फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) झूठ और पाखंड की नींव पर खड़ी खट्टर सरकार आये दिन हर जि़ले में मेडिकल कॉलेज खोलने का जो हल्ला करती आ रही है, उसका जीता-जागता उदाहरण अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज है। छांयसा के मोठूका गांव स्थित उक्त मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी एवं डाक्टरों के 146 पद तो खाली हैं ही, साथ में पैरामेडिकल स्टा$फ के भी 242 पद खाली हैं। जाहिर है कि जिस अस्पताल में न डॉक्टर होंगे और न ही पैरामेडिकल स्टाफ होगा वहां इलाज के लिये भला कौन मरने आयेगा?
पैरामेडिकल के उक्त खाली पदों को भरने के लिये विधिवत भर्ती के आवेदन मांगने की बजाय बीते सप्ताह सरकार ने नोटिस निकाला है कि राज्य के जिन-जिन अस्पतालों से जो कोई भी स्टाफ इन पदों पर प्रतिनियुक्ति पर आना चाहे तो वह आवेदन कर सकता है। क्या गजब सोच है खट्टर सरकार की। भूखा-नंगा भिखारी दूसरे भूखे नंगे से उधार मांग रहा है। सर्वविदित है कि हरियाणा भर के किसी भी अस्पताल में पैरामेडिकल स्टा$फ पूरा नहीं है। लगभग हर जगह आधे से अधिक पद वर्षों से खाली पड़े हैं। उन्हें भरना तो दूर रहा, अब उन्हीं में से अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में बुलाये जा रहे हैं।
समझने वाली बात यह है कि कोई भी स्टाफ, कहीं से भी अपनी जमी-जमाई जगह को छोड़ कर नई जगह पर क्यों आने लगा? हिसार, सिरसा, जींद, पंचकूला आदि दूर दराज के शहरों से उठ कर भला कौन यहां आना चाहेगा? लगभग हर कर्मचारी ने अपने-अपने स्थान पर कोई न कोई साइड कारोबार चला रखा होता है। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा का भी मसला रहता है। इन सबके चलते केवल वही 20-30 लोग यहां आ सकते हैं जिन्हें अपनी पदोन्नत्ति नज़र आती होगी। कुल मिलाकर इन 242 पदों में से कम से कम 200 पद तो खाली रहने ही रहने हैं। इन हालात में खट्टर साहब का यह अस्पताल मरीजों का कैसा इलाज कर पायेगा समझना मुश्किल नहीं है।