रिकॉर्ड बारिश, जलभराव और साइकिल चलाने में कठिनाई भी मज़दूरों को ‘मई दिवस’ की रैली में जाने से नहीं रोक पाए

रिकॉर्ड बारिश, जलभराव और साइकिल चलाने में कठिनाई भी मज़दूरों को ‘मई दिवस’ की रैली में जाने से नहीं रोक पाए
May 06 11:39 2023

क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा
‘इससे पहले, 1 मई के दिन, इतनी ठंड और बारिश कब रही?’ गूगल ‘गुरूजी’ का जवाब आया, 1901 में, मतलब 122 साल पहले!! वैसे तो, भुखमरी-प्रधान हमारे देश में, नागरिक सुविधाएंं किसी को भी मयस्सर हैं ही नहीं; लेकिन सबसे दयनीय हालत पानी, सीवर के गंदे पानी की निकासी ना होना है। थोड़ी बारिश होते ही, सेक्टर 21 स्थित, फऱीदाबाद पुलिस कमिश्नर के घर में पानी घुस जाता है, आम आदमी की क्या बिसात!! नगर निगम, टूटी नालियों की मरम्मत, सफाई का काम, बारिश से पहले, 15 जून के आस-पास ही शुरू करता है, जिससे रिहायशी इलाक़े, कहीं बाढ़ में बह ही ना जाएं!! फिर उनसे कर वसूली कैसे होगी!! सोमवार, 1 मई को, कई घंटों, तगड़ी बारिश हुई और ‘नियमानुसार’ पानी सडक़ों पर जमा होता गया। 1 मई की रैली का रूट, बहुत सोच-विचारकर तय हुआ था। सोहना मोड़, टी पॉइंट से ‘हार्डवेयर चौक’ तक, लगभग 4 किमी लम्बे ‘दीपचंद भाटिया मार्ग’ के पूरब में बड़े उद्योग हैं, और पश्चिम में घनी मज़दूर बस्तियाँ। 1 मई की शाम उस सडक़ का नज़ारा ऐसा था कि बीच-बीच में बस कहीं-कहीं टापू की तरह सडक़ नजऱ पड़ती थी। सडक़ पर आवश्यक रूप से मौजूद गड्ढे, पानी में डूब जाने के कारण समतल हो चुके थे और वाहन उसमें फंसकर अटकते जा रहे थे।

रेलवे लाइन के किनारे बसी मज़दूर बस्तियों में तो, सीवर का विचार भी अभी पहुंचना बाक़ी है। असमय हुई बारिश का पानी उनके ‘घरों’ में लबालब भर गया था। ऐसी आपातकालीन स्थिति में, कैसे कोई मज़दूर रैली में जा सकता है!! फऱीदाबाद के मज़दूरों के आवागमन का प्रमुख साधन, मोदी के मौजूदा ‘बुलेट ट्रेन अमृत काल’ में भी साइकिल ही है। सुबह 9 बजे से पहले और शाम 5 के बाद, आप, दीपचंद भाटिया मार्ग के किसी भी चौक पर खड़े होकर, साइकिलों की गिनती करना चाहें, तो कर नहीं पाएंगे। ऐसी हालत में, रैली हो पाएगी, इसकी संभावनाएं ही बहुत कम थीं। यही वजह थी कि सोहना मोड़ स्थित ‘शान-ए-मुग़ल’ होटल के बाहर, बूंदा-बांदी के बीच, जिस तरह अपनी पतलूनों को घुटने तक चढ़ाए हुए, भीगते हुए, मज़दूर पहुंचते गए, वह बहुत सुखद आश्चर्यजनक अनुभव था। तिराहे पर मौजूद, इकलौता पुलिस सिपाही भी ये कहते सुना गया, ‘कुछ गंभीर मसला है, क्या, जो ऐसे मौसम में, लाल झंडे लिए इतने मज़दूर इकठ्ठे  होते जा रहे हैं?’ जी हां, बहुत ख़ास मौक़ा है, आज 1 मई है, ‘अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस’, शिकागो के अमर शहीदों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने, उन्हें लाल सलाम प्रेषित करने का दिन। आज मज़दूरों का सबसे ख़ास दिन है।

