पुलिस चौकी डीएलएफ सेक्टर 11: मुकदमा दर्ज करना तो दूर, दरखास्त की रसीद मांगने पर गालियां मिली

पुलिस चौकी डीएलएफ सेक्टर 11: मुकदमा दर्ज करना तो दूर, दरखास्त की रसीद मांगने पर गालियां मिली
October 23 07:47 2022

फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 12 अक्टूबर को सडक़ पर मज़दूरी करने वाले सात-आठ परिवार अपने साथ हुई चोरी की एक वारदात दर्ज कराने सेक्टर 11 की चौकी में गये तो धमकियां खाकर वापस लौट आये।

नगर निगम द्वारा सडक़ों के किनारे टाइल आदि लगाने का काम करने वाले दिहाड़ीदार मज़दूरों के सात-आठ परिवार ‘तेरा पंथ’ के निकट पानी की टंकी वाले पार्क में डेरा डाले हुए हैं। दिन भर पुरुष व महिलायें आस-पास की सडक़ो पर मज़दूरी करते हैं और संध्याकाल अपने डेरे में बच्चों के पास लौट आते हैं।

दिनांक 11-12 की मध्य रात्रि को जब ये थके-हारे लोग गहरी नींद में सो रहे थे तो चोरों ने उनके सात मोबाइल व पांच लोगों की जेब से नकदी भी ले गये। मज़दूरों द्वारा दिये गये विवरण के अनुसार जगदीश के 600 रुपये, अंकेश के 1100, जाहर 1500, 4 बलराम 1740 रोशन 2500 रुपये चोर ले गये। लुटे-पिटे मज़दूरों का अनुमान है कि गहरी नींद के अलावा उन्हें कुछ सुंघाया भी गया होगा जिसके चलते वे बेसुध सोये रह गये। इन मज़दूरों के अनुसार चोर कोई बाहर से नहीं आया था, उन्हीं के डेरे में रहने वाले दो लडक़ो पर उनका संदेह है क्योंकि उनकी झुग्गी में से कुछ भी नहीं चुराया गया। इसके अलावा उन दोनों लडक़ों का आपराधिक पुलिस रिकॉर्ड भी बताया जाता है।

लुटे-पिटे मज़दूरों की फरीयाद सुनकर, मुकदमा दर्ज कर कोई सार्थक कार्रवाई करने की बजाय उनकी दरखास्त तक की रसीद चौकी वालों ने देने की जरूरत नहीं समझी। और तो और रसीद मांगने पर पूरी बेशर्मी के साथ, महिलाओं की मौजूदगी में अशलील गालियां भी उन्हें दी गई। मौका मुआयना करने गये मान सिंह नामक एक पुलिसकर्मी ने तो उनकी झुग्गियों का मुआयना करते समय भी बिना किसी शर्म लिहाज के अश्लील गालियां बकी। जब एक ने विरोध किया तो उसे तुरंत एक थप्पड़ रसीद कर दिया। दरअसल गरीब एवं कमजोर होना ही इस देश में गुनाह है, वर्ना ऐसी कोई शिकायत किसी अमीर एवं दबंग की होती तो यही मान सिंह क्या, इसके बड़े-बड़े भी उसके सामने एडिय़ां जोड़े खड़े होते।
इस चौकी का यह कोई इकलौता मामला नहीं है। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो जब यहां इस तरह के कांड न होते हों। सेक्टर 10 की आरडब्लूए वालों ने बताया कि 19 सितम्बर को प्लॉट नम्बर डी 2-टू-125 में से दो लडक़े करीब 60 किलो सरिया साइकिल पर लाद कर ले जाते हुए जब उन्होंने पकड़ कर 112 नम्बर पर फोन करके पुलिस को बुलाया तो भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।

चोरी व उठाइगिरी के अलावा इस सेक्टर में शराब का अवैध धंधा भी खुलेआम बेखौफ चलता है। सामुदायिक भवन के निकट बसी झुग्गियों में से किसी भी समय अवैध शराब की थैलियां प्राप्त की जा सकती है।

ग्राहकों का वहां मेला सा लगा रहता है। इनके विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर, गाहे-बगाहे पुलिस वाले आबकारी अधिनियम के मुुकदमें दर्ज कर अपने कर्तव्य  की इतिश्री कर लेते हैं। यानी कि पर्चे भी दर्ज होते रहते हैं और उसी समय शराब भी बिक रही होती है। यही है पुलिस का खेल।

समझने वाली बात यह है कि उक्त पुलिस चौकी इस तरह का खेल खेलने के लिये पूर्णतया स्वतंत्र है क्या? इसके ऊपर बैठे एसएचओ, एसीपी, डीसीपी व सीपी तक के किसी भी अधिकारी को यह सब नजर क्यों नहीं आता? और तो और जनता द्वारा चुने गये विधायक नरेन्द्र गुप्ता, जिनका दफ्तर लगभग चौकी के सामने ही है, वे क्यों अपनी आंखें व कान बंद किये बैठे हैं?

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Mazdoor Morcha
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