फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम अधिकारियों द्वारा मीडिया में प्रकाशित कराये गये बयान के मुताबिक किसी भी समय शहर की सडक़ों पर 5000 से अधिक लावारिस गाय व सांड आदि विराजमान रहते हैं। अधिकारी यह भी स्वीकार करते हैं कि इनकी वजह से अनेक सडक़ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई बार तो ये पशु लोगों पर सीधा जानलेवा हमला तक भी कर देते हैं। इस तरह के अनेकों मामले समय-समय पर मीडिया में प्रकाशित भी होते रहे हैं।
मीडिया में प्रकाशित बयान में निगमायुक्त जितेन्द्र कुमार, संयुक्त आयुक्त गौरव अंतिल, एवं शिखा अंतिल तथा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभजोत कौर इत्यादि की ओर से कहा गया है कि मौजूदा तीन गौशालाओं में उपलब्ध स्थान के मुकाबले अत्यधिक पशु भर रखे हैं जिन पर निगम लाखों रुपया महीना खर्च कर रहा है। अब शहर से पांच हजार पशुओं में से मात्र 2500 पशुओं को हटाने की एक योजना तैयार की जा रही है। इसके लिये बाईलॉज बना कर गांव भूपानी व नवादा में नई गौशालाओं का निर्माण किया जायेगा। इनके लिये आवश्यक बजट अनुदान पर भी विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस तथाकथित स्मार्ट सिटी में 5000 पशुओं की सडक़ों पर उपस्थिति को निगम प्रशासन न केवल स्वीकार करता है बल्कि इन से आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से भी अवगत है। इसके बावजूद अभी तो बायलॉज बनाने का काम शुरू किया जायेगा। अधिकारी यह नहीं बताते कि नई गौशालायें किस तारीख तक बन जायेंगी और उनमें इन पशुओं को कब तक भेज दिया जायेगा? सडक़ों पर ये पांच हजार पशु कोई दो-चार दिन में नहीं आकर खड़े हुए हैं, ये वर्षों से यहां न केवल मौजूद हैं बल्कि लगातार बढ़ते भी जा रहे हैं।
दूसरी मजेदार बात यह है कि इन 5000 में से निगम केवल 2500 को ही हटाने की बात कर रहा है। यानी कि शेष 2500 पशुओं का ठिकाना सडक़ों पर ही रहेगा और इस बात की क्या गारंटी है कि जब तक निगम इन 2500 को हटायेगा तब तक इनकी संख्या बढक़र तीन या चार हजार नहीं हो जायेगी? यानी कि गौशालायें बनाने, उन्हें बजट अनुदान देने के सिलसिले के साथ-साथ हजारों आवारा पशु सडक़ों पर भी विराजमान रहेंगे। अब देखना यह भी है कि ये तमाम बेईमान अधिकारी अपनी इस योजना को कितनी ईमानदारी से लागू करते हैं। यही है नगर निगम एवं खट्टर सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था।