छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै

छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै
January 31 01:47 2023

डॉ० रणबीर सिंह
छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै।।
आज हटकै म्हारे देश पै गुलामी का बादल छाया रै।।
आजाद देश के सपने म्हारे सबनै मिलै पढाई या
बिना इलाज ना कोए मरै सबनै मिलै दवाई या
भूखा कोए बी रहवै नहीं इसा हिन्दुस्तान चाहया रै।।
मजदूर किसान नै फेर उब्बड़ खाबड़ खेत संवारे
सबको शिक्षा काम सबको पूरे करने चाहे ये नारे
पब्लिक सैक्टर के कारखाने देश का आधार बनाया रै।।
साधनां मैं गरीब नहीं दरबरां की नियत खोटी होगी
मेहनत लूट किसानां की पेट सहूकारां की मोटी होगी
अमीर घने अमीर होगे यो गरीब खडय़ा लखाया रै।।
अमीरी लूट छिपावन नै हम जात धर्म मैं बाँट दिए
सपने भगत सिंह के तोड़े गरीबाँ के पर काट दिए
बिना फल की चिंता कर्म किया फल अम्बानी नै खाया रै।।
आर्थिक संकट छाग्या उदारीकरण का रह दिखाया
बदेशी पूँजी खातर देश का मूल आधार खिसकाया
विश्व बैंक का रिमोट कण्ट्रोल गुलामी का जाल बिछाया रै।।
गरीबाँ नै दल कै नै सपना महाशक्ति बनन का देखैं
देशी बदेशी कारपोरेट परोंठे म्हारे दम पै सेंकै
कहै रणबीर बरोने आला ओबामा ज्यां करकै भाया रै।।

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