फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मन की बात कार्यक्रम में कुपोषण को भजन, गीत और संगीत के जरिए दूर करने का जुमला फेकने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के स्थानीय कार्यालय ने गंभीरता से ली है। शायद यही कारण है कि प्राधिकरण ने बीते दो साल से ज्यादा समय से एक भी खाद्य सामग्री का सैंपल नहीं भरा है। बहाना कि प्राधिकरण की मोबाइल लैब खराब पड़ी है, इसलिए सैंपल नहीं भरे गए।
देश के लोगों को मिलावट रहित शुद्ध भोजन उपलब्ध हो इसके लिए करोड़ों रुपये के बजट वाला एफएसएसएआई स्थापित किया गया। खाद्य पदार्थों में मिलावट का मौके पर ही निरीक्षण किए जाने के लिए 2017 में प्राधिकरण को मोबाइल लैब मिली थी। कोई भी व्यक्ति 25 रुपये शुल्क अदा कर किसी भी खाद्य सामग्री की जांच का आवेदन कर सकता है। प्राधिकरण की मोबाइल लैब मौके पर पहुंच कर सैंपल की जांच कर तुरंत ही शुद्धता और मिलावट की जानकारी दे देती थी। इसके आधार पर कार्रवाई होती थी।
छोटे से छोटे काम का ढिंढोरा पीटने वाली खट्टर सरकार के नेताओं ने शहर के मिलावट खोरों की खैर नहीं जैसे दावे कर वाहवाही लूटी थी। प्राधिकरण के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार मोबाइल वैन के आने पर लोगों की मिलावटी सामान की शिकायतें बढ़ गईं। शिकायतों पर जांच और कार्रवाई करना अधिकारियों की मजबूरी बन गई। कार्रवाई शुरू हुई तो उन दुकानदारों ने विरोध शुरू कर दिया जो सुविधा शुल्क देते थे। दुकानदारों का तगड़ा विरोध देखते हुए सैंपलिंग प्रक्रिया धीमी तो की गई लेकिन रुक नहीं सकी। करीब दो साल पहले मोबाइल लैब संदिग्ध रूप से दुर्घटनाग्रस्त होकर सडक़ किनारे खंती में पलट गई। वैन को मरम्मत के लिए दिल्ली वर्कशॉप भेज दिया गया जो आज तक बन कर नहीं आई। इसके बाद से खाद्य सामग्रियों के सैंपल नहीं भरे गए। अधिकारियों के पास बहाना है कि मोबाइल लैब नहीं है इसिलए सैंपल नहीं भरे जा रहे। मोबाइल लैब के पहले भी तो सैंपल भरे जाते थे इस सवाल पर अधिकारी मौन हो जाते हैं।
सच्चाई यह है कि इन निकम्मे अधिकारियों की नीयत साफ नहीं है वरना इतने दिन में तो कोई वैन पचासों बार रिपेयर करा कर मंगाई जा सकती थी, वैन की छोडि़ए अधिकारी खुद भी सैंपल भर सकते थे। लेकिन अगर सैंपल भरा तो दुकानदार सुविधा शुल्क रोक देंगे, जनता जहर खाती है तो खाए, दुकानदार मिलावटी और घटिया खाद्य सामग्री परोसें इससे इनको क्या?
शिकायत की तो कहा जाएगा कि खुद ही खाद्य सामग्री का सैंपल लेकर आइए, जांच के लिए भेजा जाएगा, अगर गड़बड़ी मिली तब ही प्राधिकरण दुकान पर जाकर नया सैंपल भरेगा। बहुत संभव है कि दुकानदार को सूचना भी मिल जाए कि अमुक व्यक्ति ने उसकी शिकायत की है और सैंपल भेजा है। क्या पता रास्ते में सैंपल ही बदल जाए या फिर यहीं ले देकर सब कुछ शुद्ध हो जाए। इस बीच जनता मोदी की मन की बात एपिसोड 92 की सलाह यानी गीत, संगीत, भजन गाकर मिलावटी खाने के जहरीले प्रकोप से बचती रहे।