फरीदाबाद (म.मो.) सडक़ सुरक्षा के नाम पर ट्राफिक पुलिस द्वारा नाटकबाजी चाहे जितनी मर्जी करा लो परन्तु काम का नाम मत लो। इसी तथ्य को उपायुक्त विक्रम ने देखते हुए आदेश जारी किया है कि शहर के बीच से गुजरते राजमार्ग पर खड़े होने वाले वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। ये आदेश उन्होंने बीते सोमवार को सडक़ सुरक्षा नियमों की समीक्षा के बाद जारी किया। यद्यपि उन्होंने इस आदेश में सीधे तौर पर पुलिस को कुछ नहीं कहा है लेकिन समझा जा सकता है कि यह कार्रवाई तो केवल पुलिस द्वारा ही की जानी है। सडक़ पर इस तरह की पार्किंग को लेकर उन्होंने दुर्घटनाओं की सम्भावना व्यक्त की है
बेशक उपायुक्त ने फिलहाल उन बसों व अन्य वाहनों का जिक्र किया है जो सडक़ पर खड़े होकर सवारियां उतारने व चढ़ाने के अलावा उनकी प्रतीक्षा भी करते रहते हैं, जाहिर है इससे अच्छी-खासी चौड़ी सडक़ भी संकरी होकर दुर्घटनाओं की सम्भावनाओं को तो बढ़ाती ही है साथ में जाम का भी कारण बनती है। यहां सवाल यह पैदा होता है कि केवल यातायात को सम्भालने के लिये एक आईपीएस अधिकारी व एक एचपीएस अधिकारी को वह सब कुछ क्यों नहीं दिख पाता जो एक आईएएस अधिकारी को दिख रहा है?
यातायात व्यवस्था को सम्भालने के लिये उक्त दोनों पुलिस अधिकारियों के पास 200 से अधिक पुलिसकर्मियों एवं होमगार्डों की फौज मौजूद हैं। आखिर ये सारी फौज से कराया क्या जा रहा है? क्या इसके द्वारा केवल वसूली ही कराई जाती है या और कुछ? पूरे राजमार्ग की तो बात छोडिय़े, अजरोंदा मोड़ स्थित इन अधिकारियों के कार्यालय के पास किसी भी समय सडक़ पर वाहनों द्वारा सवारियों की प्रतिक्षा करते ऑटो-रिक्शाओं के जमावड़े को देखा जा सकता है। जो अधिकारी अपने दफ्तर के बाहर खड़े जमावड़े तक को नहीं सम्भाल सकते उनसे और कोई क्या उम्मीद की जा सकती है?
ट्रैफिक पुलिस से तो कोई अधिक उम्मीद है नहीं, हां, उपायुक्त से आशा की जाती है कि वे राजमार्ग के अलावा अन्य सडक़ों की स्थिति का भी जायजा लेकर उन्हें अवैध पार्किंग से मुक्त कराने के लिये सम्बन्धित अधिकारियों को आदेश दें। गौरतलब है कि अंधेरा होते ही तमाम चौक चौराहों पर अवैध पार्किंग का ऐसा भयानक जमावड़ा लग जाता है कि वाहनों का निकलना दूभर हो जाता है। वहां कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आता और न ही पर्याप्त रोशनी होती है।