फरीदाबाद (म.मो.) डिजिटल इंडिया के सुनहरे ख्वाब दिखाते हुए खट्टर सरकार ने शहर की तमाम जायदादों की आईडी बनाने का ठेका याशी नामक एक कंपनी को करीब दो वर्ष पूर्व दिया था। जबतक किसी जायदाद की आईडी न बन जाय तब तक उसकी खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री नहीं कराई जा सकती। और तो और नगर निगम में उसका हाउस-टैक्स नहीं भरा जा सकता। न ही ‘हूडा’ में उस जायदाद के लिये किसी प्रकार की कार्यवाही के लिये आवेदन किया जा सकता है।
पिछले दिनों इस निकृष्ट कंपनी द्वारा जो आईडी बना कर लोगों को भेजी गई थी, उनमें से शायद ही कोई ठीक पाई गई हो। अधिकांश में मालिकान के नाम व पते से लेकर प्लॉट एवं बिल्डिंग के साइज के बारे में तमाम उल्टी-सीधी जानकारियां दी गई हैं। इन्हें ठीक कराने के लिये एमसीएफ तथा ‘हूडा’ कार्यालय में लोगों का तांता लगा हुआ है। ठीक कराने के नाम पर बाबू लोग जनता को अच्छा-खासा परेशान करके लूटने में जुटे हैं।
याशी कंपनी द्वारा किये गये इस उल्टे-सीधे काम के बदले उसे अब मोटे भुगतान किये जाने की तैयारी है। यद्यपि इस भुगतान की सही रकम का तो पता नहीं चल पाया लेकिन इसे करोड़ों में बताया जा रहा है। इसके लिये इसे एमसीएफ की ओर से एनओसी दिये जाने के लिये बीते सोमवार को नगर निगम में कुछ चुनिंदा सरकार समर्थक समाज सेवियों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें हुए निर्णय की जानकारी अभी प्राप्त नहीं हो पाई है।