मंत्री कृष्णपाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के उस विस्तार की मांग तो करने पहुंच गये जो कि पहले से ही तय हो चुका था, अपने क्षेत्र के सेक्टर आठ स्थित उस ईएसआई अस्पताल तथा उससे जुड़ी 14 डिस्पेंसरियों को सुचारू करने की मांग क्यों नहीं करते? विदित है कि ईएसआई के कार्पोरेशन के पैसे से हरियाणा सरकार द्वारा चलाये जाने वाले इस अस्पताल व डिस्पेंसरियों की हालत बेहद खस्ता है। अस्पताल की 200 बेड वाली बिल्डिंग में मात्र 15-20 पेशेंट ही दाखिल रहते हैं क्योंकि न तो यहां पर्याप्त डॉक्टर व स्टा$फ हैं और न ही आवश्यक उपकरण व दवाएं, हर छोटे मोटे रोग के लिये मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।
इस अस्पताल से जुड़ी 14 डिस्पेंसरियों की हालत तो और भी भयंकर है। अव्वल तो पूरा स्टाफ ही नहीं है और जो हैं भी वह भी काम करके राजी नहीं। डॉक्टर साहेबान देर से आते हैं और जल्दी भाग लेते हैं। और तो और इनमें टीका लगाने व पट्टी बांधने तक की भी सुविधा नहीं है। जब इस तरह के छोटे-मोटे कामों के लिये भी मरीजों को मेडिकल कॉलेज आना पड़ेगा तो वहां की ओपीडी साढ़े चार हजार प्रति दिन होना स्वाभाविक है।
यदि मंत्री कृष्णपाल को अपने प्रापर्टी डीलिंग के धंधे से थोड़ी-बहुत फुर्सत भी होती तो लाखों लोगों के लिये बनी इन डिस्पेंसरियों व सेक्टर आठ के अस्पताल की ओर थोड़ा सा ध्यान दे लेते। समझ नहीं आता कि प्रति माह जि़ले के अधिकारियों के साथ होने वाली मासिक बैठक में वे करते क्या हैं? क्या वे पूछ नहीं सकते कि डबल इंजन की सरकार द्वारा चलाये जा रहे ईएसआई के इस अस्पताल व डिस्पेंसरियों की दुर्दशा इतनी भयंकर क्यों है?