निगम सचिव ने विज्ञापन हटवा कर केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर से पंगा लिया, मैडम ने छीने अधिकार

निगम सचिव ने विज्ञापन हटवा कर केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर से पंगा लिया, मैडम ने छीने अधिकार
September 13 04:36 2023

मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट अमोलिक बिल्डर के अवैध विज्ञापन उखड़वाने का भुगतना पड़ा खामियाजा

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर के ड्रीम प्रोजेक्ट अमोलिक बिल्डर के अवैध विज्ञापनों पर बुलडोजर चलाना नगर निगम सचिव जयदीप को महंगा पड़ा। कार्रवाई से नाराज मंत्री के फरमान पर आईएएस टॉपर निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने आनन-फानन जयदीप से विज्ञापन विभाग के अधिकार छीन कर विज्ञापनों से मोटी कमाई करने वाले पुराने खिलाड़ी एसई ओमबीर सिंह को सौंप दिया। जयदीप केवल मंत्री की ही आंख में नहीं खटक रहे थे, निगम के खाऊ-कमाई, लूट कमाई में माहिर और बेइमान अधिकारी भी उनकी कार्यशैली से परेशान थे, क्योंकि विज्ञापन तो वह उखड़वा रहे थे लेकिन कमाई इन अधिकारियों की बंद हो रही थी, ऊपर से विज्ञापन माफिया की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही थी। नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की मोटी कमाई में अवैध विज्ञापन के जरिए आने वाले राशि का बड़ा हिस्सा है। मोटी कमाई के अलावा सत्तापक्ष के नेताओं के विज्ञापन होर्डिंग लगा उनकी चाटुकारिता कर अपनी कुर्सी बचाने का काम भी अधिकारी करते हैं। ग्रेटर फरीदाबाद में अमोलिक बिल्डर नाम की कंपनी के कई बड़े आवासीय, कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। आम चर्चा है कि यह कंपनी केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर के पौत्र अमोलिक के नाम पर है और वह ही इसके मालिक हैं। अब केंद्रीय मंत्री के प्रोजेक्ट के प्रचार प्रसार के लिए होर्डिंग, बैनर, वाल पेंटिंग, खंभों को रंगना ही था। निगम के चाटुकार अधिकारियोंं ने भी पूरे ग्रेटर फरीदाबाद की सडक़ों से लेकर मुख्य स्थान अमोलिक के विज्ञापनों के लिए मुफ्त में छोड़ दिए।

निगम के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा विज्ञापन के जरिए हर साल चार से पांच करोड़ रुपये बंदरबांट करने और डकारे जाने की शिकायतें बीते करीब एक साल से कई आरटीआई कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और जागरूक नागरिक कर रहे थे। यहां तक कि पूर्व निगमायुक्त जीतेंद्र दहिया को शहर में लगे अवैध विज्ञापनों की लोकेशन, फोटो आदि भेज कर बार बार शिकायत की जाती रही। शिकायत सिर्फ निगमायुक्त से ही नहीं की जाती थी बल्कि मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई जाती थी लेकिन लगता है कि अवैध मोटी कमाई का हिस्सा ऊपर तक पहुंचता था तब ही कोई कार्रवाई नहीं होती थी।

दो माह पहले ही निगम सचिव पद पर आए जयदीप से भी विज्ञापन घोटाले की शिकायत की गई लेकिन पूर्व कमिश्नर जीतेंद्र दहिया ने उनकी एक न चलने दी। हाल ही में मोना ए श्रीनिवास ने निगमायुक्त का पद संभाला। निगम के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मौके की तलाश में लगे जयदीप ने निगमायुक्त को अवैध विज्ञापन घोटाले की जानकारी देकर कार्रवाई के लिए राजी कर अभियान छेड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि कुछ लोगों ने निगम सचिव को सलाह दी कि कहीं भी कार्रवाई करना लेकिन मंत्री प्रोजेक्टों के विज्ञापनों को नहीं छूना वरना अभियान शुरू होते ही बंद हो जाएगा।

