शर्मनाक : कोच यौन उत्पीडऩ एफआईआर चंडीगढ़ मे हुई, हरियाणा ने आरोपी मंत्री के पक्ष में एसआईटी गठित की

शर्मनाक : कोच यौन उत्पीडऩ एफआईआर चंडीगढ़ मे हुई, हरियाणा ने आरोपी मंत्री के पक्ष में एसआईटी गठित की
January 10 01:58 2023

चंडीगढ़ (म.मो.) हरियाणा के खेलमंत्री संदीप सिंह द्वारा की गई बद्तमीज़ी, छेड़छाड़ एवं धमकियों के विरुद्ध महिला एथलीट की शिकायत पर जब डीजीपी मुख्यमंत्री व गृहमंत्री ने कोई संज्ञान नहीं लिया तो पीडि़ता को हरियाणा स्टेट एथलेटिक एसोसिएशन के अध्यक्ष, विधायक अभय चौटाला के माध्यम से मीडिया में जाना पड़ा। इतना ही नहीं सत्ता के नशे में चूर इन लोगों ने महिला खिलाड़ी से सीधे बात तक नहीं की। अपने स्टा$फ द्वारा ही उन्हें चुप रहने, पंगा न लेने तथा जान का भय दिखा कर दबाने का प्रयास कराया।

लेकिन जब मामला चौटाला के माध्यम से मीडिया में छा गया तो मजबूरन पीडि़ता की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस को संदीप सिंह के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 342 तथा 506 के तहत थाना सेक्टर 26 में एफआईआर करनी पड़ी। इसके साथ-साथ संदीप सिंह को मंत्रीमंडल से बर्खास्त करने के बजाय उससे केवल खेल विभाग लेने का दिखावा कर मामले को शान्त करना चाहा। इतना ही नहीं खट्टर जी ने हरियाणा पुलिस की भी एक एसआईटी आरोपी संदीप के पक्ष में बयान और प्रचार के लिए अलग से बना दी जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है। यदि कार्रवाई करने की नीयत होगी तो चंडीगढ़ पुलिस ही काफी होगी। स्पष्ट है कि यह सब खट्टर सरकार को तब करना पड़ा जब मामला राजनीतिज्ञों और मीडिया के बीच पहुंच गया।

राज्य की जागरूक जनता खट्टर की इस नाटकबाजी को बखूबी समझती है। आये दिन देखा जाता है कि इस तरह के मामलों में पुलिस तुरन्त मुकदमा दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार करती है। लेकिन यहां पहले दिन से ही सरकार की नीयत पर सवालिया निशान लग गया था। सरकार ने यह जता दिया था कि वह तब तक कुछ नहीं करती जब तक कि जनता उसके विरुद्ध जूत लेकर खड़ी न हो जाये। इसी हकीकत को समझते हुए पीडि़ता के गांव की खाप पंचायतों ने सोमवार को झज्जर जिले के गांव डाबला में बैठक कर प्रस्ताव पास किया कि यदि सात जनवरी तक मंत्री संदीप को बर्खास्त करके गिरफ्तार न किया गया तो जो कड़े कदम पंचायत उठायेगी उसके लिये खट्टर सरकार स्वयं जिम्मेवार होगी।

राज्य महिला आयोग जो हर छोटी-छोटी बात पर उछल-कूद करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहता है, इस मामले में मुंह ढक कर सोया हुआ है। कुछ महिला संगठनों ने आयोग को जगाने के लिये आवेदन तो किया है परन्तु अभी तक उसकी कोई सक्रियता नजर नहीं आई। हां, आम आदमी पार्टी की ओर से जरूर धरने प्रदर्शन आदि का दौर शुरू हो चुका है। पीडि़ता के हक में बढते जा रहे जन समर्थन से डरी सरकार मामले पर लीपा-पोती करने में जुटी है। लेकिन जन समर्थन का ये जूत ज्यों-ज्यों भारी होता जायेगा त्यों-त्यों खट्टर सरकार संदीप की बर्खास्तगी तथा गिरफ्तारी जैसे कदम उठाने को मजबूर होती जायेगी। जाहिर है आम जनता शान्तिपूर्वक रहकर कानून का न्यायसम्मत राज चाहती है। परन्तु सरकार तब तक न्याया नहीं होने देती जब तक जनता उग्र होकर उसे न घेर ले।

दूसरी ओर लीपा-पोती का ड्रामा करते हुए चंडीगढ़़ पुलिस ने पीडि़ता से तो आठ घंटे तक, थाने में बुला कर पूछताछ कर ली है। लेकिन आरोपी को थाने बुलाने की हिम्मत वह नहीं जुटा पाई। उसकी कोठी पर पूछताछ करने गई तो घंटों गेट पर बैठ कर ही वापस आ गई। ऐसी पुलिस से भला कोई क्या उम्मीद कर सकता है? उधर मामले को लम्बा खींच कर पीडि़ता से सौदेबाज़ी का प्रयास पूरे जोरों पर है। पीडि़ता के मुताबिक उसे एक करोड़ रुपये की पेशकश के साथ देश छोडऩे की बात कहीं जा
रही है।

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Mazdoor Morcha
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