फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सरकारी स्कूलों व दफ्तरों में कर्मचारियों की गैरहाजिर रहने की बढ़ती प्रवृति को थामने के लिये सन् 2017 में बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने के आदेश मुख्य सचिव द्वारा जारी किये गये थे। इस प्रणाली में ड्यूटी पर आने वाले कर्मचारी को निश्चित समय पर आने व जाने के समय अपने अंगूठे से इस उपकरण को छूना होता है।
कुछ समय तक तो यह प्रणाली प्रत्येक कार्य स्थल पर पहुंच ही नहीं पाई। धीरे-धीरे पहुंची भी तो कोरोना महामारी आ गई। इस दौरान इस प्रणाली को रोक दिया गया। अब बीते दो साल से इस प्रणाली को चालू करने के आदेश बार-बार मुख्य सचिव द्वारा जारी किये जाने के बावजूद कोई अमल नहीं हो रहा। शिक्षा विभाग में इस प्रवृति को कुछ ज्यादा ही देखा जा रहा है। स्कूल में देर से आने तथा समय से पहले भाग जाने की बढ़ती शिकायतों के चलते मुख्य सचिव ने इस माह फिर से इस प्रणाली को लागू करने के आदेश जारी किये। लेकिन इसका कोई असर धरातल पर देखने को नहीं मिल रहा। यदि मुख्य सचिव अपने आदेशों की पालना ही नहीं करा सकते तो कम से कम ऐसे आदेश जारी करके पद की मिट्टी तो पलीद न करायें।
संदर्भवश, पूर्व जि़ला शिक्षा अधिकारी ऋतु चौधरी ने अपने कार्यालय में, जहां वे खुद भी बायोमेट्रिक हाजिरी लगाती थीं तथा तमाम स्कूलों में इस प्रणाली को पूरी सख्ती से लागू करा दिया था। उनकी इस सख्ती के विरोध में कुछ निहित स्वार्थी लोगों ने विरोध के झंडे इतने बुलंद कर दिये कि उन्हें न केवल इस पद से वंचित होना पड़ा बल्कि उनके विरुद्ध तरह-तरह के झूठे आरोपों पर आधारित इन्क्वायरियां शुरू करा दी। उनके जाने के बाद अब वे सब लोग अति प्रसन्न हैं जिन्हें न समय पर आना होता है न समय पर जाना होता है।