अम्मा अस्पताल ने आठ घंटे में बना दिया नौ लाख का बिल

अम्मा अस्पताल ने आठ घंटे में बना दिया नौ लाख का बिल
April 19 16:09 2023

रीदाबाद।(मज़दूर मोर्चा) एशिया के सबसे बड़े अमृता अस्पताल में चाकूबाजी में घायल युवक के आठ घंटे के इलाज का बिल नौ लाख रुपये बना दिया गया। परिवार वालों का आरोप है कि युवक तो अस्पताल लाए जाने के कुछ देर बाद ही मर गया था लेकिन अस्पताल वालों ने पैसा खींचने के लिए उसे आठ घंटे से ज्यादा भर्ती रखा। जब लोगों ने अस्पताल की मालिक मां अमृतानंदमयी का गांव के मंदिर में लगा बड़ा चित्र हटाने की धमकी दी तो अस्पताल प्रबंधन हरकत मे आया और बिल माफ किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमृता अस्पताल का उद्घाटन करते समय की गई घोषणा कि यहां गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार की सुलभ सेवा और प्रभावी इलाज होगा भी जुमला ही साबित हुई। दरअसल निकट के पलवली गांव में मंगलवार सुबह दो पक्षों में मारपीट हुई थी। मारपीट में चाकू लगने से एक पक्ष के यादराम, उनके पिता तुलीराम और माता ओमवती गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पास ही होने के कारण परिजन तीनों को अमृता अस्पताल ले गए।

बड़े भाई प्रेमचंद का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत ही एक लाख रुपये जमा करवाए और तीन लाख रुपये पूरा खर्च बताया। थोड़ी ही देर बाद फिर से बताया गया कि नौ लाख रुपये का खर्च है और पच्चीस यूनिट खून लगेगा। अस्पताल वालों ने यह भी दावा किया कि पंद्रह यूनिट खून तो वह चढ़ा चुके हैं। इसके बाद अस्पताल वालों ने खून तो नहीं मांगा लेकिन बार बार रुपये जमा करवाने के लिए बुलाया जाने लगा लेकिन यादराम को दिखाया नहीं गया। उनका आरोप है कि यादराम की मृत्यु तो दस बजे के करीब ही हो गई थी लेकिन नौ लाख रुपये खींचने के लिए अस्पताल वालों ने उसकी बॉडी को बंद रखा। रिश्तेदार और पेशे से फार्मासिस्ट नितेश कुमार ने आठ घंटे में नौ लाख रुपये का बिल बनाए जाने पर सवाल उठाए लेकिन उन्हें उत्तर नहीं मिला।

यादराम का तो यह भी आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पैसा खींचने के लिए बिना सहमति के ही उनकी माता ओमवती का सीटी स्कैन कर दिया। माता-पिता के इलाज का बिल अलग से करीब साठ हजार रुपये बताया गया। अस्पताल परिसर मे इकट्ठा तीमारदारों में इस बात को लेकर रोष था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन करते हुए जुमला फेका था कि अस्पताल खुलने से पलवली और आसपास के गांव वालों को सस्ता इलाज मिलेगा।

गांव वालों की जमीन होने के कारण अस्पताल में उन लोगों को नौकरी भी दी जाएगी। इसके उलट गांव वालों को ही लूटा जा रहा है। मोदी आखिर इस तरह की जुमलेबाजी क्यों न करते जब अम्मा से सौ करोड़ रुपये ‘‘मोदी केयर फंड’’ और 13 करोड़ ‘‘कोरोना फंड’’ में ले रखे हों तो।

गुस्साए गांव वालों का कहना था कि जिस अमृता अस्पताल में लूट मची है तो उसकी आध्यात्मिक मां अमृतानंदमयी की पूजा अर्चना भी क्यों की जाए। सबने पलवली स्थित मंदिर में रखा मां अमृतानंदमयी का बड़ा सा चित्र हटाने का संकल्प जताया। बताया जाता है कि यह संदेश अस्पताल प्रबंधन तक पहुंचा तो हडक़ंप मच गया। थोड़ी ही देर में परिवार वालों को बुलाकर बताया गया कि बकाया बिल माफ कर दिया गया है और शव भी पुलिस के हवाले कर दिया गया है।

इस संबंध में मज़दूर मोर्चा ने अमृता अस्पताल के संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।

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Mazdoor Morcha
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