विहिप-बजरंग दल का झूठ सामने आया

विहिप-बजरंग दल का झूठ सामने आया
September 13 03:22 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भगवा दंगाई बिट्टू बजरंगी के पकड़े जाने पर उससे पल्ला छुड़ाने वाले विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल की सच्चाई सामने आ गई। बिट्टू के गिरफ्तार होने के दूसरे दिन यानी 16 अगस्त को ही विहिप ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि ‘‘राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी, जिसे बजरंग दल का कार्यकर्ता बताया जा रहा है, उसका बजरंग दल से कभी कोई संबंध नहीं रहा। बीते मंगलवार को राष्ट्रीय बजरंग दल ने बिट्टू की रिहाई के लिए पलवल में डीसी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर विहिप के दावों को झूठा साबित कर दिया।

राष्ट्रीय बजरंग दल के क्षेत्रीय महामंत्री मुनीष भारद्वाज ने दंगे का ठीकरा मेवाती मुस्लिम समाज पर फोड़ते हुए कहा कि नूंह में जलाभिषेक यात्रा के लिए मेव बहुत दिन पहले से धमकी दे रहे थे। सरकार के पास सीआईडी रिपोर्ट थी कि दंगा होगा लेकिन फिर भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। आरोप लगाया कि राजनीति के कारण सुरक्षा नहीं दी गयी या प्रशासन का कोई अधिकारी सुरक्षा नहीं देकर दंगा करवाना चाहता था। उन्होंने बिट्टू को निर्दोष बताते हुए रिहा करने की मांग की।

एक ओर विहिप ने बिट्टू को उसके सहयोगी संगठन बजरंगदल का होने से इनकार किया तो मुनीष भारद्वाज उसे छुड़ाने के लिए क्यों आगे आए? संघ को करीब से जानने वालों के अनुसार संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों की नीति धर्म के नाम पर भावनाएं भडक़ा कर दंगे करवाने और खुद को इनसे अलग दिखाने वाली रही है। उड़ीसा में पादरी ग्राहम स्टेंस और उसके मासूम बच्चों को जला कर मार डालने वाले दारा सिंह का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि घटना के बाद विहिप, बजरंग दल आदि सबने दारा सिंह को बजरंग दल का सदस्य मानने से इनकार कर दिया था। इस तरह की न जाने कितनी घटनाएं हैं जब दंगे, हत्या करने वालों से इन संगठनों ने सार्वजनिक रूप से किनारा कर लिया। बिलकुल यही काम विहिप ने बिट्टू बजरंगी के मामले में किया। सभी जानते हैं कि बिट्टू विहिप, संघ, बजरंग दल आदि भगवा दंगाई संगठनों के हाथों में खेल रहा था।

अब सवाल ये कि मुनीष भारद्वाज बिट्टू के समर्थन में खुलेआम क्यों कूद पड़े? जानकार बताते हैँ कि बिट्टू से किनारा करने के कारण बहुत से ऐसे युवा जो विहिप आदि की दुष्प्रेरणा से मारने काटने तक को तैयार रहते थे आशंकित हो गए। इन युवाओं को लगा कि बिट्टू जैसे कद्दावर से पल्ला झाड़ लिया गया तो वे तो किसी गिनती में भी नहीं आते, यानी विहिप दंगे हमसे करवाए और अगर हम फंसें तो किनारा कर लेगी। घटना से युवाओं का मोहभंग होते देख रणनीति बदली गई और मुनीष भारद्वाज को युवाओं को थामे रखने के लिए प्रदर्शन का ढोंग किया। जानकार यह भी कहते हैं कि संघ की नीति दो कदम आगे, एक कदम पीछे की है। यानी बिट्टू बजरंगी से सार्वजनिक तौर पर तो पल्ला झाड़ लिया गया लेकिन पीठ पीछे उसका समर्थन जारी है।

संघ से जुड़े वकीलों से लेकर अधिकारी और कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की फौज जेल में बंद बिट्टू को छुड़ाने के प्रयास से लेकर उसकी सेवा टहल में लगी है। बहुत संभव है कि उसके जेल से बाहर आने पर पल्ला झाडऩे वाले यही हिंदूवादी संगठन फूल माला और जुलूस के जरिए उसका स्वागत करेंगे।

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Mazdoor Morcha
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