सोहना मोड़ तिराहे पर ही, क्रांतिकारी नारों के साथ सभा शुरू हो गई। प्रतिकूल मौसम में हो रही, इस मीटिंग का आने-जाने वालों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। लोग इर्द-गिर्द जमा होने लगे, पर्चा लेकर पढऩे लगे और नारों में भी साथ देने लगे। उपस्थित मज़दूरों के चेहरे खिल उठे। तय मार्ग पर तो, रैली होने का सवाल ही नहीं था, इसलिए, पहले ये फैसला हुआ कि यहीं सभा कर, कार्यक्रम संपन्न होने की घोषणा कर दी जाए। बाद में नजऱ पड़ा कि बल्लभगढ़ की ओर जाने वाली, सीमेंट वाली, सोहना रोड की मरम्मत हाल में ही हुई होने के कारण, ऊंची है और वहां बिलकुल पानी जमा नहीं हुआ। चलो, इसे ही रैली का रूट बनाया जाए। आगे लगभग आधा किमी दूर, सेक्टर 24 औद्योगिक क्षेत्र वाली सडक़ की जानी-पहचानी रोड पर मुड़ जाएंगे, लखानी फुटवेयर प्रा. लि. भी उसी रोड पर है। लाल झंडे लहराते, गले में तख्तियां लटकाए, बुलंद आवाज़ में नारे लगाते मज़दूरों का जत्था, उस ओर आगे बढ़ गया।

इस रोड के उत्तर में मौजूद फैक्ट्री मज़दूरों की भी एक बात का उल्लेख यहां होना ज़रूरी है। वे लोग सडक़ पर आ-आ कर मई दिवस के पर्चे ले रहे थे और मुस्कुराकर नारों का साथ दे रहे थे। ये मज़दूर भी, एक दिन, तमाशबीन ना रहकर, ऐसी रैलियों में भाग लिया करेंगे, वह वक़्त भी अब बहुत दूर नहीं!! रैली के औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर 24 वाली रोड पर, बाएं मुडऩे तक अंधेरा हो चुका था। ये रोड कम चौड़ी है, पर्याप्त रोशनी भी नहीं है और इस रोड पर पानी भी भरा हुआ था। साथ ही, इस रोड पर लम्बे-लम्बे ट्रक, ट्रेक्टर-ट्रॉली लगातार गुजरते रहते हैं। सुरक्षा का सवाल जैसे ही खड़ा हुआ, कुछ मज़दूर साथियों ने खुद, ट्रैफिक पुलिस की जि़म्मेदारी ले ली। आने-जाने वाले वाहनों के ड्राईवरों ने भी भरपूर सहयोग किया।

आगे, जैसे ही बाईं ओर स्थित, प्लाट न 266 नज़दीक आया और ‘लखानी फुटवेयर’ का बोर्ड नजऱ आया, साथियों की आवाज़ में तल्खी बढ़ गई। ‘लडक़र लेंगे अपने हक़, भूलो मत भूलो मत’, ‘हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते’, ‘फऱीदाबाद में कोई श्रम क़ानून लागू नहीं, खट्टर सरकार शर्म करो’, ‘मज़दूरों के पीएफ का पैसा डकारने वाले, लखानी को गिरफ्तार करो’, सरमाएदारों की ताबेदारी, मज़दूरों की झोपडिय़ों पर बुलडोजऱ; यही है भाजपा का राष्ट्रवाद-राष्ट्रभक्ति’, ‘श्रम अधिकारों पर हमला नहीं सहेंगे’, ‘जात-धरम में नहीं बटेंगे; मिल-जुल कर संघर्ष करेंगे’, नारे आकाश में गूंज उठे। यहां पहुंचकर रैली ठहर गई। दरअसल, यही वो जगह है, जहां ये मज़दूर, अपनी साइकिल लिए, अल-सुबह, सन 2011-12 से लगातार आते रहे है। पांच मिनट की देरी पर ही, लखानी प्रबंधन, मज़दूरों को वापस लौटा दिया करता था। ‘यूनियन बनाई तो फैक्ट्री से बाहर’, पहलवान जैसा एच आर प्रबंधक, मज़दूरों को धमकियां देता रहा है।

जहां, दिनभर साथ रहकर मज़दूरों ने, केसी लखानी के लिए अनगिनत जूते-चप्पलें बनाए हैं, उनके दौलत के पहाड़ खड़े किए हैं। जहां, उनसे, 2020-21 में ये कहकर इस्तीफे ले लिए गए कि तुम्हारा हिसाब चुकता कर दूंगा। मज़दूरों के बक़ाया के लिए, जहां, मज़दूरों को आज भी हर महीने बुलाया जाता है। यहां तक कि 1 मई को भी सुबह बुलाया गया था और मज़दूरों को एक और आश्वासन थमाकर, भगा दिया गया।

लखानी फैक्ट्री गेट पर और उसके आगे ‘एम के ऑटो’ फैक्ट्री, जहां रैली समाप्त हुई, संक्षिप्त सभाएं हुई। खऱाब मौसम के बावजूद, ‘समाजवादी लोक मंच’ से कॉमरेड धर्मेन्द्र आज़ाद और कॉमरेड राकेश गुप्ता भी, रैली में शामिल होकर, फऱीदाबाद के मज़दूरों का हौसला बढ़ाने के लिए हाजिऱ हुए। सभा में ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ से कॉमरेड नरेश और कॉमरेड सत्यवीर सिंह के साथ, कॉम आज़ाद ने भी अपने विचार रखे। ‘मई दिवस’ का गौरवशाली इतिहास, ‘8 घंटे काम, 8 घंटे आराम और 8 मनोरंजन’ के मज़दूरों के अधिकार की मांग पर, शिकागो के ‘हे मार्केट’ में 4 मई को कैसे, अगस्त स्पाइस, अल्बर्ट पार्सन्स, माइकल श्वाब, एडोल्फ फिश्सर, जॉर्ज एंगेल, ऑस्कर नीबे और लुइ लिंग को षडयंत्र में फंसाया गया और उन्हें सरे-आम फांसी दी गई। अवर्णनीय बलिदानों से हासिल मज़दूर अधिकारों को लुटने देना, उन अमर शहीदों का अपमान है। लखानी मज़दूरों को किस स्तर के शोषण-उत्पीडऩ-बेईमानी का सामना करना पड़ रहा है, और जिसे, अब, फऱीदाबाद का हर मज़दूर जान चुका है, इस मुद्दे पर न्याय मिलने तक संघर्ष ज़ारी रखने का अहद दोहराया गया।

इसके अतिरिक्त, दिल्ली में जारी बहादुर महिला खिलाडिय़ों के संघर्ष का भी उल्लेख वक्ताओं ने किया। समसामयिक विषयों पर ये तख्तियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं:‘जितने भी बलात्कारी हत्यारे हैं, मोदी सरकार को प्यारे हैं’, ‘महिला खिलाडिय़ों का संघर्ष जि़न्दाबाद’, ‘हत्यारे-बलात्कारी-गुंडों से प्यार, ये है भाजपा का राष्ट्रवाद’, महिला खिलाडिय़ों का यौन शोषण करने वाले, बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार करो’, ‘महिला खिलाडिय़ों के यौन शोषण के आरोपी, मंत्री संदीप सिंह को गिरफ्तार करो’, ‘हत्यारों-बलात्कारी, गुंडों को संरक्षण देने वाली मोदी सरकार शर्म करो’, ‘बिलकिस बानो के बलात्कारी हत्यारों को, जेल में डालो’, ‘पोस्टल यूनियन की मान्यता तुरंत बहाल करो’, ‘दलित इंजीनियर के हत्यारे, आनंद मोहन को जेल में डालो’।
लखानी मज़दूरों का संघर्ष, ब्याज सहित उनका पूरा भुगतान होने तक ज़ारी रहेगा। केसी लखानी द्वारा फैक्ट्री को बंद करने के मंसूबों के विरुद्ध, उप-श्रमायुक्त के साथ ही, श्रम कार्यालय की चौथी मंजि़ल पर स्थित उप-श्रम निदेशक से शिकायत दजऱ् करा दी गई है। 300 से ज्यादा मज़दूरों वाले कारख़ानों को, सरकारी अनुमति के बगैर बंद नहीं किया जा सकता। अगर न्याय नहीं मिला, तो ‘लखानी मज़दूर संघर्ष समिति’ अपने आन्दोलन का केंद्रबिन्दुै दिल्ली बनाएगी। सभी श्रम यूनियनों को साथ लेते हुए, जंतर मंतर पर सभा की जाएगी। केन्द्रीय भविष्य निधि कार्यालय, केन्द्रीय श्रम मंत्री कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किए जाएंग। महिला खिलाडिय़ों, गुडगांव में बेलसोनिका और मारुति, उत्तराखंड में इन्टार्क और राजा बिस्कुट फैक्ट्री मज़दूर आंदोलनों और देश भर में जारी मज़दूर आंदोलनों से समर्थन और वर्गीय प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए और शिकागो के अमर शहीदों को लाल सलाम प्रस्तुत करते हुए, बुलंद नारों के साथ सभा संपन्न हुई।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles