राज्य समर्थित गुंडे गोरक्षा के नाम पर अवैध हथियारों का करते हैं प्रदर्शन, जान से मारने से भी नहीं चूकते फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) गऊ रक्षा की आड़ में अवैध हथियारों का प्रदर्शन और मारपीट कर जान तक लेने वाले गुंडों के आगे हरियाणा पुलिस बेबस है। गुंडों को सत्ता और राजनीतिक समर्थन हासिल होने के चलते पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर उल्टे कानून की धज्जियां उड़ाते हुए साथ देती है। कथित पशु तस्करों को उसके संवैधानिक और कानूनी अधिकार से वंचित रखा जाता है। केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें आने के बाद से हरियाणा ही नहीं पूरे देश में गोरक्षा दलों की बाढ़ आ गई, साथ ही शुरू हुआ गोरक्षा के नाम पर कथित पशु तस्करों की मारपीट, जान से मारने की घटनाओं का सिलसिला। पुलिस के डीएसपी (फिरोजपुर झिरका) सतीश कुमार इन गोरक्षकों को गुंडा और पशु तस्करों से वसूली करने वाला करार देते हैं। सतीश कुमार के मुताबिक यह गोरक्षक पशुओं से भरी गाड़ी पकड़ते हैं और दस हजार से पचास हजार रुपये की रकम वसूल कर छोड़ देते हैं। यदि सौदा नहीं पटता तो पकड़े गए लोगों की बेरहमी से पिटाई कर उन्हें अधमरी हालत में पुलिस को थमा देते हैं। सतीश कुमार कहते हैं कि गोरक्षक दलों में अधिकतर अपराधी तत्व शामिल हैं।
फरीदाबाद के धौज पुलिस स्टेशन में अतिरिक्त एसएचओ पद पर तैनात धर्मबीर सिंह ने बेचारगी जताते हुए बताया कि गोरक्षक लोगों को इतनी बुरी तरह पीट कर लाते हैं कि उन्हें हिरासत में लिए जाने के 24 घंटों के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत करना नामुमकिन होता है। ऐसे लोगों को अवैध रूप से दो से तीन दिन हिरासत में रख कर उन्हें इस लायक किया जाता है कि वह चल फिर सकें, इसके बाद ही उन्हें न्यायालय पहुंचाया जाता है। यह गोरक्षक पुलिस की मौजूदगी में भी बेखौफ होकर अवैध हथियारों का प्रदर्शन करते हैं। गोरक्षा के नाम पर मारपीट और हत्या करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी सुस्त नजर आती है, इसका कारण इन गुंडों को सत्ता और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होना है।
अधिकतर गोरक्षक दल दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों से जुड़े हैं। शायद यही कारण है कि जुनैद और नासिर की हत्या के मुख्य आरोपी मोनू मानेसर सहित पांच अन्य आरोपियों तक पुलिस घटना के तीन सप्ताह बीतने के बावजूद नहीं पहुंच सकी है।