फरीदाबाद (म.मो.) पूरा जि़ला प्रशासन दिनांक 29 नवम्बर से गीता महोत्सव की तैयारियों में जुटा हुआ है। सरकार द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार चार दिसम्बर को सेक्टर 17 से सेक्टर 12 स्थित ‘हूडा’ कन्वेंशन हॉल तक एक जुलूस निकाला जायेगा। इसके प्रबन्धन के लिये परमजीत चहल एसडीएम फरीदाबाद को तैनात किया गया है। जुलूस मार्ग पर सुरक्षा एवं यातायात प्रबन्धन के लिये भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
उक्त कन्वेंशन हॉल में तरह-तरह के कार्यक्रमों के नियंत्रण एवं संचालन के लिये बल्लबगढ़ तथा बडखल के एसडीएम तैनात किये गये हैं। उपायुक्त विक्रम तथा अतिरिक्त उपायुक्त अपराजिता भी इसी कार्यक्रम की तैयारी में बीते एक सप्ताह से जुटे हुए हैं। जि़ले का कोई भी विभाग इस कार्यक्रम से अछूता नहीं छोड़ा गया है। एमसीएफ ‘हूडा’, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बिजली विभाग तो हैं ही, प्रदूषण नियंत्रण विभाग तथा कृषि जैसे विभागों को भी नहीं बख्शा गया है। यानी कि सरकार से वेतन पाने वाले हर विभाग को इस महोत्सव में लपेट दिया गया है।
दुनियां भर की अनेकों भाषाओं में प्रकाशित गीता जैसे महाग्रंथ से सारी दुनियां परिचित है। टीवी सीरियल महाभारत के माध्यम से भी इसे खूब प्रचारित-प्रसारित किया जा चुका है। अब समझ नहीं आता कि भाजपाई खट्टर सरकार इसके नाम पर प्रति वर्ष सैंकड़ों करोड़ रुपये बर्बाद करके निकालना क्या चाहती है?
गीता के उपदेश को इतने बड़े पैमाने पर प्रचारित करने के बावजूद भी न तो सरकारी लूट या भ्रष्टाचार में कोई कमी आई है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में कोई उपलब्धि हो सकी है। कई-कई वर्षों से सडक़ों की हालत खराब हुई पड़ी है, शहरों में गंदगी के ढेर लगे हैं, सीवर उफन रहे हैं, बरसात में शहर की सडक़ें पानी व कीचड़ से इस कदर भर जाती है कि चलना तक दूभर हो जाता है।
लगता है कि खट्टर सरकार जनता का ध्यान उनकी उक्त मुसीबतों से भटकाने के लिये इस तरह के धार्मिक पाखंडों का आयोजन करना जरूरी समझती है। जब जि़ले भर के तमाम अधिकारी इस तरह के पाखंडों में उलझा दिये जायेंगे तो उनके जिम्मे लगे हुए प्रशासनिक कार्य कौन करेगा? करदाता के पैसे पर पलने वाले ये तमाम प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी क्या इन्हीं पाखंडों के लिये रखे गये हैं? खट्टर को यदि धर्म प्रचार ही करना है तो वे उसी तरह क्यों नहीं करते जैसे कि वे मुख्यमंत्री बनने से पहले किया करते थे? जनता के धन को क्यों बर्बाद करने पर तुले हैं?