बिना परमिट मथुरा-गुडग़ांव जा रहीं मामा की बसें
फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बिना परमिट दिल्ली से यूपी जा रहे किराना सामान लदे ट्रक को पकडक़र वाहवाही लूटने वाला मुख्यमंत्री उडऩदस्ता मुख्यमंत्री के मंत्री या उनके खास लोगों के अवैध वाहन देख कर रास्ता बदल लेेता है। मुखबिर भी दूसरे राज्यों के अवैध वाहनों की जानकारी खूब देते हैं लेकिन बदरपुर बॉर्डर और बल्लभगढ़ बस स्टैंड के सामने से सरकारी बसों के आगे से सवारी भरने वाली यह अवैध और फर्जी परमिट वाली बसें उन्हें भी नजर नहीं आतीं।
परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के शहर में फरीदाबाद से मथुरा-आगरा और बल्लभगढ़ से गुडग़ांव जाने वाली अनेक बसें बिना परमिट अवैध रूप से संचालित हैं। इन अवैध बसों को किसी भी समय बदरपुर बार्डर, बल्लभगढ़ बस अड्डे के सामने, मेट्रो मोड़, सैनिक कॉलोनी मोड़ के पास सवारियां उतारते-चढ़ाते देखा जा सकता है। बदरपुर बॉर्डर से मथुरा के लिए सवारी भर कर अधिकतर बसें बाईपास से होते हुए मथुरा की ओर रवाना होती हैं। कई बसें ओल्ड फरीदाबाद, अजरौंदा, बल्लभगढ़ की सवारियां भरते हुए मथुरा की ओर रवाना होती हैं। बल्लभगढ़ बस अड्डे के सामने से भी फरीदाबाद-मथुरा का बोर्ड लगाए बड़ी-छोटी बसें सवारियां भरते देखी जा सकती हैं।
इन अवैध बसों के चालक-परिचालक का जलवा यह है कि सरकारी बसों के खड़े होने के बावजूद पहले सवारियां इनमें बैठाई जाती हैं। परिवहन विभाग के समानांतर चलाए जा रहे इन अवैध बसों के नेटवर्क के कारण परिवहन विभाग को रोजाना कई लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। जो कि आसानी से बचाया जा सकता है यदि सरकार की नीयत साफ हो तो।
ऐसा नहीं है कि इन अवैध बसों के बारे में अधिकारियों को जानकारी नहीं है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक अवैध रूप से चलने वाली सभी बसों के बाकायदा नंबर, उनके चलने का स्थान, समय और रूट आदि की जानकारी भी इन अधिकारियों को है। मजे की बात तो यह है कि इन बसों के अलावा यदि और कोई बस चले तो उसे तुरंत पकडक़र बंद कर दिया जाता है और मोटे जुर्माने वसूल किए जाते हैं। यदि सभी लोगों को इस तरह की लूट का अधिकार मिल जाए तो केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर का मामा होने का फायदा क्या हुआ।
मुख्यमंत्री उडऩदस्ता भी केंद्रीय मंत्री और राज्य के परिवहन मंत्री के चहेते मामा के संरक्षण में चलने वाली इन बसों को पकडऩे में शायद इसीलिए खुद को बेबस पाता है। परिवहन विभाग के अधिकारी भी जानने के बावजूद रूट पर अवैध रूप से चलने वाली बसों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते, क्योंकि उन्हें सुकून से नौकरी करनी है।