18 वर्ष पहले पानीपत में मजदूर आंदोलन के दौरान जीटी रोड जाम करने वाले उद्योगपतियों को क्लीन चिट देने का मामला गर्माया

18 वर्ष पहले पानीपत में मजदूर आंदोलन के दौरान जीटी रोड जाम करने वाले उद्योगपतियों को क्लीन चिट देने का मामला गर्माया
May 06 10:53 2023

कई उद्योगपतियों,एक्सपोर्टरों की हो सकती है गिरफ्तारी

पीपी कपूर, पानीपत
करीब अठारह वर्ष पहले 12 नवंबर 2005 को पानीपत में बरसत रोड के सामने 4 घंटे तक जीटी रोड जाम करने वाले उद्योगपतियों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है। उद्योगपतियों ने आंदोलनकारी श्रमिक नेताओं पर झूठे पुलिस केस बनाने के लिए 4 घंटे तक जीटी रोड जाम किया था और ये जाम तब खोला जब पुलिस ने मौके पर ही श्रमिक नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उद्योगपतियों को दी। तत्कालीन सिटी थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह द्वारा जाम लगाने वाले उद्योगपतियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस ने फरवरी 2007 में इस केस को अनट्रेस बता कर केस फाइल बंद कर पल्ला झाड़ लिया। जबकि श्रमिक नेता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर को उद्योगपतियों के इशारे पर बनाए झूठे केस में सवा साल बाद गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

वर्ष 2017 में उद्योगपतियों व पुलिस के इस गठजोड़ व गुंडागर्दी के खिलाफ कपूर ने जीटी रोड जाम करने की न्यूज क्लिपिंग (जिनमे फैक्ट्री मालिकों के चेहरे साफ पहचाने जा रहे थे) सहित शिकायत लोकायुक्त को कर के सभी दोषी फैक्ट्री मालिकों को अरेस्ट करवाने व इन्हें क्लीनचिट देने वाले सभी पुलिस जांच अधिकारियों को दंडित करने की मांग कर दी। छह वर्ष तक चली लोकायुक्त जांच के उपरांत ये केस अब दोबारा खुल गया है, हालांकि जांच के दौरान एसपी पानीपत ने लोकायुक्त को बार बार झूठी रिपोट्र्स दे कर गुमराह करने का प्रयास किया,लेकिन पीपी कपूर के मजबूत सुबूतों सहित लंबी जद्दोजेहद के आगे पुलिस व उद्योगपतियों के गठजोड़ को घुटने टेकने पड़े।

लोकायुक्त जांच के दौरान एसपी पानीपत ने अपनी जांच रिपोट्र्स में पहले तो बताया कि फरवरी 2007 में केस को अनट्रेस पाते हुए कोर्ट में रिपोर्ट सबमिट कर दी गई थी और कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया था। लोकायुक्त ने एसपी से कोर्ट द्वारा इस अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार करने की कॉपी तलब की तो एसपी के चेहरे की हवाइयां उड़ गई, एसपी ने बताया कि कोर्ट में स्वीकार करने की रिपोर्ट नहीं मिली। फिर लोकायुक्त ने एसपी से इस अनट्रेस केस की पुलिस फाइल मांगी तो वो भी गुम होना बताई गई। इतना ही नहीं, एसपी ने ये भी बताया कि जिन पुलिस कर्मियों के पास ये केस फाइल आखिर में थी उन दोनों की मृत्यु हो चुकी है। इस तरह पुलिस और उद्योगपतियों की मिलीभगत बेनकाब हुई।

इस पर लोकायुक्त कोर्ट के रजिस्ट्रार ने अपनी जून 2022 की जांच रिपोर्ट में इस कांड की जांच किसी वरिष्ठ आईपीएस के नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित करके कराने की सिफारिश लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा से की तो पानीपत पुलिस में हडक़ंप मच गया। पिछले छह वर्षों से लोकायुक्त के सामने जिस केस को कोर्ट में अनट्रेस बताने व फाइल गुम हो जाने का दावा पुलिस कर रही थी, वो सारा रिकॉर्ड रातों रात पाताल लोक से निकल कर बाहर आ गया।

अब गत 17 फरवरी 2023 को पानीपत पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में इस केस की अनट्रेस रिपोर्ट पेश करते हुए इसे स्वीकार करने की मांग की तो सीजेएम संदीप चौहान की कोर्ट ने पुलिस की इस कहानी को स्वीकार न करते एसएचओ पानीपत सिटी को मामले की संजीदगी से दोबारा जांच करके 29 मई तक जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश किए। सीजेएम चौहान ने पुलिस की कहानी पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि जब उद्योगपतियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज है तो पुलिस रिपोर्ट अनट्रेस कैसे हो गई? और जब आपने फरवरी 2007 में अनट्रेस रिपोर्ट बना दी थी तो आज इतने वर्षों के बाद कोर्ट में केसे सबमिट कर रहे हो?

खैर, अब मजदूर नेता कपूर की 18 वर्ष की लंबी जद्दोजेहद के बाद केस दोबारा खुलने से आखिरकार रोड जाम के दोषी उद्योगपतियों की नींद हराम हो गई है, इन पर गिरफ्तारी के बादल मंडराने लगे हैं ।

ये है मामला
करीब 18 वर्ष पहले वर्ष 2005 में पानीपत में मजदूर संगठन इफटू नेता पीपी कपूर की अगुआई में टैक्सटाईल बुनकरों, मजदूरों द्वारा बुनियादी श्रम कानून लागू कराने की मांग को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा था। इस दौरान फैक्ट्री मालिकों और मजदूरों में भारी टकराव,धरने प्रदर्शन, हड़तालें, हिंसक घटनाएं चल रही थीं। मजदूर संगठन इफटू नेता कॉमरेड पीपी कपूर फैक्ट्री मालिकों की आंख की किरकिरी बने हुए थे और सभी उद्योगपति उन्हें जेल में बंद करवा कर आंदोलन को कुचलने की नित नई साजिशें रच रहे थे। बुनकर मजदूरों के इस शांतिपूर्वक आंदोलन के विरुद्ध उद्योगपतियों की सभी यूनियनों ने खुद ही पूरे पानीपत के टैक्सटाईल उद्योगों में हड़ताल कर रखी थी, उद्योगपतियों की एक ही मांग थी कि पीपी कपूर को अरेस्ट करो, इसने सभी मजदूरों को भडक़ा दिया है।

इसी दौरान 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड पर एक फैक्ट्री में मालिकों और मजदूरों का मामूली सा झगड़ा हुआ तो फैक्ट्री मालिकों को मौका मिल गया। इस मामूली सी घटना की आड़ में पानीपत के सभी टेक्सटाइल फैक्ट्री मालिकों ने कॉमरेड पीपी कपूर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जीटी रोड पर चार घंटे तक जाम लगा कर दिल्ली से चंडीगढ़ तक ट्रैफिक ठप कर दिया। कपूर व उनके साथियों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद ही उद्योगपतियों ने जाम खोला। तत्कालीन एसएचओ पानीपत सिटी लक्ष्मण सिंह ने कई फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ भी जीटी रोड जाम करने के जुर्म में नामजद केस दर्ज कर लिया। एक ओर जहां कपूर को करीब सवा साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया, जिस कारण कपूर को करीब पौने दो साल जेल में रहना पड़ा। वहीं पुलिस ने जीटी रोड जाम के आरोपी सभी फैक्ट्री मालिकों को क्लीनचिट देते हुए केस को अनट्रेस बताते हुए फरवरी 2007 में बंद कर दिया।

कपूर ने आरटीआई में सारा रिकॉर्ड निकलवा कर और घटना के वक्त की पुरानी अखबारों की न्यूज क्लिपिंग, फोटोज लगा कर लोकायुक्त को अगस्त 2017 में शिकायत कर इन फैक्ट्री मालिकों व अनट्रेस रिपोर्ट देने वाले सभी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग कर डाली।

 

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Mazdoor Morcha
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