करनाल (जेके शर्मा) अपनी मांग को लेकर 10 दिन से करनाल में धरने पर बैठे सिरसा के चौटाला गांव के लोगों ने बुधवार दोपहर को गृह मंत्री अनिल विज के आश्वासन के बाद धरना खत्म कर दिया। चौटाला गांव के लोग कडक़ती ठंड में जिला सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे थे। इन प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आम आदमी पार्टी सहित कई संगठनों ने उतर कर सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
करनाल में प्रदर्शन कर रहे चौटाला गांव के ग्रामीण अंबाला में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मिले थे। जिसमें अनिल विज ने उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया। नागरिक अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत की जांच करने और स्वास्थ्य केंद्र में खाली पड़े रिक्त पदों पर भर्ती किए जाने के लिए चौटाला गांव के लोगों ने 21 दिसंबर से जन चेतना यात्रा शुरू की थी। इससे पहले 21 दिनों तक ग्रामीणों ने सामुदायिक केंद्र पर धरना प्रदर्शन किया था। 1 जनवरी को चौटला गांव के लोग पैदल यात्रा करते हुए मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र करनाल में पहुंचे। इस दौरान इन लोगों को पूर्व प्रधान नवीन जयहिन्द और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने समर्थन देकर डिप्टी सीएम और अनिल विज की नीतियों की तीखी आलोचना की। कई दिनों के प्रदर्शन के बाद चौटाला के लोगों ने गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मुलाकात की। अनिल विज ने उनकी मांगें मान ली। मांगे पूरी होने के बाद चौटाला गांव के लोगों ने करनाल जिला सचिवालय के बाहर से अपना धरना समाप्त कर दिया है।
इस दौरान चौटाला गांव के लोगों ने कहा कि चौटाला के सामुदायिक केंद्र में गत दो माह में चार नवजात बच्चों की गर्भ में मौत हो गई थी। अगर सामुदायिक केंद्र में डॉक्टरी सुविधा होती तो बच्चे जिंदा होते। स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों की मांगों को ध्यान से सुनकर दो डॉक्टर स्थाई तौर पर तुरंत प्रभाव से भर्ती करने के आदेश जारी कर ग्रामीणों की बाकी मांगें पूरी करने का भरोसा दिलाया। इन लोगों से अनिल विज के सामने चौटाला गांव के उप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित जिलेभर में 400 से अधिक नवजात व शिशुओं की गर्भ में मौत प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाए।
स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूति रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ लगाने,रिक्त पदों को भरने, लैब टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर लगाने सहित ऑपरेशन थिएटर व मोर्चरी को दोबारा शुरू करने की मांग की। इन्हीं मांगों को लेकर चौटाला गांव के लोग गांव में काफी दिनों से आंदोलन कर रहे थे। जब उनकी मांग को नहीं सुना गया तो वह विवश होकर पैदल चलकर सीएम सिटी में अपनी आवाज उठाने के लिए पहुंचे और पिछले 10 दिनों से यहां भी प्रदर्शन करते रहे।