गबन का आपराधिक मुकदमा अदालत में लम्बित, सरकार ने दी क्लीन चिट

गबन का आपराधिक मुकदमा अदालत में लम्बित, सरकार ने दी क्लीन चिट
September 13 04:58 2023

डीईओ मुनेश चौधरी को 31 अगस्त को बाइज्जत रिटायर होने दिया गया

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) करीब 35 वर्ष हरियाणा सरकार को चूना लगाने व गबन आदि करने के बाद डीईओ मुनेश चौधरी 31 अगस्त को स्थायी रूप से रिटायर हो गई हैं। देखा जाए तो तीन माह पूर्व ही, जब ये तीन माह की छुट्टी पर चली गईं थी तो उसी दिन से इन्हें रिटायर समझ कर इनके स्थान पर किसी नियमित डीईओ को तैनात कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन भ्रष्टाचार में डूबी सरकार व शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने ऐसा करने की अपेक्षा पलवल के डीईओ अशोक बघेल को अतिरिक्त कार्यभार सौंपते हुए लिखा था कि जब तक मुनेश छुट्टी पर रहे तब तक वे यहां के प्रभारी रहेंगे।

उच्चाधिकारियों के इसी धूर्ततापूर्ण आदेश का लाभ उठाते हुए मुनेश चुपके से 16 अगस्त को डीईओ की सीट पर आ धमकी। तीन दिन तक इस सीट पर बैठ कर वे सब काले-पीले काम निपटा दिये जिनको निपटाने से कार्यवाहक डीईओ ने मना कर दिया था। इसके बाद मुनेश 25 अगस्त तक दफ्तर नहीं आईं। कहने को तो वे छुट्टी पर थीं लेकिन वास्तव में घर से ही दफ्तर चला रहीं थीं। इतना ही नहीं वे तमाम $फाइलें भी उनके कथित ‘ओएसडी’ प्रवीण के कब्जे में हैं। प्रवीण कहने को तो पाली गांव स्थित ‘डायट’ का क्लर्क है लेकिन वास्तव में वह मुनेश का ड्राइवर तथा कलेक्शन एजेंट है। इसी के चलते विभाग के लोग उसे मुनेश का ओएसडी कहते हैं।

जानकार बताते हैं कि 25 अगस्त को जब शिक्षा निदेशक अंशज सिंह आईएएस ने $जिला शिक्षा अधिकारियों की वीडियो कॉन्फें्रसिंग में फरीदाबाद के डीईओ सेे वार्ता करनी चाही तो दफ्तर के सुपरिंटेंडेंट ने कहा कि मैडम तो छुट्टी पर गईं। डायरेक्टर ने हैरान होते हुए कहा कि जब पलवल के डीईओ को प्रभारी बनाया गया था तो वे कहां हैं? इसके जवाब में प्रभारी डीईओ बघेल ने बताया कि उनके आदेश के मुताबिक ही जिस दिन मैडम दफ्तर में आ गईं तो वे स्वत: अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त हो गये। इस पर भडक़ते हुए डायरेक्टर ने उसी दिन से मुनेश को स्थायी रूप से कार्यमुक्त करते हुए कार्यवाहक डीईओ को तब तक पद पर बने रहने को कहा जब तक किसी नये डीईओ की नियुक्ति न हो जाए। इसके बावजूद बघेल, मुनेश की दादागिरी के डर से $फरीदाबाद के दफ्तर में न आये। सूत्र बताते हैं कि इसका लाभ उठाते हुए मुनेश धड़ाधड़, घर बैठे काली-पीली $फाइलें निपटाती रहीं।

कामचोर एवं भ्रष्ट मुनेश की विदाई
प्रत्येक सरकारी कर्मचारी की हार्दिक इच्छा रहती है कि वह ससम्मान अपने पद से निवृत होकर घर जाए। इसके लिये बाकायदा साथी कर्मचारियों की ओर से विदाई समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें विदा होने वाले को उपहार आदि देकर सम्मानित किया जाता है।

मुनेश ने अपने सेवा काल में ऐसा कोई भी काम तो किया नहीं था जिससे लोग उन्हें सम्मानित करते। लेकिन लोक दिखावा करना भी तो बहुत जरूरी होता है। इसके लिये दफ्तर के प्रांगण में अच्छा-खासा शामियाना आदि लगा कर लंच का प्रबन्ध किया गया।

मैडम के लिये उपहार आदि भी एकत्र किये गये। इस भव्य समारोह पर खर्च करने के लिये दफ्तर में बैठे तमाम बाबुओं पर दो-दो हजार रुपये देने का दबाव डाला गया। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ईमानदारी से काम करके एवं अपने वेतन पर गुजर-बसर करने वाले बाबूओं ने यह रकम देने से साफ मना कर दिया। हां, चंद बाबू जो मुनेश की कृपा से माल-मलाई मारते रहे वे अवश्य ही दो की जगह चार-चार हजार भी दे रहे हैं। इसके अलावा निजी स्कूलों से भी अच्छी-खासी वसूली किये जाने की चर्चा है।

इस लुटेरी एवं जन विरोध व्यवस्था के माफिक आने वाली मुनेश चौधरी जैसी डीईओ का सम्मान तो इस व्यवस्था में होना ही चाहिये। जिस मुनेश ने पूरे 35 साल की नौकरी में एक बार भी किसी प्रकार की छुट्टी न ली हो और कभी भी $फरीदाबाद शहर से बाहर नौकरी न की हो तो ऐसी ‘कत्र्तव्यनिष्ठ’ अधिकारी को सम्मान तो मिलना ही चाहिये। वह बात अलग है कि मुनेश ने ड्यूटी पर ‘रहते’ हुए न केवल अपने दो बच्चों की शादियां सम्पन्न कर दीं बल्कि उनकी कोचिंग कराने के लिये महीनों तक कोटा में भी रह आईं।

बिना किसी स्वीकृति के विदेश यात्राएं तक भी कर डालीं। उनका रुतबा इतना रहा कि मातहत तो मातहत ऊपर के अधिकारी तक भी उनसे खौ$फ खाते रहे। जिस मातहत अथवा अधिकारी ने उनको सहयोग करने से मना किया, उन्हें अपने प्रभाव से बुरी तरह प्रताडि़त किया बल्कि कुछेक को तो नौकरी से बर्खास्त तक भी करा दिया।
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को?

उपलब्ध जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्त होने के बाद बीके अस्पताल स्थित उस कैंटीन में जाकर बैठेंगी जहां से लोगों को दस रुपये थाली के हिसाब से खाना मिलता है। अभी यह तो पता नहीं कि वहां बैठ कर मुनेश करेंगी क्या? वे अपनी लूट कमाई का कुछ हिस्सा दान करेंगी या वहां खाना पकाएंगी अथवा बर्तन मांजेंगी या फिर शिक्षा विभाग की तर्ज पर वहां भी चूना ही लगाएंगी। जिस मुनेश ने जिंदगी भर शिक्षा विभाग में कमा कर नहीं खाया निरंतर भ्रष्टाचार ही किया हो वह इस कैंटीन में बैठ कर कैसी सेवा कर पाएगी यह तो समय ही बताएगा।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles