फरीदाबाद मज़दूर मोर्चा अवैध निर्माण और अतिक्रमण को बढ़ावा देने वाला भ्रष्ट प्रशासनिक अमला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी गुमराह कर रहा है। सदन में मुख्यमंत्री खट्टर ने फरीदाबाद सहित तीन शहरों में पंद्रह सौ अवैध निर्माणों के होने की सूचना दी। संख्या की जानकारी दिए बिना बताया कि इनमें से कई तोड़ दिए गए, कई को नोटिस भेजी गई और कई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। यह रिपोर्ट पेश करते हुए मुख्यमंत्री यह भूल गए कि एक वर्ष पूर्व ही केवल फरीदाबाद नगर निगम क्षेत्र में ही पंद्रह सौ अवैध निर्माण चिह्नित किए गए थे। इनमें से जिन चुनिंदा इमारतों पर कार्रवाई करने की योजना तैयार की गई थी उनमें से अधिकतर बनकर तैयार भी हो चुके हैं। अवैध निर्माण के अलावा ग्र्रीन बेल्ट पर कब्जा, फुटपाथ, नाली पर अतिक्रमण तो कहीं भी देेखे जा सकते हैं।
एनआईटी के एनएच एक, दो, तीन, और पांच के अधिकतर रिहायशी प्लॉटों में बड़ी बड़ी दुकानें खुल गईं। बीके चौक से लेकर डीसीपी एनआईटी कार्यालय के बीच स्थित स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर बने कुछ क्वार्टरों की जगह तो मॉल और दुकानें बन चुकी हैं, शेष पड़ी ज़मीन पर भी पहले अवैध कब्जे व निर्माण करवाये जायेंगे और फिर मोटी लूट कमाई के बदले उन्हें वैध कर दिया जायेगा। बताते चलें कि पूर्व निगमायुक्त यशपाल ने शहर में अवैध निर्माण चिह्नित कर कार्रवाई करने के लिए चालीस जेई और बीस सहायक अभियंताओं की टीम गठित की थी। इस टीम ने फरीदाबाद और बल्लभगढ़ में 1500 से अधिक अवैध निर्माण चिह्नित कर निगमायुक्त को रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट के आधार पर यशपाल गर्ग ने प्रत्येक वार्ड में दो-दो अवैध इमारतों को तोडऩे और तीस इमारतों को सील करने का आदेश दिया था। इमारतें तो क्या तोड़ी गईं लेकिन तोडफ़ोड़ के नाम पर भ्रष्ट अधिकारियों ने खेल किया।
इमारत सील करने के नाम पर भी खेल हुआ। बिल्डिंग सील तो की गई लेकिन उनका निर्माण कार्य रोका नहीं गया। 3 ई 44 बिल्डिंग में सील होने के बावजूद निर्माण कार्य जारी रहा और अब यह बिल्डिंग बन कर तैयार है। यह हाल पूरे जिले का है, अवैध निर्माण और अतिक्रमण लगातार जारी है। सेक्टर 19 में नेशनल हाईवे पर स्थित ड्यूरेबल इंडस्ट्रियल प्लॉट पर बिल्डिंग बाईलॉज का उल्लंघन कर उसे कॉमर्शियल प्लॉट में तब्दील कर दिया गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। करोड़ों रुपये कीमत वाला यह प्लॉट मुख्यमंत्री को शायद नजर नहीं आए क्योंकि इसमें सत्तापक्ष के नेताओं की बेनामी संपत्ति लगी हुई है। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि फरीदाबाद में ग्रीन बेल्ट पर महज 22 कब्जे या अतिक्रमण हैं। यहां भी अधिकारियों ने उन्हें अंधेरे में रखा। केवल ओल्ड फरीदाबाद में ही ग्रीन बेल्ट पर सौ से अधिक अतिक्रमण हैं। बल्लभगढ़ में कहने को तो 176 एकड़ ग्रीन बेल्ट है लेकिन शहर में इसे तलाशना नामुमकिन नजर आता है। यहां ग्रीन बेल्ट पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण है। शहर के विकास के लिए नगर निगम, हूडा, एफएमडीए और स्मार्ट सिटी जैसे महकमे तो खड़े कर दिये लेकिन काम धेले का नहीं। अवैध निर्माण या अतिक्रमण होने पर इनके अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, इसका फायदा बिल्डर आदि उठाते हैं।
नगर निगम के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कर्दम भी अपने अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं होने का दावा करते हुए दूसरे विभागों पर ठीकरा फोड़ते हैं। कहते हैं कि दूसरे विभागों की ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण है। शहर में गाहे बगाहे आने वाले मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को यहां अतिक्रमण और अवैध निर्माण इसलिए नजर नहीं आता क्योंकि उनकी आखों पर भ्रष्ट अधिकारियों की रिपोर्ट का चश्मा है।