प्रॉपर्टी आईडी बनाने का बड़ा घोटाला

प्रॉपर्टी आईडी बनाने का बड़ा घोटाला
January 01 17:55 2023

सरकारी खजाना तो लुटा ही, जनता की लूट भी जारी
फरीदाबाद (म.मो.) नगर पालिकायें अथवा नगर निगम सदा से ही सार्वजनिक सेवाओं के लिये गृहकर जिसे अब प्रॉपर्टी टैक्स कहकर शहरियों से वसूलती आ रही हैं। किस प्रॉपर्टी से कितना टैक्स वसूलना है, इसके लिये सरकार कुछ नियम अथवा फार्मूले तय कर दिया करती थी। उसी के आधार पर शहरी निकाय के कर्मचारी मौका-मुआयना करके टैक्स की वसूली किया करते थे। धीरे-धीरे कर्मचारियों के आभाव में मौका-मुआयना अथवा सर्वेक्षण का काम सरकार ने विभिन्न कम्पनियों को देना शुरू कर दिया।

भाजपा की खट्टर सरकार ने इस सर्वे को एक नया नाम एक नये तरीके से देने का षडयंत्र रचा। इसे प्रॉपर्टी आईडी बताया गया। आईडी बनाने का काम जयपुर के किसी संजय गुप्ता की याशी कम्पनी को दिया गया। कम्पनी के मालिक गुप्ता ने पहले कभी इस तरह का कोई काम नहीं किया था। यानी कि उसे इस काम का कोई तजुर्बा नहीं था। हां, उसे संघ की शाखाओं में ढोल बजाने का अच्छा-खासा तजुर्बा है। उसी तजुर्बे के आधार पर संघ प्रचारक रह चुके सीएम खट्टर ने उसे अपने राज्य के इस काम का ठेका दे दिया। करीब एक साल तक ‘काम’ करके गुप्ता ने जो प्रॉपर्टी आईडी बनाई उनमें से 90 प्रतिशत गलत साबित हो रही हैं। इन्हें ठीक कराने के लिये लोग स्थानीय निकाय कार्यालयों के चक्कर लगाने व रिश्वतें देने को मजबूर हैं। गुप्ता की याशी कम्पनी द्वारा सारे काम का बेड़ा गर्क करने के बाबजूद उसे 57 करोड़ की पेमेंट अदा करने का रास्ता सा$फ करने के लिये निकाय अ$फसरों ने जनता के तथाकथित नुमाइंदों से कम्पनी के हक में प्रस्ताव पारित कराये। इसके आधार पर सरकार ने उसे 57 करोड़ की पेमेंट करते हुए उसके ठेके को रद्द कर दिया। बड़ा गजब मामला है। अच्छी-खासी पेमेंट भी कर दी और ठेका भी रद्द कर दिया।

ठेके को रद्द करना कोई उपाय नहीं है, इससे जनता को कोई राहत मिलने वाली नहीं है। रद्द करना ही था तो कम्पनी द्वारा किये गये सर्वे को रद्द करना था और उसे पेमेंट करने की बजाय उससे हर्जा वसूलना चाहिये था। याशी द्वारा बिगाड़े गये सारे काम को अब निकाय कर्मचारियों द्वारा पूरा एवं दुरुस्त कराये जाने की योजना है। इसके लिये कोई अतिरिक्त कर्मचारी भी भर्ती नहीं किये जायेंगे, जाहिर है ऐसे में यह काम कभी पूरा होने वाला नहीं दीखता। इसके पूरा न होने से लोगों को चाहते हुए भी पॉप्रर्टी टैक्स अदा करने में भारी कठिनाइयां आ रही हैं।

दूसरी ओर सरकार ने प्रॉपर्टीज की खरीद-फरोख्त के पंजीकरण के लिये एनओसी की शर्त अनिवार्य कर दी है। परन्तु पंजीकरण के लिये एनओसी तभी मिल पायेगा जब प्रॉपर्टी टैक्स अदा हो जाय। इस चक्कर में मजबूर लोग सम्बन्धित कर्मचारियों को मोटी रिश्वतें देकर अपने काम निकलवाने को मजबूर हैं। इसी एनओसी के दबाव से निकाय जनता से भारी-भरकम विकास शुल्क भी वसूल रहे हैं। जो मकान-दुकान आदि 20-30 साल या इससे भी पहले बन कर आबाद हो चुके हैं उनसे भी भारी-भरकम वसूली इसी मद में की जा रही है। दरअसल संघी भाईचारा निभाने के लिये खट्टर सरकार हर तरह से जनता को लूट लेना चाहती है।

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Mazdoor Morcha
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