12 लाख नये राशन कार्ड बनाये, 9 लाख फर्जी कार्ड रद्द किये, किसी गुनहगार को कोई सज़ा नहीं
नई दिल्ली (मज़दूर मोर्चा) 27 फरवरी को हरियाणा भवन में पत्रकारों के सामने अपनी डींगे हांकते हुए सीएम खट्टर ने बताया कि परिवार पहचानपत्र के आधार पर उनकी सरकार ने 12 लाख नये राशनकार्ड बनाये हैं और 9 लाख फर्जी राशनकार्ड रद्द किये हैं। इनमें से 3 लाख लोग तो आयकरदाता थे और 80 हजार सरकारी कर्मचारी भी थे। बड़ी अच्छी बात है कि खट्टर जी ने उन अमीर लोगों के राशनकार्ड रद्द कर दिये, परन्तु सवाल यह पैदा होता है कि इतने बड़े पैमाने पर ये फजी राशनकार्ड बने तो बने कैसे?
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का लम्बा-चौड़ा अमला क्या करता रहा? सर्वविदित है कि इस विभाग के अफसरों की मिलीभगत के बगैर एक भी फर्जी राशनकार्ड नहीं बन सकता। जाहिर है कि यह फर्जीवाड़ा है जिसके चलते करोड़ों रुपये का वह राशन जो गरीबों के लिये था उसे इन लोगों ने मिल बांट कर डकार लिया।
सवाल खट्टर जी पर ये बनता है कि राशन में सेंधमारी करने व कराने वालों के विरुद्ध उन्होंने क्या किया? कितने अफसरों व राशन कार्डधारकों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे दर्ज कराये, नहीं कराये तो क्यों नहीं कराये। इस अवसर पर सफेद झूठ बोलते हुए खट्टर ने फरमाया कि गत वर्ष के बजट में दिये गये आश्वासनों का 80 प्रतिशत काम पूरा कर दिया गया है। दूर जाने की जरूरत नहीं, बीते करीब तीन साल से छांयसा स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल चलाने का दावा करते रहने के बावजूद वहां आज तक एक डिस्पेंसरी जितनी भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। मेडिकल पढऩे के लिये छात्र तो भर्ती कर लिये लेकिन पढाने वाली फैकल्टी अभी तक अधूरी पड़ी है। सडक़ों की मरम्मत के लिये बजट के लम्बे-चौड़े प्रावधानों का ढिंढोरा पीटने के बावजूद सडक़ों की दुर्दशा ज्यों की त्यों है। 11 नये मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये 10 हजार करोड़ रुपये के प्रावधान की बात तो खट्टर करते हैं परन्तु मौजूदा बने खड़े मेडिकल कॉलेज धनाभाव के चलते भयंकर दुर्दशा का शिकार बने हैं। समझा जा सकता है कि खट्टर की तो बाते ही बातें हैं और बातों का क्या है?