फरीदाबाद (म.मो.) भांखरी गांव स्थित वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में सन 2013 में स्कूल की जरूरत को देखते हुए 13 कमरे बनाये गये थे। लेकिन ये कमरे इस लायक साबित न हो सके कि इनमें बच्चों को बैठाया जा सके, जबकि ग्रामीणों द्वारा निर्मित 50 साल पुरानी बिल्डिंग सही सलामत खड़ी है। 50 लाख की रकम से बनी इस बिल्डिंग की हालत को देख कर ही डर लगता है कि अब गिरी कि तब गिरी। इसलिये ये खंडरनुमा बिल्डिंग गांव वालों को मुंह चिढ़ा रही है।
अब सरकार ने इस बिल्डिंग को गिराने का फैसला लिया है। इसके लिये ठेकेदार की तलाश जारी है। यानी कि करदाता का पैसा पहले तो इस घटिया बिल्डिंग को बनाने में खर्च किया गया और अब उसके तोडऩे पर खर्च किया जायेगा। मजे की बात तो यह है कि विधायक सीमा त्रिखा ने इस स्कूल को गोद ले रखा है, तब यह हाल है।
सरकार में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों का यह कोई पहला या आखिरी कारनामा नहीं है। इससे पहले भी ‘मज़दूर मोर्चा’ ने गांव सेहतपुर स्कूल की काली कहानी प्रकाशित की थी। उसमें बताया गया था कि किस तरह से एक मास्टर को अधिकार देकर उस बिल्डिंग का निर्माण करवाया गया था। बिल्डिंग की जांच करने के पश्चात कुरूक्षेत्र इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञों ने इसे खतरनाक बताते हुए तोडऩे की सिफारिश की थी। सम्बन्धित मास्टर कुछ दिन निलम्बित रहने के बाद पुन: बहाल होकर नये कारनामे करने की तैयारी में है।
‘मज़दूर मोर्चा’ ने खोज-बीच करने पर पाया कि इस तरह के निर्माणों की 90 स्कूलों की सूची है। पहले तो इन स्कूलों के निर्माण पर करोड़ों रुपया डकारा गया, अब उनके तोडऩे पर भी भ्रष्ट अधिकारी अच्छी-खासी कमाई करेंगे। संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि शासक वर्ग ने कर दाता के पैसे को लुटने-खाने के लिये सर्व शिक्षा अभियान के नाम से एक निराला पाखंड खड़ा कर रखा है। इसका चेयरमैन जि़ले का अतिरिक्त उपायुक्त होता है। दो-तीन पक्के सरकारी कर्मचारी होते हैं और शेष तमाम ठेकेदारी में कच्चे कर्मचारी होते हैं। निर्माण कार्य के लिये इनके अपने ही जेई तथा एसडीई होते हैं।
सरकार की ओर से आने वाली मोटी-मोटी रकमें ये सब लोग मिल-जुल कर डकारते रहते हैं, कोई पूछने वाला नहीं। इस तरह की लूट-मार का सारा पैसा शिक्षा के बजट से आता है। जाहिर है जब पैसे की इस तरह से लूट-मार होगी तो बच्चों को शिक्षा क्या खाक मिलेगी? एक लम्बी सूची है। जोकि हम इस पर्चे में प्रकाशित नहीं कर सकते।