मेडिकल छात्रों से 300 करोड़ कमाने के चक्कर में फंस गये खट्टर

मेडिकल छात्रों से 300 करोड़ कमाने के चक्कर में फंस गये खट्टर
November 20 16:08 2022

फरीदाबाद (म.मो.) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पूर्व सरसंघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर अपनी किताब ‘द बंच ऑफ थॉट्स’ में लिख गये हैं कि धन सब लोगों के पास नहीं रहना चाहिये, इसे केवल मुट्ठी भर पूंजीपतियों के पास ही रहना चाहिये। इसी सिद्धांत का पालन करते हुए तमाम भाजपाई सरकारें देश की जनता से अधिकाधिक धन निचोडऩे के नये-नये उपाय खोजते रहते हैं। इसी खोज के दौरान खट्टर जी ने चिकित्सा छात्रों से भी सालाना 300 करोड़ रुपये निचोडऩे का ‘नायाब’ फार्मूला खोज निकाला।

संघ द्वारा प्रशिक्षित एवं दीक्षित मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा का मुख्यमंत्री बनकर, राज-काज चलाने के लिये अपने ही जैसे संघ प्रशिक्षित सलाहकारों की एक अच्छी-खासी पलटन अपने चारों ओर जुटा रखी है। ऐसे ही सलाहकारों की सलाह पर चलते हुए खट्टर महाशय न केवल चिकित्सा छात्रों बल्कि पूरे चिकित्सा समाज के जाल में ऐसे जा फंसे हैं जिससे निकलने का उन्हें कोई रास्ता अब सूझ नहीं रहा है। राज्य भर के तमाम (यूजी व पीजी) छात्र तो खट्टर के इस फैसले के विरोध में डटे ही हैं, साथ में पूरा डॉक्टर समाज भी उनके समर्थन में आ जुटा है। और तो और हरियाणा सरकार के डॉक्टरों के संगठन ने भी उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर दिया है।

मजे की बात तो यह है कि तमाम विरोधी राजनीतिक दल एवं सामाजिक संगठन तो इनका समर्थन कर ही रहे हैं, संघ एवं भाजपा कार्यकर्ताओं की भी हिम्मत इनके सामने पस्त है। रोहतक-करनाल जैसे शहरों में जहां भाजपाईयों का अच्छा-खासा जमावड़ा है, विधायक एवं सांसद भी इन्हीं के हैं, इसके बावजूद खट्टर के समर्थन में मुंह खोलने की कोई हिम्मत नहीं कर पा रहा। समझने वाली बात यह है कि लोकतंत्र में सरकार का कोई भी आदेश केवल तभी शिरे चढ़ सकता है जब उसे जन-समर्थन हासिल हो। इसी जन-समर्थन के अभाव में फंस कर खड़े खट्टर अब अपने अफसरों पर दोष मढ़ रहे हैं कि उन्हें छात्रों को समझाना नहीं आया। मान लिया कि उच्च शिक्षित यूपीएससी द्वारा चयनित अधिकारी तो नालायक हैं, लेकिन संघ द्वारा प्रशिक्षित खट्टर अपनी लियाकत का इस्तेमाल उन्हें समझाने के लिये क्यों नहीं करते?

बीते आठ साल से, हर जि़ले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का झुनझुना बजाने वाले खट्टर अभी तक एक भी मेडिकल कॉलेज स्थापित नहीं कर पाये हैं। अब वे कहने लगे हैं कि 13-14 मेडिकल कॉलेज बनाने के लिये उन्हें 16-17 हजार करोड़ रुपये चाहिये। इस रकम के लिये ही तो वे प्रत्येक मेडिकल छात्र से 10 लाख वार्षिक की फीस वसूलेंगे। खट्टर जी किसको बेवकू$फ बना रहे हैं? बीते आठ साल में आप दो लाख करोड़ से अधिक का कर्जा लेकर घी पी चुके हैं। वर्ष 2014 में जब खट्टर मुख्यमंत्री बने तो राज्य पर कुल 89 हजार करोड़ कर्जा था जो आज बढक़र पौने तीन लाख लाख करोड़ से अधिक हो चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ)के अुनसार जीडीपी का पांच प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च किया जाना चाहिये। इसके विपरीत भारत में कुल जीडीपी का मात्र एक प्रतिशत ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है। संदर्भवश, भारत की जीडीपी 28 अरब रुपये की है। इसका केवल एक प्रतिशत यानी कि कुल 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये, केन्द्र तथा समस्त राज्य सरकारों द्वारा खर्च किये जाते हैं। पिछले लगभग 14 वर्षों से इस एक प्रतिशत को बढ़ा कर तीन प्रतिशत किये जाने का एलान तो होता रहा है लेकिन वास्तविकता तो जहां की तहां ही रही। हां, ड्रामेबाजी के तौर पर कांग्रेस सरकार ने ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना’ तथा मोदी सरकार ने ‘आयुष्मान भारत’ जैसे झुनझुने जनता के हाथ में थमा दिये। खट्टर सरकार इससे भी आगे बढक़र, चिकित्सा सेवाओं का वास्तविक विस्तार करने की अपेक्षा ‘टेलीमेडिसिन’ जैसे सगूफों से जनता को बहला रही है।

उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश भर में केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा मिल कर चिकित्सा सेवाओं पर कुल 2 लाख 80 हजार करोड़ खर्च किया जाता है। इसमें से 90 हजार करोड़ केन्द्र तथा शेष 1 लाख 90 हजार करोड़ तमाम राज्य सरकारों द्वारा खर्च किया जाता है। इस कुल खर्च का करीब तीन गुणा यानी 8 लाख 40 हजार करोड़ जनता द्वारा प्राइवेट माध्यमों के जरिये खर्च किया जाता है। इसमें वह रकम भी शामिल है जो ईएसआई कॉर्पोरेशन मज़दूरों से वसूल करके चिकित्सा सेवाओं पर खर्च करती है।

इस वर्ष का हरियाणा सरकार का कुल बजट 1 लाख 42 हजार करोड़ का है। इसमें से चिकित्सा सेवाओं एवं चिकित्सा शिक्षा के लिये मात्र 7 हजार 126 करोड़ रुपये रखा गया है जो इन सेवाओं के लिये बहुत ही कम है। इस कमी के चलते राज्य सरकार के सभी चार कॉलेज तो दुर्दशा का शिकार हैं ही और पांचवा (छांयसे वाला) भाग्य के भरोसे खड़ा है। तमाम तरह की फिजूल खर्चियों तथा तरह-तरह के घोटालों एवं अय्याशियों के लिये सरकारी बजट में कोई कमी नहीं है, कमी है तो केवल चिकित्सा सेवाओं के लिये। राज्य के मंत्री-संत्री जहां लाखों रुपये का तेल अपनी सरकारी कारों में फूंक डालते हैं वहीं खट्टर ने सरकारी हेलिकॉप्टर को झोटा-बुग्गी बना रखा है जिसे लेकर वे आये दिन दिल्ली, फरीदाबाद, गुडग़ांव आदि शहरों में टहलने आ जाते हैं।

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Mazdoor Morcha
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