अजय कुमार सिंह स्पर्म और एग के मिलने से जीवन शुरु होता है अब आत्मा किस में है? स्पर्म में या एग में? या ये दौनों में जीवन आत्मा विहीन है, या इनकी आत्मा मिलकर एक हो जाती हैं? -एक कोशिकीय जीव जैसे अमीबा, पेरामीशियम इत्यादी बीच से कट जाने पर अलग अलग जीव बना लेते हैं, क्या आत्मा भी विघटित हो जाती है? -हम जब चाहे बीज बोकर नये पौधों का निर्माण कर लेते हैं, क्या आत्माएं उत्पन्न करना भी हमारे ही हाथ मे है? -विभिन्न जीवों को सुचारू रखने के लिये अलग अलग मात्रा में उर्जा की अवश्यक्ता होती है, क्या आत्मा कम या अधिक हो सकती है? -क्लोनिंग से नए जीव बनाना विज्ञान के लिये सम्भव हो चुका है, क्या आत्मा भी निर्मित हो रही है? -कुछ अफवाहों के अनुसार वैज्ञानिक आत्मा का वजन निकाल चुके हैं, जो कि 21 ग्राम बताया जाता है, अब कॉकरोच का कुल वजन ही 21 ग्राम हो तो उसकी आत्मा कहं गई? -सुनने के लिये कान चाहिये, देखने के लिये आंखें, सोचने समझने के लिये दिमाग…..जब पुरा शरीर ही नष्ट हो गया तो आत्मा में कोई चेतना कहां रही? -और अन्त में, क्या आत्मायें सम्भोग करते युगलों को देखती रहतीं है कि यदि प्रयास सफल रहा तो तुरंत प्रवेश करना है? उपरोक्त उदाहरणों से साफ है कि आत्मा सिर्फ एक फैलाया गया अन्धविश्वास है और कुछ नहीं।