व्यंग्य / आभा शुक्ला वरना अंधभक्त कहते देखो बम फेंकने की प्रैक्टिस कर रहे हैं ये… संबित पात्रा ऐसा रोता… ऐसा रोता… ऐसा रोता कि दिये मे तेल कि जरूरत ही न पड़ती… सारे दिए उसके आँसू से भर जाते…. अमीश देवगन और अमन चोपड़ा जैसे एंकर कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लादकर स्टूडियो पहुंचते और ऑक्सीजन मास्क लगाकर शो करते,बताते कि कैसे रास्ते में धुएं से दम घुटने से वो मरने वाले ही थे कि ऑक्सीजन सिलेंडर ने उनकी जान बचा ली…. गौरव भाटिया डिबेट के लिए आईसीयू में जाकर लेटता और वहीं से डिबेट में भाग लेता…. मीडिया हेडलाइन चला रही होती- “दहशतगर्दी का त्यौहार..हिंदू बेबस और लाचार”.. “देश की फिजाओं मे बम ही बम.. कैसे न घुटे आम आदमी का दम”.. बेचारे दिए,मूर्तियाँ और पटाखे बेचने वाले गिरा गिराकर मारे जाते जगह जगह… बजरंग दल एक एक दुकान बंद करा रहा होता… अमित शाह ने दिवाली रोको अध्यादेश अब तक तैयार कर लिए होते…. और दिवाली मनाने के जुर्म मे अगले दिन न जाने कितनों पर यूएपीए लग जाता… (कड़वा है पर दिल पर हाथ रखकर कहो कि सच है या नही)