मोदी और खट्टर सरकार का मंत्र काम का ढिंढोरा पीटो लेकिन करो नहीं, मॉडल संस्कृति स्कूलों के संचालन में भी नजर आ रहा है। मोदी-खट्टर ने जोर शोर से स्वच्छ भारत अभियान का ढिंढोरा पीटा था। एनआईटी तीन मॉडल संस्कृति स्कूल सहित अन्य स्कूलों में स्वीपर पद खाली पड़े हैं। सरकार ने इन स्कूलों को स्वीपर तो उपलब्ध कराया नहीं लेकिन प्रधानाचार्यों पर स्वच्छता अभियान की तलवार लटका दी। विद्यालय में सफाई नहीं पाए जाने पर प्रधानाचार्य को जवाबदेह बनाया गया है। मरता क्या न करता की तर्ज पर कई विद्यालयों ने निजी सफाईकर्मी तैनात किए हैं जिनका खर्च विद्यालय की ओर से दिया जाता है यानी जो धन बाल कल्याण में लगाया जाना था वह सफाई में खर्च किया जा रहा है।

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Mazdoor Morcha
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