पंचायती-राज खाते में सरकार ने डाले 1100 करोड़ ई-टेंडरिंग के चलते सरपंचों ने दिखाई कम रुचि

पंचायती-राज खाते में सरकार ने डाले 1100 करोड़ ई-टेंडरिंग के चलते सरपंचों ने दिखाई कम रुचि
February 04 23:00 2023

चंडीगढ़ (म.मो.) ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पूरा जिम्मा पंचायती राज के माध्यम से ग्राम पंचायतों एवं सरपंचों को दिया हुआ था। इस पद्धति में सरपंच अपने गांव की विकास योजनाओं के प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजता था। पंचायती राज की सरकार शुरु होती है बीडीपीओ (खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी) से और पहुंचती है ऊपर चंडीगढ़ में बैठे पंचायत निदेशक तथा आयुक्त तक। इस पद्धति में सरपंच को ही मूलाधार माना गया है।

अब तक की प्रथा यह रही है कि गांव के सारे विकास कार्यों का क्रियान्वयन सरपंच स्वयं करता आया था। सरपंच खुद ही प्रस्ताव बनाता था जिसका लागत एस्टीमेट जेई द्वारा बनवा कर, सारा सामान खुद ही खरीद कर निर्माण कार्य को पूरा करता था। जेई द्वारा केवल एमबी यानी (पैमायश)भरवाई जाती थी।

इस तरह अपने पांच साल के कार्यकाल में एक सरपंच करोड़ों रुपये के काम करवा लेता था। काम की पूरी पेमेंट के चेक भी सरपंच ही अपने खाते से काट कर करता था। यानी तमाम ग्रांट व पंचायत की अपनी आमदनी सरपंच के खाते में ही रहती थी।

इस व्यवस्था में थोड़ा-बहुत नियंत्रण बीडीपीओ का तथा कुछ नियंत्रण अतिरिक्त उपायुक्त का भी रहता था। इस नियंत्रण के बदले सरपंच कुछ चुग्गा-पानी इन अफसरों को भी दे देता था। इस प्रथा के चलते सरपंचों ने अच्छी-खासी लूट कमाई की। ऐसा भी नहीं है कि यह लूट कमाई बिना स्थानीय राजनेताओं के होती रही हो। इसमें विधायक तथा सांसद आदि भी शामिल रहे हैं। इसी लूट कमाई को देखते हुए सरपंची के चुनाव पर उम्मीदवार करोड़ों-करोड़ रुपये खर्च करने लगे।

मौजूदा सम्पन्न हुए चुनावों में भी इसी लूट की सम्भावना को देखते हुए मोटी रकमें खर्च करके बने सरपंचों के हाथ के तोते उस वक्त उड़ गये जब सरकार ने दो लाख रुपये से अधिक के कामों के लिये ई-टेंडरिंग का नियम बना दिया। इस नई व्यवस्था में सरपंच के पल्ले कुछ भी नहीं रहता। जिस किसी काम का एस्टीमेट दो लाख रुपये से अधिक का बनता है तो सरपंच वह रकम एक्सीएन पंचायती राज के खाते में जमा करायेगा, $िफर एक्सीएन ई-टेंडर जारी करेगा। सारा काम खुद ही कार्यान्यवन कराने के बाद एक्सीएन ही ठेकेदार को पेमेंट कर देगा। सरकार ने यह व्यवस्था सरपंच के मुंह पर छीकी लगाने के लिये किया है। परन्तु इस व्यवस्था में सरपंच की बजाय अब सारी माल-मलाई एक्सीएन के खाते में जायेगी।

राज्य भर के 22 एक्सीएन, 6 एसई लूट का माल अपने एक चीफ इंजीनियर को पहुंचायेंगे और वह सीधे पंचायतमंत्री को पहुंचायेगा। पंचायतमंत्री के द्वारा राज्य भर के हजारों सरपंचों से वसूली करना न केवल कठिन होता बल्कि खतरनाक भी हो सकता था, बदनामी तो देश भर की होनी ही थी। अब इस नई व्यवस्था में मंत्री जी का लेन-देन सीधे-सीधे एक ही अधिकारी से रहेगा।

इस प्रकार ये नई व्यवस्था मंत्री की उगाही का एक सीधा चैनल बन गया है। चैनल तो भले ही सीधा बन गया हो लेकिन यह सारी बात तमाम सरपंच लोग भी समझते हैं और इसका जवाब वे आने वाले चुनावों में अपने वोट के द्वारा न केवल एक मंत्री को बल्कि पूरी भाजपा सरकार को देने वाले होंगे। अपनी लूट के अधिकार पर डकैती मारने वाली सरकार को सरपंच भला क्यों झेलने लगे?

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Mazdoor Morcha
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