इसके बावजूद सबसे पहले उनका बुलडोजर मंत्री के प्रोजेक्ट अमोलिक के अवैध विज्ञापनों पर चला। चार्मवुड विलेज में सडक़ के सेंट्रल वर्ज पर हर पांच मीटर पर लगाए गए विज्ञापन, सडक़ किनारे लगाई गई होर्डिंग, गैंट्री से लेकर सडक़ किनारे खंभों पर लगाए गए पोस्टर सब मिट्टी में मिला दिए गए। इसके बाद अस्पताल, स्कूलों और थाने, चौकियों पर लगाए गए अवैध विज्ञापन हटाए गए। मंत्री को उनके ही गढ़ में उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले ईमानदार अधिकारी की हरकत पसंद नहीं आई। इधर चौकियों से हटाए गए अवैध विज्ञापनों के मालिक अवैध विज्ञापन माफिया भी परेशान हो गए। विज्ञापन माफिया ने जिन निगम अफसरों को लाखों रुपये दिए थे उन पर दबाव बनाना शुरू किया। मंत्री के गुस्से से बचने के लिए इन अधिकारियों ने मंत्री के लगुए भगुओं के जरिए उन तक अपनी स्वामीभक्ति जताते हुए खुद के बेगुनाह होने और सारा दोष जयदीप का होने का संदेश भिजवा दिया। निगम सचिव के साहसिक अभियान लोगों में तारीफ तो हो रही थी लेकिन जल्द ही उनका अहित होने की भी अटकलें लगाई जा रही थीं। हुआ भी वही, बुधवार को निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने दो लाइन का आदेशपत्र जारी कर निगम सचिव जयदीप से विज्ञापन संबंधी सभी अधिकार छीन कर अधीक्षण अभियंता ओमबीर को थमा दिए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री खट्टर यदि सच में ईमानदार हैं तो अवैध विज्ञापनों के खिलाफ अभियान चला कर राज्य सरकार का करोड़ों रुपयों का नुकसान बचाने वाले ईमानदार निगम सचिव जयदीप की छीनी गई शक्तियांा वापस दिलाकर यह साबित करें कि वह नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के प्रति गंभीर हैं, अवैध विज्ञापन माफिया के खिलाफ फरीदाबाद ही नहीं पूरे हरियाणा में अभियान चलवा कर और जुर्माना वसूल कर जनता के समक्ष अपनी ईमानदार छवि प्रस्तुत करें। वह ऐसा कर पाएंगे ऐसा लगता नहीं क्योंकि अधिकतर विज्ञापन माफिया तो सत्तापक्ष के करीबी हैं।

कई साल से जारी है विज्ञापन से मोटी कमाई का खेल\नगर निगम के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार अवैध विज्ञापनों से प्रतिवर्ष अधिकारियों की जेब में लगभग पांच करोड़ रुपया जाता है। यह रुपया विज्ञापन माफिया के जरिए पहुंचता है। विज्ञापन माफिया पूरे शहर में अवैध रूप से होर्डिंग, गैंट्री, पोल और एडवारटाइजिंग डिस्प्ले ट्रक, वैन आदि चलाते हैं। एक होर्डिंग का एक महीने का किराया उसकी लोकेशन के आधार पर पचास हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक होता है। इसी तरह गैंट्री, पोल से भी प्रति माह लाखों की आमदनी होती है। डिस्प्ले ट्रक, वैन आदि का किराया भी लाखों रुपयों में होता है। इन अवैध विज्ञापनों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा निगम अधिकारियों तक पहुंचता है।

विज्ञापन विभाग में भ्रष्टाचार का खुलासा 2017 में हुआ था। यहां तैनात राजेंद्र सिंह नाम के कर्मचारी ने बताया था कि तत्कालीन एसडीओ उसे सत्ता पक्ष के राजनेताओं की होर्डिंग छोड़ कर बाकी सभी राजनीतिक पार्टियों की होर्डिंग पोस्टर हटाने का आदेश देता है।

यही नहीं कुछ अस्पतालों और स्कूलों की अवैध होर्डिंग नहीं हटाने दी जाती। उसने इस तरह की कुछ अवैध होर्डिंग हटाईं तो एसडीओ ने उसका कॅरियर खत्म करने की धमकी दी थी। उसने बताया था कि विज्ञापन से नगर निगम को महज 26 लाख रुपये मिलते हैं जबकि इससे कहीं ज्यादा रकम अवैध विज्ञापनों के जरिए अधिकारियों में बंदरबांट होती है। राजेंद्र ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक की थी। वर्तमान में विज्ञापन की अवैध कमाई का यह आंकड़ा करीब पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष बताया जा रहा है।

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Mazdoor Morcha
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