हिमांशु कुमार कि वह करोड़ों मनुष्यों के खाने पीने पर नजर रखता है वह हिंदुओं की कटोरी में यह चेक करता है कि नवरात्रों में लहसुन प्याज तो नहीं खा ली बंदे ने और मुसलमानों के हलक में घुसकर यह चेक करता है कि प_े ने पानी तो नहीं पी लिया रोजे में लेकिन क्या मजाल है कि इतनी फुर्सत होने के बावजूद वह कभी किसी बलात्कार पीडि़त लडक़ी की मदद कर दे कत्ल होते हुए बच्चों के कातिल को रोक दे जालिम तानाशाह के जुल्मों के वक्त जनता की मदद कर दे। असलियत तो यह है अगर ईश्वर ने हमें बनाया होता तो अपने जैसा बनाता दयालु कृपावान बड़े दिलवाला लेकिन क्योंकि ईश्वर को हमने बनाया है इसलिए उसे अपने जैसा बनाया चापलूसी पसंद रिश्वतखोर गुस्सैल जैसे हम वैसा हमारा ईश्वर। अपनी चालाकी समझे बिना उसे स्वीकार किए बिना उसे छोड़े बिना हम कभी भी जो दिव्य आनंद है उसे समझ ही नहीं सकते बिना अपनी चालाकी समझे और अपने बनाए हुए ईश्वर को छोड़े हम प्रेम और निर्भयता प्राप्त कर ही नहीं सकते। आपका खुद का बनाया हुआ ईश्वर किसी काम का नहीं है वह सिर्फ आपके दिमाग में है और कहीं भी नहीं है इसलिए अगर आप चाहते हैं तो आपका ईश्वर मांसाहार से नफरत करने लगता है अगर आप चाहते हैं तो वह बलि पसंद करने लगता है आप चाहते हैं तो वह कुर्बानी का बकरा कबूल करता है आप चाहते हैं तो वह खून से नफरत करने लगता है जैसे आप वैसा आपका ईश्वर।