फरीदाबाद (म.मो.) ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञ ने एक उन्नत न्यूनतम इनवेसिव तकनीक टीएवीआर का उपयोग करके 75 वर्षीय पुरुष रोहतान निवासी गांव फलोदा, पर सफलतापूर्वक हृदय वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की।
मरीज गंभीर महा महाधमनी स्टेनोसिस से पीडि़त था। इस स्थिति में हृदय का महाधमनी वाल्व संकुचित हो जाता है और इसमें रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। इस स्थिति के कारण मरीज को 4 से 5 महीने से कमजोरी, सांस फूलना, सीने में दर्द की शिकायत हो रही थी।
रोगी को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज भी थी जिसके कारण वह बड़ी सर्जरी के लिए अनुपयुक्त हो गया था। उनके इलाज के लिए दो विकल्प थे, एक ओपन हार्ट सर्जरी थी जिसमें मध्य छाती पर बड़ा कट, खुली पसली और महाधमनी वाल्व को उजागर करना था। इस सर्जरी में ब्लड ट्रांसफ्यूजन, जनरल एनेस्थीसिया, हार्ट लंग बायपास मशीन, वेंटिलेटर की जरूरत होती है। यह प्रक्रिया लेती है 3 से 4 घंटे ऑपरेशन और संक्रमण का उच्च जोखिम। इस प्रक्रिया के साथ अस्पताल में रहने का समय आमतौर पर 7 से 8 दिनों का होता है और पूरी तरह से ठीक होने में 2-3 महीने लगते हैं।
इलाज की नई तकनीक में-टीएवीआर ग्रोइन के माध्यम से छोटा छेद बनाया जाता है और सामान्य एनेस्थीसिया की आवश्यकता के बिना छेद के माध्यम से वाल्व को कैथेटर की मदद से प्रत्यारोपित किया जाता है। इस नई तकनीक में केवल 30-45 मिनट का समय लगता है। रोगी दो दिनों में डिस्चार्ज हो जाता है और एक सप्ताह से भी कम समय में पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस तकनीक में वेंटिलेटर, हार्ट लंग बायपास मशीन की जरूरत नहीं पड़ती।
इस नई तकनीक से मरीज का दो दिनों में इलाज किया गया। यह नई प्रक्रिया वर्तमान में भारत के कुछ सरकारी केंद्रों जैसे एम्स, पीजीआई आदि और कुछ निजी अस्पतालों में ही की जाती है। इस प्रक्रिया को करके ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद एम्स जैसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज की लीग में शामिल हो गया है।
ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद का कार्डियोलॉजी विभाग ईएसआई लाभार्थियों को देखभाल, तकनीक, क्षमता के उच्च मानकों के साथ इलाज कर रहा है। हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम द्वारा टीएवीआर प्रक्रिया की गई जिसमें शामिल हैं।
डॉ मोहन नायर, डॉ. राकेश वर्मा, डॉ विनय कुमार पांडे, डॉ. बिज्जू पिल्लई, डॉ अरविंद डंबलकर, डॉ कुणाल शेखर, डॉ हिमांशु अरोड़ा, डॉ. वैशाली। कॉलेज के डीन डॉ. असीम दास और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय ने कार्डियोलॉजी टीम को इस तरह के सफल इलाज की उन्नत तकनीक के लिए बधाई दी। उन्होंने अत्याधुनिक मशीन और उपकरण प्रदान करके टीम की मदद की। यह उनका निरंतर प्रोत्साहन है जिसने कार्डियोलॉजी विभाग को रोगियों को उपचार के सर्वोत्तम मानक प्रदान करने में मदद की है।
सुपरस्पेशलिटी चिकित्सा क्षेत्र में इस कॉलेज की यह कोई पहली उपलब्धि नहीं है। इससे पहले एंजियोग्राफी का काम यहां मार्च 2022 से शुरू हो चुका है। करीब 200 एंजियोग्राफी प्रति माह यहां हो रही है। इनमें से करीब 30 प्रतिशत मामलों में स्टंट डाले गये हैं।
यही मामले जब व्यापारिक अस्पतालों को रैफर किये जाते थे तो सभी में स्टंट डाल कर मोटे बिल ईएसआई कॉर्पोरेशन से वसूले जाते थे। दर्जनों कैंसर मरीजों का सफलतापूर्वक बोनमैरो ट्रांस्प्लांटेशन किया जा चुका है। इन मरीजों में न केवल फरीदाबाद बल्कि चेन्नई तक के मरीज यहां आकर लाभान्वित हो चुके हैं। इस तरह के इलाज व्यापारिक अस्पतालों में इतने महंगे होते हैं कि रोहतांन जैसे गरीब मजदूर वहन करने की स्थिति में कभी नहीं हो सकते। एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में तो इनका घुस पाना एकदम असम्भव होता है।